देहरादून: गैरसैंण में बजट सत्र आहूत न कराए जाने को लेकर सूबे में सियासत गरमा गई है. जहां एक तरफ 40 विधायकों ने ठंड का हवाला देकर हस्ताक्षर युक्त पत्र राज्य सरकार को भेजकर बजट सत्र देहरादून में आहूत करने की मांग की. जिस पर कैबिनेट में हामी भी भर दी गई है तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार पर गैरसैंण की उपेक्षा का आरोप लगाया है. उन्होंने सत्र गैरसैंण में न कराए जाने के फैसले को हिमालयी राज्य उत्तराखंड की अवधारणा से जोड़ा है.
सरकार और विधायकों को लग रही ठंड, हिमालयी राज्य की क्या अवधारणा? पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि उत्तराखंड हिमालयी राज्य के रूप में जाना जाता है. इस हिमालयी राज्य में सरकार और विधायकों को अगर ठंड लग रही है तो फिर हिमालयी राज्य कहे जाने वाले उत्तराखंड की क्या अवधारणा रह जाएगी?
हमें फिर जाना पड़ेगा संसद, हिमालयी राज्य के फैसले को करवाएं निरस्त: हरीश रावत ने कहा कि एक बार फिर हमें संसद जाना पड़ेगा और संसद से जाकर कहना पड़ेगा कि जिस हिमालयी राज्य के रूप में उत्तराखंड का गठन किया गया है, उस फैसले को निरस्त किया जाना चाहिए. इसे सामान्य राज्य के रूप में गठित किया जाना चाहिए.
फायदे के लिए बार-बार लेते हैं गैरसैंण का नाम: हरीश रावत ने कहा कि फायदा लेने के लिए हम बार-बार इसका नाम लेते हैं. जब गैरसैंण में सत्र कराने की बात आती है, तब ठंड का बहाना बना दिया जाता है. उनका कहना है कि यह हिमालय का स्वभाव रहा है कि यहां ठंड और बारिश भी होती है. बर्फबारी, जंगल और चढ़ाई भी रहेगी, लेकिन सरकार इससे घबरा रही है.
विधायकों पर टिप्पणी करना मुनासिब नहीं: वहीं, पूर्व सीएम हरीश रावत ने साफ कहा है कि विधायकों ने क्या किया है? उस पर वो टिप्पणी करना मुनासिब नहीं समझते हैं, लेकिन सरकार के पास यदि कहीं से गैरसैंण में सत्र न कराने का आग्रह आया भी था तो सरकार को हर सूरत में उस आग्रह को स्वीकार नहीं करना चाहिए था.
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