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देने ही होंगे छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ, HC ने CS प्रबोध सक्सेना को जारी किया नोटिस - HC notice to CS Prabodh Saxena

HC notice to CS Prabodh Saxena: अदालती आदेशों के बावजूद छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ न देने पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को नोटिस दिया है. कोर्ट ने कहा सरकार संसाधनों की कमी के नाम पर पेंशनरों के लाभ अनिश्चितकाल तक प्रतिबंधित नहीं कर सकती.

HP high court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 15, 2024, 7:30 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों के बावजूद छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ न देने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को नोटिस जारी किया है. अदालत ने मुख्य सचिव को नोटिस में चार सप्ताह के अंदर अवमानना याचिका का जवाब देने अथवा अनुपालना शपथपत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए.

एचपी सचिवालय और इससे संबंधत्ता रखने वाली पेंशनर कल्याण एसोसिएशन ने प्रतिवादी अधिकारियों पर अदालती आदेशों की अवमानना का आरोप लगाते हुए यह याचिका दायर की है. हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2024 को अपने फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह एसोसिएशन के सदस्यों को छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ 6 फ़ीसदी ब्याज सहित अदा करे.

कोर्ट ने सरकार को 6 सप्ताह के भीतर बढ़ी हुई पेंशन की बकाया राशि 6 फीसदी ब्याज सहित देने को कहा था. कोर्ट के दिए गए समय के भीतर पेंशनरों को यह लाभ न देने पर दायर अवमानना याचिका की प्रारंभिक सुनवाई में न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने मुख्य सचिव सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया.

उल्लेखनीय है कि उक्त एसोसिएशन की याचिका को स्वीकारते हुए कोर्ट ने कहा था कि सरकार वित्तीय संकट के नाम पर पेंशनरों के वित्तीय लाभ न तो रोक सकती है और न ही देने से इंकार कर सकती है.

सरकार संसाधनों की कमी के नाम पर पेंशनरों के लाभ अनिश्चितकाल तक प्रतिबंधित भी नहीं कर सकती. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि एक बार किसी सेवारत अथवा सेवानिवृत कर्मचारी के पक्ष में वित्तीय लाभ कानूनी रूप से एक्सिस्ट्स हो जाएं तो उन्हें अनिश्चितकाल के लिए न तो रोका जा सकता है और न ही उनमें कोई संशोधन कर कम किया जा सकता है.

सरकार कानूनी रूप से अपने वादों को पूरा करने के लिए बाध्य होती है इसलिए वित्तीय स्थिति का बहाना बनाकर वित्तीय लाभ नहीं रोके जा सकते. प्रार्थी एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक अभी तक कोई वित्तीय लाभ नहीं दिए हैं.

एसोसिएशन का कहना था कि प्रदेश सरकार ने 3 जनवरी 2022 को संशोधित वेतनमान संबंधी नियम बनाए. इन नियमों के तहत सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाया और कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से यह लाभ देने की घोषणा की.

एसोसिएशन का कहना था कि वे भी संशोधित वेतन मान की बकाया राशि पाने के हकदार हैं क्योंकि वे 1 जनवरी 2016 के पहले व बाद में रिटायर हुए थे. 25 फरवरी 2022 को सरकार ने पेंशन नियमों में संशोधन कर 1 जनवरी 2016 के बाद रिटायर होने वाले कर्मियों की डीसीआर ग्रेच्यूटी की सीमा 10 लाख से 20 लाख रुपये कर दी थी.

17 सितम्बर 2022 को सरकार ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर वित्तीय लाभ देने के लिए किश्तें बनाई जिसके अनुसार वित्तीय लाभों की बकाया राशि का भुगतान पांच किश्तों में करने का प्रावधान बनाया गया. प्रार्थियों का कहना है कि उनके वित्तीय लाभ किश्तों में देने का प्रावधान सरासर गलत है. सेवानिवृति लाभ पाना उनका अधिकार है और सरकार ये लाभ देकर उन पर कोई एहसान नहीं कर रही.

सरकार को रिटायर कर्मचारियों के वित्तीय लाभ किश्तों में देने की इजाजत नहीं दी जा सकती और वो भी बिना ब्याज के प्रार्थियों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि जो कर्मचारी 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत हुए हैं. उन्हें वित्तीय लाभ पांच किश्तों में और जो 1 मार्च 2022 से बाद सेवानिवृत हुए हैं उन्हें सभी लाभों का बकाया एक साथ किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: "पूर्व जयराम सरकार में गिरा शिक्षा का स्तर, पांचवीं क्लास के छात्र नहीं पढ़ पा रहे दूसरी क्लास की किताबें"

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों के बावजूद छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ न देने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को नोटिस जारी किया है. अदालत ने मुख्य सचिव को नोटिस में चार सप्ताह के अंदर अवमानना याचिका का जवाब देने अथवा अनुपालना शपथपत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए.

एचपी सचिवालय और इससे संबंधत्ता रखने वाली पेंशनर कल्याण एसोसिएशन ने प्रतिवादी अधिकारियों पर अदालती आदेशों की अवमानना का आरोप लगाते हुए यह याचिका दायर की है. हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2024 को अपने फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह एसोसिएशन के सदस्यों को छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ 6 फ़ीसदी ब्याज सहित अदा करे.

कोर्ट ने सरकार को 6 सप्ताह के भीतर बढ़ी हुई पेंशन की बकाया राशि 6 फीसदी ब्याज सहित देने को कहा था. कोर्ट के दिए गए समय के भीतर पेंशनरों को यह लाभ न देने पर दायर अवमानना याचिका की प्रारंभिक सुनवाई में न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने मुख्य सचिव सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया.

उल्लेखनीय है कि उक्त एसोसिएशन की याचिका को स्वीकारते हुए कोर्ट ने कहा था कि सरकार वित्तीय संकट के नाम पर पेंशनरों के वित्तीय लाभ न तो रोक सकती है और न ही देने से इंकार कर सकती है.

सरकार संसाधनों की कमी के नाम पर पेंशनरों के लाभ अनिश्चितकाल तक प्रतिबंधित भी नहीं कर सकती. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि एक बार किसी सेवारत अथवा सेवानिवृत कर्मचारी के पक्ष में वित्तीय लाभ कानूनी रूप से एक्सिस्ट्स हो जाएं तो उन्हें अनिश्चितकाल के लिए न तो रोका जा सकता है और न ही उनमें कोई संशोधन कर कम किया जा सकता है.

सरकार कानूनी रूप से अपने वादों को पूरा करने के लिए बाध्य होती है इसलिए वित्तीय स्थिति का बहाना बनाकर वित्तीय लाभ नहीं रोके जा सकते. प्रार्थी एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक अभी तक कोई वित्तीय लाभ नहीं दिए हैं.

एसोसिएशन का कहना था कि प्रदेश सरकार ने 3 जनवरी 2022 को संशोधित वेतनमान संबंधी नियम बनाए. इन नियमों के तहत सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाया और कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से यह लाभ देने की घोषणा की.

एसोसिएशन का कहना था कि वे भी संशोधित वेतन मान की बकाया राशि पाने के हकदार हैं क्योंकि वे 1 जनवरी 2016 के पहले व बाद में रिटायर हुए थे. 25 फरवरी 2022 को सरकार ने पेंशन नियमों में संशोधन कर 1 जनवरी 2016 के बाद रिटायर होने वाले कर्मियों की डीसीआर ग्रेच्यूटी की सीमा 10 लाख से 20 लाख रुपये कर दी थी.

17 सितम्बर 2022 को सरकार ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर वित्तीय लाभ देने के लिए किश्तें बनाई जिसके अनुसार वित्तीय लाभों की बकाया राशि का भुगतान पांच किश्तों में करने का प्रावधान बनाया गया. प्रार्थियों का कहना है कि उनके वित्तीय लाभ किश्तों में देने का प्रावधान सरासर गलत है. सेवानिवृति लाभ पाना उनका अधिकार है और सरकार ये लाभ देकर उन पर कोई एहसान नहीं कर रही.

सरकार को रिटायर कर्मचारियों के वित्तीय लाभ किश्तों में देने की इजाजत नहीं दी जा सकती और वो भी बिना ब्याज के प्रार्थियों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि जो कर्मचारी 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत हुए हैं. उन्हें वित्तीय लाभ पांच किश्तों में और जो 1 मार्च 2022 से बाद सेवानिवृत हुए हैं उन्हें सभी लाभों का बकाया एक साथ किया जा रहा है.

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