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स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट की हो सकती CBI जांच, HC ने अफसरों को आदतों में सुधार करने की दी चेतावनी - Gwalior Swarnrekha river issue - GWALIOR SWARNREKHA RIVER ISSUE

ग्वालियर की जीवनदायनी कही जाने वाली स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार को लेकर हाई कोर्ट एक बार फिर अधिकारियों के रवैए पर नाराज नजर आ रहा है. शुक्रवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने यहां तक कह दिया की जिम्मेदार अपनी आदतों में सुधार नहीं करेंगे, तो मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया जाएगा. मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

Gwalior Swarnrekha river issue
स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट की हो सकती CBI जांच, HC ने अफसरों को आदतों में सुधार करने की दी चेतावनी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 12, 2024, 7:54 PM IST

Updated : Apr 12, 2024, 8:11 PM IST

स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट की हो सकती CBI जांच

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में वर्षों पहले शुरू हुआ स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार का प्रोजेक्ट पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है. कई बार इस प्रोजेक्ट को लेकर धांधली और घोटालाबाजी की खबरें भी सामने आती रही है. ऐसे में स्वर्ण रेखा नदी पर लगी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खुद उच्च न्यायालय कई बार नगर निगम और उस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों को खरी खोटी सुना चुका है और जमकर फटकार लगा चुका है.

स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट की सीबीआई जांच कराने की कही बात

शुक्रवार को एक बार फिर स्वर्ण रेखा नदी के मामले में हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई की. इस दौरान डबल बेंच के जस्टिस रोहित आर ने अफसर के रवैया को लेकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि जिस तरह का रवैया नगर निगम के अफसर का है. यह मामला आगे सीबीआई को सौंप देंगे. साथ ही इस प्रोजेक्ट से जुड़ी वर्किंग के खिलाफ सीबीआई की जांच करेंगे और पूरा रिकॉर्ड भी चेक करवाया जाएगा. उन्होंने कहा कि नगर निगम के अफसर परीक्षा ले रहे हैं, न्यायालय में झूठ बोल रहे हैं.

Gwalior Swarnrekha river issue
नाले में तब्दील हुई स्वर्ण रेखा नदी

न्यायालय ने जतायी नाराजगी, खर्च का मांगा रिकॉर्ड

मामले से जुड़े हाई कोर्ट के वकील अवधेश तोमर ने बताया कि 'आज उच्च न्यायालय ने स्वर्णरेखा नदी से तब्दील नाले पर सुनवाई करते हुए नगर निगम से यह पूछा है कि पिछले 1 दशक में स्वर्ण रेखा पर कितना खर्च किया गया है, लेकिन निगम के जिम्मेदार अफसर इसका जवाब नहीं दे पाए. हालांकि न्यायालय ने इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख लगा दी है.

हाईकोर्ट ने की टिप्पणी- कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं अफसर

स्वर्ण रेख से गई जुड़े एक ओर मामले में भी उच्च न्यायालय ने सुनवाई की. स्वर्ण रेखा नदी में भरे गंदे पानी के सैंपल लिए गए थे. जिसे नगर निगम के अफसरों ने बरसात का पानी बताया था, लेकिन जब इसका सैंपल चेक कराया गया तो रिपोर्ट में पानी सीवर का निकला. जिसको लेकर भी कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. न्यायालय ने कहा कि अधिकारी सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं. जबकि धरातल पर कुछ भी नहीं है. मामले को लेकर उच्च न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है की क्यों ना इस केस की सीबीआई इंक्वारी कर ली जाए. इस टिप्पणी के बाद हाई कोर्ट ने नगर निगम को सोमवार की तारीख दी है. जिसमें ग्वालियर के सीवर प्रोजेक्ट पर खर्च का ब्यौरा देना होगा. साथ ही एक बार फिर सैंपल की जांच होगी और उसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की जाएगी.

यहां पढ़ें...

ग्वालियर की स्वर्णरेखा के जीर्णोद्धार मामले में हाईकोर्ट ने नगर निगम व स्मार्ट सिटी प्रबंधन पर की तल्ख टिप्पणी

स्वर्ण रेखा नदी को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती, गलत हलफनामा पेश करने पर निगम कमिश्नर को कड़ी फटकार

खतरे में 'स्वर्णरेखा' का अस्तित्व, शिवराज सरकार के लिए अनोखी नदी बनी प्रयोगशाला

कांग्रेस ने भाजपा को ठहराया स्वर्ण रेखा की हालत का जिम्मेदार

वहीं स्वर्णरखा के इस मामले को लेकर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा ने इन हालातों के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया है. उनका कहना है कि प्रदेश में पिछले 20 सालों से भाजपा की सरकार है, पर 50 सालों से ग्वालियर नगर निगम में भी ग्वालियर की सरकार रही है. उन्होंने कहा यह चिंता का विषय है कि हाई कोर्ट को इस तरह की टिप्पणी करनी पड़ी है. यह कुछ सोचिए कि आज जिस प्रकार स्वर्णरेखा नदी से एक नाले में परिवर्तित हो गई है. ग्वालियर की जीवनदायनी स्वर्ण रेखा को जिस तरह का संरक्षण मिलना चाहिए था. जिस तरह जीर्णोद्धार होना चाहिए था, वह कुछ नहीं हुआ बल्कि उसकी दुर्दशा हो गई. उसमें नाले सीवर सब कुछ जाने लगा.

गिरते जलस्तर की वजह है स्वर्ण रेखा की बदहाली

उन्होंने कहा कि दलगत राजनीति से उठकर अब सभी को एक होकर ग्वालियर की इस जीवनदायिनी नदी को पुनर्जीवित करने का काम सबको मिलकर करना चाहिए, क्योंकि जब तक स्वर्ण रेखा नदी ग्वालियर में थी, तब तक ग्वालियर में जलस्तर ठीक था लेकिन आज जलस्तर में भारी गिरावट आ चुकी है और जिसका काम है आज आने वाले भविष्य में भी देखने को मिलेगा.

स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट की हो सकती CBI जांच

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में वर्षों पहले शुरू हुआ स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार का प्रोजेक्ट पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है. कई बार इस प्रोजेक्ट को लेकर धांधली और घोटालाबाजी की खबरें भी सामने आती रही है. ऐसे में स्वर्ण रेखा नदी पर लगी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खुद उच्च न्यायालय कई बार नगर निगम और उस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों को खरी खोटी सुना चुका है और जमकर फटकार लगा चुका है.

स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट की सीबीआई जांच कराने की कही बात

शुक्रवार को एक बार फिर स्वर्ण रेखा नदी के मामले में हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई की. इस दौरान डबल बेंच के जस्टिस रोहित आर ने अफसर के रवैया को लेकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि जिस तरह का रवैया नगर निगम के अफसर का है. यह मामला आगे सीबीआई को सौंप देंगे. साथ ही इस प्रोजेक्ट से जुड़ी वर्किंग के खिलाफ सीबीआई की जांच करेंगे और पूरा रिकॉर्ड भी चेक करवाया जाएगा. उन्होंने कहा कि नगर निगम के अफसर परीक्षा ले रहे हैं, न्यायालय में झूठ बोल रहे हैं.

Gwalior Swarnrekha river issue
नाले में तब्दील हुई स्वर्ण रेखा नदी

न्यायालय ने जतायी नाराजगी, खर्च का मांगा रिकॉर्ड

मामले से जुड़े हाई कोर्ट के वकील अवधेश तोमर ने बताया कि 'आज उच्च न्यायालय ने स्वर्णरेखा नदी से तब्दील नाले पर सुनवाई करते हुए नगर निगम से यह पूछा है कि पिछले 1 दशक में स्वर्ण रेखा पर कितना खर्च किया गया है, लेकिन निगम के जिम्मेदार अफसर इसका जवाब नहीं दे पाए. हालांकि न्यायालय ने इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख लगा दी है.

हाईकोर्ट ने की टिप्पणी- कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं अफसर

स्वर्ण रेख से गई जुड़े एक ओर मामले में भी उच्च न्यायालय ने सुनवाई की. स्वर्ण रेखा नदी में भरे गंदे पानी के सैंपल लिए गए थे. जिसे नगर निगम के अफसरों ने बरसात का पानी बताया था, लेकिन जब इसका सैंपल चेक कराया गया तो रिपोर्ट में पानी सीवर का निकला. जिसको लेकर भी कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. न्यायालय ने कहा कि अधिकारी सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं. जबकि धरातल पर कुछ भी नहीं है. मामले को लेकर उच्च न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है की क्यों ना इस केस की सीबीआई इंक्वारी कर ली जाए. इस टिप्पणी के बाद हाई कोर्ट ने नगर निगम को सोमवार की तारीख दी है. जिसमें ग्वालियर के सीवर प्रोजेक्ट पर खर्च का ब्यौरा देना होगा. साथ ही एक बार फिर सैंपल की जांच होगी और उसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की जाएगी.

यहां पढ़ें...

ग्वालियर की स्वर्णरेखा के जीर्णोद्धार मामले में हाईकोर्ट ने नगर निगम व स्मार्ट सिटी प्रबंधन पर की तल्ख टिप्पणी

स्वर्ण रेखा नदी को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती, गलत हलफनामा पेश करने पर निगम कमिश्नर को कड़ी फटकार

खतरे में 'स्वर्णरेखा' का अस्तित्व, शिवराज सरकार के लिए अनोखी नदी बनी प्रयोगशाला

कांग्रेस ने भाजपा को ठहराया स्वर्ण रेखा की हालत का जिम्मेदार

वहीं स्वर्णरखा के इस मामले को लेकर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा ने इन हालातों के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया है. उनका कहना है कि प्रदेश में पिछले 20 सालों से भाजपा की सरकार है, पर 50 सालों से ग्वालियर नगर निगम में भी ग्वालियर की सरकार रही है. उन्होंने कहा यह चिंता का विषय है कि हाई कोर्ट को इस तरह की टिप्पणी करनी पड़ी है. यह कुछ सोचिए कि आज जिस प्रकार स्वर्णरेखा नदी से एक नाले में परिवर्तित हो गई है. ग्वालियर की जीवनदायनी स्वर्ण रेखा को जिस तरह का संरक्षण मिलना चाहिए था. जिस तरह जीर्णोद्धार होना चाहिए था, वह कुछ नहीं हुआ बल्कि उसकी दुर्दशा हो गई. उसमें नाले सीवर सब कुछ जाने लगा.

गिरते जलस्तर की वजह है स्वर्ण रेखा की बदहाली

उन्होंने कहा कि दलगत राजनीति से उठकर अब सभी को एक होकर ग्वालियर की इस जीवनदायिनी नदी को पुनर्जीवित करने का काम सबको मिलकर करना चाहिए, क्योंकि जब तक स्वर्ण रेखा नदी ग्वालियर में थी, तब तक ग्वालियर में जलस्तर ठीक था लेकिन आज जलस्तर में भारी गिरावट आ चुकी है और जिसका काम है आज आने वाले भविष्य में भी देखने को मिलेगा.

Last Updated : Apr 12, 2024, 8:11 PM IST
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