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मशरूम की खेती से हिमाचल की युवती ने बनाई नई पहचान, लाखों में हो रही कमाई - MUSHROOM FARMING SUCCESS STORY

हिमाचल की भावना ने 200 बैग के साथ मशरूम फार्म शुरू किया था. आज उनका टर्नओवर लाखों में पहुंच चुका है

उद्यान विभाग की मदद से शुरू किया मशरूम फॉर्म
उद्यान विभाग की मदद से शुरू किया मशरूम फॉर्म (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 19 hours ago

Updated : 17 hours ago

हमीरपुर: आज पढ़ाई लिखाई के बाद हजारों युवा सरकारी नौकरी के फॉर्म भर रहे हैं, तो कई प्राइवेट नौकरी के लिए लाइनों में धक्के खा रहे हैं. इन सब से अलग हमीरपुर की भावना ने अलग रास्ता चुना. आज भावना ने न सिर्फ कामयाबी के झंडे गाड़े हैं, बल्कि दूसरे युवाओं के लिए भी मिसाल कायम की है.

हमीरपुर के निकटवर्ती भारीं गांव की रहने वाली भावना राणा अपने घर में ही मशरूम फार्मिंग से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं. आज उन्होंने अपने मशरूम फॉर्म में कई लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार भी दिया है. भावना की उद्यमी बनने की इस 'भावना' को आज हर कोई सलाम कर रहा है. एक समय में भावना देहरादून से फूड टेक्नोलॉजी में डिग्री पूरी करने के बाद अच्छी नौकरी की तलाश में थी. कुछ समय तक उन्होंने रियल एस्टेट में भी काम किया, लेकिन उन्हें ये काम पसंद नहीं आया. इस बीच उन्हें उद्यान विभाग की खुम्ब विकास योजना के बारे में पता चला, जिसमें मशरूम फार्म लगाने के लिए सब्सिडी का प्रावधान है.

भावना ने कायम की मिसाल (ETV BHARAT)

200 बैग के साथ की मशरूम फॉर्म की शुरुआत

भावना ने उद्यान विभाग से मिली सब्सिडी और विभागीय अधिकारियों से मार्गदर्शन प्राप्त करके घर में ही 200 बैग के साथ मशरूम फार्मिंग शुरू की. कुछ महीनों में ही उनका ये नया काम रफ्तार पकड़ गया. धीरे धीरे उन्होंने अपने मशरूम फार्म का विस्तार किया. आज उनके फार्म में साढ़े चार हजार मशरूम बैग हैं.

उद्यान विभाग की मदद से शुरू किया मशरूम फॉर्म
उद्यान विभाग की मदद से शुरू किया मशरूम फॉर्म (ETV BHARAT)

एक साल में 25 लाख की कमाई

भावना ने बताया कि, 'पीक सीजन में रोजाना मशरूम के 500 से 1000 पैकेट बाजार में भेज रही हैं. एक दिन में आठ से दस हजार की कमाई रोजाना होती है और एक महीने में दो लाख से अधिक की कमाई हो जाती है. बीते साल में 25 लाख के लगभग की कमाई हुई थी. 2020 से एक कमरे से शुरू हुआ मेरा मशरूम फार्म अब तीन बड़े हॉल से चल रहा है. मैं अपने पूरे फॉर्म में अलग-अलग लॉट्स में मशरूम उगा रही हूं, ताकि मार्केट में सप्लाई का सर्कल रेगुलर चलता रहे.'

गांव की अन्य महिलाओं को भी दिया रोजगार

भावना ने गांव की 6-7 महिलाओं को भी काम पर लगा रखा है. इन महिलाओं के अलावा कुछ अन्य लोगों की भी अप्रत्यक्ष रूप से इसी प्लांट से रोजगार मिल रहा है. भावना प्रगतिशील किसान बनने श्रेय उद्यान विभाग को देती हैं. मशरूम फार्म में मजदूरी कर रहे बिट्टू का कहना है कि, 'मैं पिछले चार साल से यहां काम कर रहा हूं. मेरे साथ कई और लोग भी यहां पर काम करने आते हैं.'

एक कमरे से शुरू किया मशरूम फॉर्म
एक कमरे से शुरू किया मशरूम फॉर्म (ETV BHARAT)

उद्यान विभाग के उप निदेशक राजेश्वर परमार ने कहा कि, 'खुम्ब विकास योजना जो हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग की ओर से चलाई जा रही है. इस योजना के अंतर्गत भावना के पिता संतोष राणा पहले भी मशरूम की खेती कर चुके हैं. मशरूम खेती में फायदा होता देख उन्होंने अपनी बेटी को इस व्यवसाय में लगाया. उन्होंने उद्यान विभाग से बड़ा यूनिट लगाने की मांग की. उद्यान विभाग को उन्होंने 20 लाख का केस बनाकर भेजा था. विभाग ने इन्हें 40% अनुदान योजना के अंतर्गत प्रदान किया. बेरोजगार युवाओं के लिए मशरूम की खेती अच्छा विकल्प है.'

ये भी पढ़ें: तीन बार हुआ फेल, बिना कोचिंग के चौथे प्रयास में अफसर बन गया किसान का बेटा

ये भी पढ़ें: पहले ही प्रयास में अंकुश ने पास की HAS परीक्षा, इसे बताया सफलता का मंत्र

हमीरपुर: आज पढ़ाई लिखाई के बाद हजारों युवा सरकारी नौकरी के फॉर्म भर रहे हैं, तो कई प्राइवेट नौकरी के लिए लाइनों में धक्के खा रहे हैं. इन सब से अलग हमीरपुर की भावना ने अलग रास्ता चुना. आज भावना ने न सिर्फ कामयाबी के झंडे गाड़े हैं, बल्कि दूसरे युवाओं के लिए भी मिसाल कायम की है.

हमीरपुर के निकटवर्ती भारीं गांव की रहने वाली भावना राणा अपने घर में ही मशरूम फार्मिंग से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं. आज उन्होंने अपने मशरूम फॉर्म में कई लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार भी दिया है. भावना की उद्यमी बनने की इस 'भावना' को आज हर कोई सलाम कर रहा है. एक समय में भावना देहरादून से फूड टेक्नोलॉजी में डिग्री पूरी करने के बाद अच्छी नौकरी की तलाश में थी. कुछ समय तक उन्होंने रियल एस्टेट में भी काम किया, लेकिन उन्हें ये काम पसंद नहीं आया. इस बीच उन्हें उद्यान विभाग की खुम्ब विकास योजना के बारे में पता चला, जिसमें मशरूम फार्म लगाने के लिए सब्सिडी का प्रावधान है.

भावना ने कायम की मिसाल (ETV BHARAT)

200 बैग के साथ की मशरूम फॉर्म की शुरुआत

भावना ने उद्यान विभाग से मिली सब्सिडी और विभागीय अधिकारियों से मार्गदर्शन प्राप्त करके घर में ही 200 बैग के साथ मशरूम फार्मिंग शुरू की. कुछ महीनों में ही उनका ये नया काम रफ्तार पकड़ गया. धीरे धीरे उन्होंने अपने मशरूम फार्म का विस्तार किया. आज उनके फार्म में साढ़े चार हजार मशरूम बैग हैं.

उद्यान विभाग की मदद से शुरू किया मशरूम फॉर्म
उद्यान विभाग की मदद से शुरू किया मशरूम फॉर्म (ETV BHARAT)

एक साल में 25 लाख की कमाई

भावना ने बताया कि, 'पीक सीजन में रोजाना मशरूम के 500 से 1000 पैकेट बाजार में भेज रही हैं. एक दिन में आठ से दस हजार की कमाई रोजाना होती है और एक महीने में दो लाख से अधिक की कमाई हो जाती है. बीते साल में 25 लाख के लगभग की कमाई हुई थी. 2020 से एक कमरे से शुरू हुआ मेरा मशरूम फार्म अब तीन बड़े हॉल से चल रहा है. मैं अपने पूरे फॉर्म में अलग-अलग लॉट्स में मशरूम उगा रही हूं, ताकि मार्केट में सप्लाई का सर्कल रेगुलर चलता रहे.'

गांव की अन्य महिलाओं को भी दिया रोजगार

भावना ने गांव की 6-7 महिलाओं को भी काम पर लगा रखा है. इन महिलाओं के अलावा कुछ अन्य लोगों की भी अप्रत्यक्ष रूप से इसी प्लांट से रोजगार मिल रहा है. भावना प्रगतिशील किसान बनने श्रेय उद्यान विभाग को देती हैं. मशरूम फार्म में मजदूरी कर रहे बिट्टू का कहना है कि, 'मैं पिछले चार साल से यहां काम कर रहा हूं. मेरे साथ कई और लोग भी यहां पर काम करने आते हैं.'

एक कमरे से शुरू किया मशरूम फॉर्म
एक कमरे से शुरू किया मशरूम फॉर्म (ETV BHARAT)

उद्यान विभाग के उप निदेशक राजेश्वर परमार ने कहा कि, 'खुम्ब विकास योजना जो हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग की ओर से चलाई जा रही है. इस योजना के अंतर्गत भावना के पिता संतोष राणा पहले भी मशरूम की खेती कर चुके हैं. मशरूम खेती में फायदा होता देख उन्होंने अपनी बेटी को इस व्यवसाय में लगाया. उन्होंने उद्यान विभाग से बड़ा यूनिट लगाने की मांग की. उद्यान विभाग को उन्होंने 20 लाख का केस बनाकर भेजा था. विभाग ने इन्हें 40% अनुदान योजना के अंतर्गत प्रदान किया. बेरोजगार युवाओं के लिए मशरूम की खेती अच्छा विकल्प है.'

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Last Updated : 17 hours ago
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