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विकासनगर में हाट बाजार व्यवसायियों से अवैध वसूली का मामला, HC ने राज्य सरकार को दिया आखिरी मौका - Nainital High Court - NAINITAL HIGH COURT

Case of illegal recovery from traders in Vikasnagar नैनीताल हाईकोर्ट में आज विकासनगर तहसील में हाट बाजार व्यवसायियों से अवैध रूप से वसूली करने के मामले में सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए आखिरी मौका दिया है.

NAINITAL HIGH COURT
नैनीताल हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 28, 2024, 5:18 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने देहरादून के विकासनगर तहसील में हाट बाजार व्यवसायियों से अवैध रूप से वसूली करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने का अंतिम अवसर देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 दिसंबर की तारीख निर्धारित की है.

मामले में कोर्ट ने सरकार को दिया आखिरी मौका: पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि जो शिकायत की सीडी उन्होंने कोर्ट में पेश की है, उसकी एक प्रति विकास नगर थाने के एसएचओ के सामने पेश करें. एसएचओ उसकी जांच कर कार्रवाई करके अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें, लेकिन अभी तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई, जिस पर कोर्ट ने सरकार को अंतिम अवसर देते हुए जवाब पेश करने को कहा है.

मोहम्मद इस्लाम ने दायर की थी याचिका: मामले के अनुसार विकासनगर निवासी मोहम्मद इस्लाम ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि विकास नगर में हाट बाजार लगाया जाता है. इसके बदले उनसे अवैध रूप से वसूली की जा रही है. यह वसूली सरकार के खाते में जमा नहीं होती है और न ही इसकी कोई रसीद उन्हें दी जाती हैं. नियमानुसार हाट बाजार लगाते समय सरकार द्वारा दुकान के अनुसार किराया वसूला जाता है, लेकिन यह किराया सरकार द्वारा न वसूलकर कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से वसूला जा रहा है. इसकी शिकायत उनके द्वारा उपजिलाधिकारी से भी की गई, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जनहित याचिका में कहा गया है कि इस पर रोक लगाई जाए, जो लोग अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए.

उत्तराखंड बार काउंसिल में नए अधिवक्ताओं के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू: उत्तराखंड बार काउंसिल में नए अधिवक्ताओं के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बार काउंसिल ने पंजीयन शुल्क में कमी कर दी है. उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य सचिव मेहरबान सिंह कोरंगा की ओर से जारी सूचना में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिट पिटीशन (सी) नं0 352/2023 गौरव कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य में 30 जुलाई 2024 को पारित आदेश के अनुपालन में पंजीकरण शुल्क में परिवर्तन कर दिया गया था. जिसके कारण पंजीकरण फार्म के प्रारूप में भी परिवर्तन किया गया है.

आवेदन फार्म बेबसाइट से डाउनलोड करें अभ्यर्थी; उन्होंने कहा कि नये पंजीकरण कराने वाले अभ्यर्थी अब नये पंजीकरण आवेदन पत्र में आवेदन करेंगे , जिसके संलग्नक नियमों में शुल्क का विवरण दिया गया है. अब नए फार्म पर आवेदन बार काउंसिल कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा. फार्म का नया प्रारूप और नियम उत्तराखंड बार काउंसिल की बेबसाइट https://www.barcouncilofuttarakhand.org में अपलोड कर दिया गया है. आवेदन फार्म भी बेबसाइट से ही डाउनलोड करना होगा.

25 मार्गों को निजी कंपनियों के लिये खोले जाने की HC ने दी मंजूरी: वहीं, हाईकोर्ट ने रोडवेज की बसों के लिये आरक्षित 25 मार्गों को निजी कंपनियों के लिये खोले जाने के सरकार के कदम को हरी झंडी दे दी है. मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इसी बीच रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन कर उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के लिये आरक्षित मार्गों पर निजी कंपनियों को परमिट दिया जा रहा है. सरकार की ओर से रोडवेज का पक्ष नहीं सुना गया है. सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि रोडवेज का पक्ष सुना गया है. उसके बाद ही यह निर्णय लिया गया. कुमाऊं मोटर आनर्स यूनियन (केमू) की ओर से भी हस्तक्षेप करते हुए गया कि रोडवेज के पास पर्याप्त बसें उपलब्ध नहीं हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश मार्गों पर निजी कंपनियों की बसें संचालित हो रही हैं.

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मामले में कोर्ट ने सरकार को दिया आखिरी मौका: पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि जो शिकायत की सीडी उन्होंने कोर्ट में पेश की है, उसकी एक प्रति विकास नगर थाने के एसएचओ के सामने पेश करें. एसएचओ उसकी जांच कर कार्रवाई करके अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें, लेकिन अभी तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई, जिस पर कोर्ट ने सरकार को अंतिम अवसर देते हुए जवाब पेश करने को कहा है.

मोहम्मद इस्लाम ने दायर की थी याचिका: मामले के अनुसार विकासनगर निवासी मोहम्मद इस्लाम ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि विकास नगर में हाट बाजार लगाया जाता है. इसके बदले उनसे अवैध रूप से वसूली की जा रही है. यह वसूली सरकार के खाते में जमा नहीं होती है और न ही इसकी कोई रसीद उन्हें दी जाती हैं. नियमानुसार हाट बाजार लगाते समय सरकार द्वारा दुकान के अनुसार किराया वसूला जाता है, लेकिन यह किराया सरकार द्वारा न वसूलकर कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से वसूला जा रहा है. इसकी शिकायत उनके द्वारा उपजिलाधिकारी से भी की गई, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जनहित याचिका में कहा गया है कि इस पर रोक लगाई जाए, जो लोग अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए.

उत्तराखंड बार काउंसिल में नए अधिवक्ताओं के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू: उत्तराखंड बार काउंसिल में नए अधिवक्ताओं के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बार काउंसिल ने पंजीयन शुल्क में कमी कर दी है. उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य सचिव मेहरबान सिंह कोरंगा की ओर से जारी सूचना में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिट पिटीशन (सी) नं0 352/2023 गौरव कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य में 30 जुलाई 2024 को पारित आदेश के अनुपालन में पंजीकरण शुल्क में परिवर्तन कर दिया गया था. जिसके कारण पंजीकरण फार्म के प्रारूप में भी परिवर्तन किया गया है.

आवेदन फार्म बेबसाइट से डाउनलोड करें अभ्यर्थी; उन्होंने कहा कि नये पंजीकरण कराने वाले अभ्यर्थी अब नये पंजीकरण आवेदन पत्र में आवेदन करेंगे , जिसके संलग्नक नियमों में शुल्क का विवरण दिया गया है. अब नए फार्म पर आवेदन बार काउंसिल कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा. फार्म का नया प्रारूप और नियम उत्तराखंड बार काउंसिल की बेबसाइट https://www.barcouncilofuttarakhand.org में अपलोड कर दिया गया है. आवेदन फार्म भी बेबसाइट से ही डाउनलोड करना होगा.

25 मार्गों को निजी कंपनियों के लिये खोले जाने की HC ने दी मंजूरी: वहीं, हाईकोर्ट ने रोडवेज की बसों के लिये आरक्षित 25 मार्गों को निजी कंपनियों के लिये खोले जाने के सरकार के कदम को हरी झंडी दे दी है. मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इसी बीच रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन कर उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के लिये आरक्षित मार्गों पर निजी कंपनियों को परमिट दिया जा रहा है. सरकार की ओर से रोडवेज का पक्ष नहीं सुना गया है. सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि रोडवेज का पक्ष सुना गया है. उसके बाद ही यह निर्णय लिया गया. कुमाऊं मोटर आनर्स यूनियन (केमू) की ओर से भी हस्तक्षेप करते हुए गया कि रोडवेज के पास पर्याप्त बसें उपलब्ध नहीं हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश मार्गों पर निजी कंपनियों की बसें संचालित हो रही हैं.

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