पंचकूला: नशे के खिलाफ हरियाणा सरकार पूरी तरह से गंभीर है. नशा उन्मूलन के लिए सभी एजेंसियों हरकत में है. हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री कुमारी आरती सिंह राव के आदेश के बाद फूड एण्ड ड्रग प्रशासन विभाग (एफडीए) के अधिकारी पूरे राज्य में मेडिकल स्टोर पर छापेमारी कर रहे हैं. छापेमारी के दौरान शेड्यूल एच और एक्स दवाओं की बिक्री और आपूर्ति से संबंधित दस्तावेजों की जांच की जा रही है, ताकि ये दवाइयां सिर्फ डॉक्टरों के पर्ची पर मरीजों को मिले. दवाइयों का उपयोग नशा के तौर पर नहीं किया जा सके.
गड़बड़ी करने वाले मेडिकल स्टोर का लाइसेंस होगा रद्द:
शेड्यूल एच और एक्स श्रेणी में दवाओं का उपयोग नशा के रूप में किये जाने की जानकारी पर हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री कुमारी आरती सिंह राव ने बैठक कर फूड एण्ड ड्रग प्रशासन विभाग (एफडीए) के अधिकारियों को सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे. इसके तहत निगरानी के लिए नियमित रूप से मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण और प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को भी कहा गया था. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने वाले मेडिकल स्टोरों का लाइसेंस भी रद्द करने दुकानों को तुरंत सील करने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई करने का आदेश है.
निःशुल्क उपचार उपलब्धता की जा रही सरलः स्वास्थ्य मंत्री कुमारी आरती सिंह राव की ओर से हरियाणा में "नशा मुक्ति कार्यक्रम" की समीक्षा के दौरान कई निर्देश दिए गए हैं. निर्देश के तहत फूड एण्ड ड्रग प्रशासन विभाग की ओर से प्रदेश में सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में नशे की लत के लिए फ्री उपचार की उपलब्धता को सरल किया जा रहा है. बता दें कि मंत्री की ओर से आदेश में कहा गया है कि उपचार के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाए कि नशे के आदी/रोगी की पहचान गोपनीय रहे. युवाओं को नशीली दवाओं की लत के खतरे से बचाने के लिए और स्कूल/कॉलेज जाने वाले बच्चों को नशे की बुराई के प्रति सचेत करने के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. अभिभावकों से भी अपने बच्चों की आदतों पर विशेष ध्यान देने का आग्रह करने के लिए अधिकारियों को अभियान चलाने के लिए कहा गया है.
33 नशा मुक्ति केंद्रों के लाइसेंस रद्द:
स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने कहा कि राज्य सरकार हरियाणा को नशा मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए समाज के लोगों और पुलिस की समान भागीदारी की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि नशा मुक्ति केंद्रों द्वारा नियमों का पालन नहीं करने के कारण वर्ष 2024 में 33 केंद्रों के लाइसेंस रद्द किए गए. लेकिन राज्य में नशा मुक्ति सेवाओं को मजबूत करने के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित योजना के तहत 17 नए नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना की जा रही है.
4505 केस दर्ज और 7523 नशेड़ियों की पहचान: स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा नशा करने वालों के खिलाफ 4505 एफआईआर दर्ज की गई. इसके अलावा नशा करने वाले 7523 लोगों की पहचान की गई. नशा करने वालों से संपर्क करने और उनका उपचार करने के लिए संबंधित जिला के अधिकारियों के साथ सूची साझा की गई है.
नशे की लत में फंसे मरीजों का इलाज किया गया : स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के निदेशक डॉ. ब्रह्मदीप ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में ओपीडी में 34684 मामूली नशे के आदी मरीजों का इलाज किया गया, जबकि गंभीर रूप से नशे की लत में फंसे 2651 मरीजों को इलाज के लिए भर्ती किया गया. उन्होंने बताया कि इनमें सबसे अधिक नशा करने वाले मामले जिला सिरसा से संबंधित हैं. उन्होंने बताया कि सभी जिलों को राज्य के सभी नशा मुक्ति केंद्रों पर योग्य और आवश्यक कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही सभी जिला नोडल अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान मादक द्रव्यों के सेवन से पीड़ित व्यक्तियों को नशा मुक्ति उपचार सेवाएं प्रदान करने वाले नशा मुक्ति केंद्रों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया संबंधी मानक उपचार दिशा-निर्देशों पर चर्चा की.
बच्चों के नशा मुक्ति के लिए बनेंगे अलग वार्डः डॉ. ब्रह्मदीप ने सभी नशा मुक्ति केंद्रों को एनसीओआरडी समिति के निर्देशानुसार मौजूदा नशा मुक्ति केंद्रों में बच्चों के लिए अलग नशा मुक्ति सुविधाएं या निर्दिष्ट क्षेत्र निर्धारित करने का भी निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग का शीघ्र पता लगाने के लिए, सभी जिला सिविल अस्पतालों में पहले से ही उपलब्ध कराए गए मूत्र औषधि जांच किट का उपयोग किया जाए. ये किट मूत्र के नमूनों में विभिन्न प्रकार की दवाओं जैसे ओपिओइड, कोकीन, कैनबिस, बेंजोडायजेपेन्स, एम्फैटेमिन, बर्बिट्यूरेट्स के सेवन का तेजी से पता लगाती हैं.