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उत्तराखंड के सभी अस्पतालों के लिए अग्नि सुरक्षा एडवाइजरी जारी, जानिए अहम बिंदू - Fire Safety Advisory Uttarakhand

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 28, 2024, 8:55 PM IST

Fire Safety Advisory for Hospitals in Uttarakhand दिल्ली के शिशु केयर अस्पताल में आग लगने से 7 नवजात बच्चों की मौत मामले के बाद उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है. स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों के लिए अग्नि सुरक्षा एडवाइजरी जारी की है.

Directorate General Medical Health and Family Welfare
महानिदेशालय चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (फोटो- ईटीवी भारत)

देहरादून: दिल्ली स्थित शिशु केयर अस्पताल में हुई अग्निकांड की घटना के बाद उत्तराखंड में भी स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग अलर्ट हो गया है. उत्तराखंड के ज्यादातर अस्पतालों के पास फायर एनओसी नहीं है. बावजूद इसके वो संचालित हो रहे हैं. क्योंकि, अग्निशमन विभाग के पुराने एक्ट में कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है. जबकि, नया एक्ट अभी मंजूर नहीं हुआ हैं. जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में मौजूद सभी अस्पतालों के लिए अग्नि सुरक्षा एडवाइजरी जारी दी है.

उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार की ओर से जारी इस एडवाइजरी में प्रदेश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों को तत्काल एवं पूरी तरह से लागू करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सचिव ने अस्पताल प्रबंधन, स्टाफ और नियामक निकायों की सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि यह बेहद जरूरी है कि सभी लोग ऐसी विनाशकारी घटनाओं को रोकने के लिए सकारात्मक कदम उठाएं.

वहीं, अग्नि सुरक्षा एडवाइजरी में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली की ओर से जारी 'स्वास्थ्य सुविधाओं में अग्नि सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देशों' का सख्ती से पालन करने के भी निर्देश दिए गए हैं. जिसमें राज्य अग्निशमन विभाग से वैलिड अग्नि एनओसी, नियमित अग्नि सुरक्षा ऑडिट के साथ ही ऑन-साइट निरीक्षण करने की जरूरत शामिल है.

अग्नि सुरक्षा एडवाइजरी के मुख्य बिंदू-

  • अस्पतालों को सभी जरूरी स्थानों पर अग्निशामक, धुआं डिटेक्टर और अग्नि अलार्म स्थापित करने चाहिए.
  • विशेष रूप से नवजात और गहन चिकित्सा इकाइयों में नियमित निरीक्षण के साथ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वचालित स्प्रिंकलर सिस्टम और अन्य अग्निशमन यंत्र लगे होने चाहिए.
  • अस्पतालों में स्पष्ट रूप से चिन्हित आपातकालीन निकासी अनिवार्य हैं.
  • अस्पतालों का स्थानीय अग्निशमन विभागों और आपातकालीन सेवाओं के साथ तालमेल होना चाहिए.
  • ऑक्सीजन सिलेंडरों या फिर पाइप्ड ऑक्सीजन के उचित स्थान, भंडारण के साथ-साथ सख्त धूम्रपान निषेध नीतियां और ऑक्सीजन के पास हीट सोर्स पर लगाम लगाया जाना चाहिए.
  • अग्नि सुरक्षा, विद्युत तारों, और आपातकालीन अवसंरचना समेत भवन सुरक्षा कोड का पालन होना चाहिए.
  • अस्पतालों में जब नया उपकरण जोड़ा जाता है या फिर किसी वार्ड को आईसीयू में बदला जाता है तो वार्षिक विद्युत लोड ऑडिट करें.
  • सभी अस्पताल कर्मचारियों को व्यापक अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाए.
  • सभी विद्युत उपकरणों, तारों और अन्य संभावित अग्नि खतरों के लिए सख्त रखरखाव की व्यवस्था को लागू करें.
  • नवजात के साथ बाल चिकित्सा इकाइयों पर ध्यान दें. इन क्षेत्रों में उन्नत अग्नि सुरक्षा व्यवस्था हो.
  • आगंतुकों के लिए सख्त दिशा निर्देश स्थापित करें. ताकि, ज्वलनशील सामग्री का जोखिम कम हो.
  • अस्पताल कर्मचारियों को अस्पताल के लेआउट और अग्नि सुरक्षा योजनाओं की जानकारी हो.
  • अग्नि घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए विशिष्ट प्रोटोकॉल विकसित करें.
  • अस्पताल निर्माण और साज-सज्जा में गैर-दहनशील और अग्नि-प्रतिरोधी सामग्री का इस्तेमाल किया जाए.

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देहरादून: दिल्ली स्थित शिशु केयर अस्पताल में हुई अग्निकांड की घटना के बाद उत्तराखंड में भी स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग अलर्ट हो गया है. उत्तराखंड के ज्यादातर अस्पतालों के पास फायर एनओसी नहीं है. बावजूद इसके वो संचालित हो रहे हैं. क्योंकि, अग्निशमन विभाग के पुराने एक्ट में कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है. जबकि, नया एक्ट अभी मंजूर नहीं हुआ हैं. जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में मौजूद सभी अस्पतालों के लिए अग्नि सुरक्षा एडवाइजरी जारी दी है.

उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार की ओर से जारी इस एडवाइजरी में प्रदेश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों को तत्काल एवं पूरी तरह से लागू करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सचिव ने अस्पताल प्रबंधन, स्टाफ और नियामक निकायों की सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि यह बेहद जरूरी है कि सभी लोग ऐसी विनाशकारी घटनाओं को रोकने के लिए सकारात्मक कदम उठाएं.

वहीं, अग्नि सुरक्षा एडवाइजरी में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली की ओर से जारी 'स्वास्थ्य सुविधाओं में अग्नि सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देशों' का सख्ती से पालन करने के भी निर्देश दिए गए हैं. जिसमें राज्य अग्निशमन विभाग से वैलिड अग्नि एनओसी, नियमित अग्नि सुरक्षा ऑडिट के साथ ही ऑन-साइट निरीक्षण करने की जरूरत शामिल है.

अग्नि सुरक्षा एडवाइजरी के मुख्य बिंदू-

  • अस्पतालों को सभी जरूरी स्थानों पर अग्निशामक, धुआं डिटेक्टर और अग्नि अलार्म स्थापित करने चाहिए.
  • विशेष रूप से नवजात और गहन चिकित्सा इकाइयों में नियमित निरीक्षण के साथ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वचालित स्प्रिंकलर सिस्टम और अन्य अग्निशमन यंत्र लगे होने चाहिए.
  • अस्पतालों में स्पष्ट रूप से चिन्हित आपातकालीन निकासी अनिवार्य हैं.
  • अस्पतालों का स्थानीय अग्निशमन विभागों और आपातकालीन सेवाओं के साथ तालमेल होना चाहिए.
  • ऑक्सीजन सिलेंडरों या फिर पाइप्ड ऑक्सीजन के उचित स्थान, भंडारण के साथ-साथ सख्त धूम्रपान निषेध नीतियां और ऑक्सीजन के पास हीट सोर्स पर लगाम लगाया जाना चाहिए.
  • अग्नि सुरक्षा, विद्युत तारों, और आपातकालीन अवसंरचना समेत भवन सुरक्षा कोड का पालन होना चाहिए.
  • अस्पतालों में जब नया उपकरण जोड़ा जाता है या फिर किसी वार्ड को आईसीयू में बदला जाता है तो वार्षिक विद्युत लोड ऑडिट करें.
  • सभी अस्पताल कर्मचारियों को व्यापक अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाए.
  • सभी विद्युत उपकरणों, तारों और अन्य संभावित अग्नि खतरों के लिए सख्त रखरखाव की व्यवस्था को लागू करें.
  • नवजात के साथ बाल चिकित्सा इकाइयों पर ध्यान दें. इन क्षेत्रों में उन्नत अग्नि सुरक्षा व्यवस्था हो.
  • आगंतुकों के लिए सख्त दिशा निर्देश स्थापित करें. ताकि, ज्वलनशील सामग्री का जोखिम कम हो.
  • अस्पताल कर्मचारियों को अस्पताल के लेआउट और अग्नि सुरक्षा योजनाओं की जानकारी हो.
  • अग्नि घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए विशिष्ट प्रोटोकॉल विकसित करें.
  • अस्पताल निर्माण और साज-सज्जा में गैर-दहनशील और अग्नि-प्रतिरोधी सामग्री का इस्तेमाल किया जाए.

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