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बीडी पांडे अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव मामला, कोर्ट ने PIL की निस्तारित - Nainital BD Pandey Male Hospital

Nainital BD Pandey Male Hospital नैनीताल बीडी पांडे पुरुष अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले में दायर जनहित याचिका निस्तारित कर दी है.

UTTARAKHAND HIGHCOURT
उत्तराखंड हाईकोर्ट (ETV Bharat FILE PHOTO)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 23, 2024, 10:43 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के जिला पुरुष चिकित्सालय बीडी पांडे में कई स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने के खिलाफ दायर पूर्व अध्यापक अशोक शाह उर्फ गुरुजी की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ता से कहा है कि अगर आपकी कोई शिकायत है तो अपना प्रत्यावेदन राज्य सरकार को दें.

सुनवाई पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि आज भी हॉस्पिटल में कई सुविधायों का अभाव है. जिस वजह से मरीजों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

मामले के अनुसार, अशोक शाह उर्फ गुरुजी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उन्हें छोटी से छोटी शिकायतों के लिए उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है. जिले का मुख्य हॉस्पिटल होने के कारण अभी भी हॉस्पिटल के कर्मचारियों के द्वारा छोटी सी जांच करने के लिए सीधे हल्द्वानी भेज दिया जाता है. इस हॉस्पिटल में जिले से इलाज कराने हेतु दूर दराज से मरीज आते हैं, परंतु उनकी जांच करके हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है. गुरुजी ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ से प्राथर्ना की है कि इस हॉस्पिटल में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. जिससे कि दूरदराज से आने वाले लोगों को सही समय पर इलाज मिल सके.

नक्शा पास कराने की बाध्यता समाप्त करने का मामला: वहीं, एक अन्य मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 2021 के शासनादेश को जिसमें राज्य सरकार द्वारा 2016 के बाद अस्तित्व में आई नगर पालिका, नगर निगम और ग्राम पंचायतों में आए क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की बाध्यता को समाप्त करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 4 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार, कोटद्वार निवासी गिरी गौरव नैथानी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2021 में एक शासनादेश पारित कर नगरपालिका, नगर निगम और जिला विकास प्राधिकरण में 2016 के बाद अस्तित्व में आए क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की बाध्यता को समाप्त कर दिया. जिसकी वजह से कोटद्वार समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में बे-तरीके निर्माण कार्य हो रहे हैं. भवन बनाते वक्त नक्शा पास कराने के लिए जो राजस्व राज्य सरकार को प्राप्त होती थी, अब सरकार ने उक्त आदेश पारित कर राजस्व की हानि की है. लिहाजा, इस आदेश पर रोक लगाई जाए. जिससे कि बे-तरीके से निर्माण कार्यों पर रोक लग सके.

ये भी पढ़ेंः चारधाम यात्रा मार्ग पर शराब की दुकान खोलने का मामला, कोर्ट ने सरकार से मांगा हलफनामा

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के जिला पुरुष चिकित्सालय बीडी पांडे में कई स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने के खिलाफ दायर पूर्व अध्यापक अशोक शाह उर्फ गुरुजी की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ता से कहा है कि अगर आपकी कोई शिकायत है तो अपना प्रत्यावेदन राज्य सरकार को दें.

सुनवाई पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि आज भी हॉस्पिटल में कई सुविधायों का अभाव है. जिस वजह से मरीजों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

मामले के अनुसार, अशोक शाह उर्फ गुरुजी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उन्हें छोटी से छोटी शिकायतों के लिए उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है. जिले का मुख्य हॉस्पिटल होने के कारण अभी भी हॉस्पिटल के कर्मचारियों के द्वारा छोटी सी जांच करने के लिए सीधे हल्द्वानी भेज दिया जाता है. इस हॉस्पिटल में जिले से इलाज कराने हेतु दूर दराज से मरीज आते हैं, परंतु उनकी जांच करके हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है. गुरुजी ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ से प्राथर्ना की है कि इस हॉस्पिटल में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. जिससे कि दूरदराज से आने वाले लोगों को सही समय पर इलाज मिल सके.

नक्शा पास कराने की बाध्यता समाप्त करने का मामला: वहीं, एक अन्य मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 2021 के शासनादेश को जिसमें राज्य सरकार द्वारा 2016 के बाद अस्तित्व में आई नगर पालिका, नगर निगम और ग्राम पंचायतों में आए क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की बाध्यता को समाप्त करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 4 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार, कोटद्वार निवासी गिरी गौरव नैथानी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2021 में एक शासनादेश पारित कर नगरपालिका, नगर निगम और जिला विकास प्राधिकरण में 2016 के बाद अस्तित्व में आए क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की बाध्यता को समाप्त कर दिया. जिसकी वजह से कोटद्वार समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में बे-तरीके निर्माण कार्य हो रहे हैं. भवन बनाते वक्त नक्शा पास कराने के लिए जो राजस्व राज्य सरकार को प्राप्त होती थी, अब सरकार ने उक्त आदेश पारित कर राजस्व की हानि की है. लिहाजा, इस आदेश पर रोक लगाई जाए. जिससे कि बे-तरीके से निर्माण कार्यों पर रोक लग सके.

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