ETV Bharat / state

ज्ञानवापी केस; तहखाने में पूजा-पाठ के लिए दान में मिला इलेक्ट्रॉनिक घंटा-घड़ियाल और नगाड़ा, महिलाओं ने बांटी मिठाई

Allahabad High Court Order: ज्ञानवापी पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी में अधिवक्ता और वादी पक्ष की महिलाओं ने खुशी का इजहार किया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 26, 2024, 3:45 PM IST

Updated : Feb 26, 2024, 9:19 PM IST

एक श्रद्धालु की तरफ से बाबा के चरणों में इलेक्ट्रॉनिक घंटा-घड़ियाल और नगाड़ा भेंट किया गया है.

वाराणसी: ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर सोमवार को हाईकोर्ट की तरफ से ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाना में पूजा पाठ चालू रखने के आदेश के बाद वकीलों और वादिनी महिलाओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई तो वही एक श्रद्धालु की तरफ से बाबा के चरणों में इलेक्ट्रॉनिक घंटा-घड़ियाल और नगाड़ा भी भेंट किया गया. इसके पहले काफी भारी एक पीतल का घंटा एक श्रद्धालु की तरफ से दिया गया था लेकिन बेसमेंट की दीवारें कमजोर होने की वजह से उसे अंदर लगाया नहीं जा सका. जिसके बाद इस श्रद्धालु की तरफ से यह इलेक्ट्रॉनिक घंटा और ढोल दान किया गया है. जिसे आज इस मुकदमे से संबंधित वकीलों तक पहुंचाया गया है . अब जिलाधिकारी वाराणसी के जरिए वहां तक भेजने की तैयारी की जा रही है.

इस बारे में अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि हाई कोर्ट में सिविल रिवीजन में फैसला हिंदू पक्ष में आने के बाद वाराणसी के लंका क्षेत्र के रहने वाले संजय चौरसिया और सत्य प्रकाश की तरफ से एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी घंटा व्यास जी के तहखाना में दान स्वरूप दिया गया है. बताया कि उनकी यह हार्दिक इच्छा थी कि भगवान की हर वक्त की आरती में घंटा-घड़ियाल बजना चाहिए. जिसकी इच्छा के साथ उन्होंने इसे दान किया है. वहीं संध्या चौरसिया का कहना है कि उनकी इच्छा थी कि वहां पर पूजा पाठ के दौरान हिंदू रीति रिवाज से घंटा-घड़ियाल बजना चाहिए. इसीलिए यह चीजें दान में की हैं.

वहीं कोर्ट के फैसले के बाद वादी पक्ष की महिलाओं और वकीलों ने कचहरी में एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया. ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ जारी रखने के मामले में पिछले दिनों वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश्व ने अपने रिटायरमेंट वाले दिन पूजा पाठ फिर से शुरू करने का आदेश दिया था.

ज्ञानवापी पर हाईकोर्ट के आदेश को लेकर वकीलों और वादी पक्ष की महिलाओं ने मिठाई बांटी.

31 जनवरी के आदेश के बाद रातों-रात वहां पर पूजा पाठ शुरू करने का काम शुरू करते हुए जिला प्रशासन की तरफ से पूजा पाठ शुरू करवा दी गई थी. जिसके बाद नाराज मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट इलाहाबाद में एप्लीकेशन दाखिल करके तत्काल पूजा बंद की जाने की अपील की थी.

जिस पर सुनवाई की जा रही थी. आज कोर्ट ने अपना निर्णय देते हुए पूजा पाठ जारी रखने का आदेश दिया है. इसके बाद वाराणसी में अधिवक्ता और वादी पक्ष की महिलाओं ने खुशी का इजहार किया है. वादी पक्ष की अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि 1993 में बिना किसी आदेश के प्रशासन ने पूजा पाठ बंद करवा दी गई थी. जिसे अब तक मुस्लिम पक्ष कोई भी सबूत न्यायालय में नहीं दे पाया है.

High Court Order
High Court Order

यह तर्क का संगत नहीं था न्यायालय ने यह कहकर पूजा पाठ जारी रखने का आदेश दिया है. इससे हमें बेहद खुशी है. वह बार-बार पूजा बंद करने की मांग कर रहे हैं. हम तो यह कहते हैं, वहां नमाज ही बंद होनी चाहिए, क्योंकि वह हमारे भगवान का घर है, जिस पर इन्होंने कब्जा कर रखा है.

मंदिर के मुख्य कार्यपालिका अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा का कहना है कि जिस तरह से 6 अलग-अलग समय की आरती और अखंड रामायण 31 जनवरी के आदेश के बाद जारी थी वह जारी रहेगी.

मंगला आरती, भोग आरती, सप्त ऋषि आरती, श्रृंगार आरती, शयन आरती के अलावा वहां पर भगवान विष्णु की प्रतिमा होने की वजह से श्री राम आरती भी शाम को की जाती है. यह सभी 6 आरतियां आगे भी जारी रहेगी और तहखाना में अखंड रामायण का जो पाठ हो रहा है वह भी होता रहेगा.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का काशी के संत समाज ने स्वागत किया है. काशी के विद्वान और साधु संतों में इस फैसले को लेकर काफी उत्साह है. हिंदू पक्ष भी हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत कर रहा है.

स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती ने कहा कि काशी ज्ञानवापी पंडित सोमनाथ व्यास तल गृह पर उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट एक सुखदायक फैसला है. पूजा नहीं बंद हो सकती है. पूजा जब प्रारंभ हुई तो मुस्लिम समुदाय को आपत्ति थी. अनादि काल से ताल गृह पर हमारा अधिकार था. हमने पूजन किया है.

अनादि काल का शब्द इसलिए प्रयोग कर रहा हूं क्योंकि औरंगजेब ने 1669 में मंदिर तुड़वाया. लेकिन उसके पहले से वहां पर पूजन अर्चन होता था. विश्वनाथ मंदिर हमारा है. निर्णय ने इस बात की पुष्टि की है. अखिल भारतीय संत समिति हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करती है.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी केस; मुस्लिम पक्ष को HC से झटका, दोनों याचिका खारिज, तहखाने में जारी रहेगी पूजा

एक श्रद्धालु की तरफ से बाबा के चरणों में इलेक्ट्रॉनिक घंटा-घड़ियाल और नगाड़ा भेंट किया गया है.

वाराणसी: ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर सोमवार को हाईकोर्ट की तरफ से ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाना में पूजा पाठ चालू रखने के आदेश के बाद वकीलों और वादिनी महिलाओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई तो वही एक श्रद्धालु की तरफ से बाबा के चरणों में इलेक्ट्रॉनिक घंटा-घड़ियाल और नगाड़ा भी भेंट किया गया. इसके पहले काफी भारी एक पीतल का घंटा एक श्रद्धालु की तरफ से दिया गया था लेकिन बेसमेंट की दीवारें कमजोर होने की वजह से उसे अंदर लगाया नहीं जा सका. जिसके बाद इस श्रद्धालु की तरफ से यह इलेक्ट्रॉनिक घंटा और ढोल दान किया गया है. जिसे आज इस मुकदमे से संबंधित वकीलों तक पहुंचाया गया है . अब जिलाधिकारी वाराणसी के जरिए वहां तक भेजने की तैयारी की जा रही है.

इस बारे में अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि हाई कोर्ट में सिविल रिवीजन में फैसला हिंदू पक्ष में आने के बाद वाराणसी के लंका क्षेत्र के रहने वाले संजय चौरसिया और सत्य प्रकाश की तरफ से एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी घंटा व्यास जी के तहखाना में दान स्वरूप दिया गया है. बताया कि उनकी यह हार्दिक इच्छा थी कि भगवान की हर वक्त की आरती में घंटा-घड़ियाल बजना चाहिए. जिसकी इच्छा के साथ उन्होंने इसे दान किया है. वहीं संध्या चौरसिया का कहना है कि उनकी इच्छा थी कि वहां पर पूजा पाठ के दौरान हिंदू रीति रिवाज से घंटा-घड़ियाल बजना चाहिए. इसीलिए यह चीजें दान में की हैं.

वहीं कोर्ट के फैसले के बाद वादी पक्ष की महिलाओं और वकीलों ने कचहरी में एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया. ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ जारी रखने के मामले में पिछले दिनों वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश्व ने अपने रिटायरमेंट वाले दिन पूजा पाठ फिर से शुरू करने का आदेश दिया था.

ज्ञानवापी पर हाईकोर्ट के आदेश को लेकर वकीलों और वादी पक्ष की महिलाओं ने मिठाई बांटी.

31 जनवरी के आदेश के बाद रातों-रात वहां पर पूजा पाठ शुरू करने का काम शुरू करते हुए जिला प्रशासन की तरफ से पूजा पाठ शुरू करवा दी गई थी. जिसके बाद नाराज मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट इलाहाबाद में एप्लीकेशन दाखिल करके तत्काल पूजा बंद की जाने की अपील की थी.

जिस पर सुनवाई की जा रही थी. आज कोर्ट ने अपना निर्णय देते हुए पूजा पाठ जारी रखने का आदेश दिया है. इसके बाद वाराणसी में अधिवक्ता और वादी पक्ष की महिलाओं ने खुशी का इजहार किया है. वादी पक्ष की अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि 1993 में बिना किसी आदेश के प्रशासन ने पूजा पाठ बंद करवा दी गई थी. जिसे अब तक मुस्लिम पक्ष कोई भी सबूत न्यायालय में नहीं दे पाया है.

High Court Order
High Court Order

यह तर्क का संगत नहीं था न्यायालय ने यह कहकर पूजा पाठ जारी रखने का आदेश दिया है. इससे हमें बेहद खुशी है. वह बार-बार पूजा बंद करने की मांग कर रहे हैं. हम तो यह कहते हैं, वहां नमाज ही बंद होनी चाहिए, क्योंकि वह हमारे भगवान का घर है, जिस पर इन्होंने कब्जा कर रखा है.

मंदिर के मुख्य कार्यपालिका अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा का कहना है कि जिस तरह से 6 अलग-अलग समय की आरती और अखंड रामायण 31 जनवरी के आदेश के बाद जारी थी वह जारी रहेगी.

मंगला आरती, भोग आरती, सप्त ऋषि आरती, श्रृंगार आरती, शयन आरती के अलावा वहां पर भगवान विष्णु की प्रतिमा होने की वजह से श्री राम आरती भी शाम को की जाती है. यह सभी 6 आरतियां आगे भी जारी रहेगी और तहखाना में अखंड रामायण का जो पाठ हो रहा है वह भी होता रहेगा.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का काशी के संत समाज ने स्वागत किया है. काशी के विद्वान और साधु संतों में इस फैसले को लेकर काफी उत्साह है. हिंदू पक्ष भी हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत कर रहा है.

स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती ने कहा कि काशी ज्ञानवापी पंडित सोमनाथ व्यास तल गृह पर उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट एक सुखदायक फैसला है. पूजा नहीं बंद हो सकती है. पूजा जब प्रारंभ हुई तो मुस्लिम समुदाय को आपत्ति थी. अनादि काल से ताल गृह पर हमारा अधिकार था. हमने पूजन किया है.

अनादि काल का शब्द इसलिए प्रयोग कर रहा हूं क्योंकि औरंगजेब ने 1669 में मंदिर तुड़वाया. लेकिन उसके पहले से वहां पर पूजन अर्चन होता था. विश्वनाथ मंदिर हमारा है. निर्णय ने इस बात की पुष्टि की है. अखिल भारतीय संत समिति हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करती है.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी केस; मुस्लिम पक्ष को HC से झटका, दोनों याचिका खारिज, तहखाने में जारी रहेगी पूजा

Last Updated : Feb 26, 2024, 9:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.