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पेट में घुसे थे 3 सरिये, अस्पताल में 8 दिन जिंदगी की जंग लड़ा छोटू, अंततः आई दुखद खबर

ग्वालियर में निर्माण कार्य के दौरान पेट में घुसे सरिये जानलेवा साबित हुए. जिंदगी से कड़ा संघर्ष के बाद आखिरकार छोटू ने दम तोड़ दिया.

Gwalior iron rods entered laborer
अस्पताल में 8 दिन जिंदगी की जंग लड़ा छोटू, अंततः मौत (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 7, 2024, 10:38 AM IST

ग्वालियर। गरीब की जान कितनी सस्ती है, ये मजदूर छोटू की मौत ने फिर साबित कर दिया. ग्वालियर के घासमंडी इलाके में रहने वाला छोटू जाटव हर दिन की तरह 29 अक्टूबर को घर से काम पर निकला था. रेलवे स्टेशन पर चल रहे निर्माण कार्य में मजदूरी करने पहुंचा था. लेकिन ऊंचाई पर असुंतलित होकर नीचे गिरा तो शरीर में एक दो नहीं बल्कि लोहे के 12 एमएम के 3 सरिए पेट के आरपार हो गए. उसे तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाया गया. लेकिन पेट में घुसे सरियों को निकालना डॉक्टर्स के लिए बड़ी चुनौती थी.

डॉक्टर्स ने जटिल ऑपरेशन कर बचाई थी जान

डॉक्टर्स ने सरियों को काटने का फ़ैसला किया. ग्राइंडर से सरिये काटे गए. इसके बाद जटिल और सफल ऑपरेशन कर शरीर के अंदर से भी लोहे के सरियों को निकाला गया. ऑपरेशन के बाद जब छोटू ने आंखें खोली तो डॉक्टर्स के साथ अस्पताल में मौजूद हर इंसान के चहरे पर खुशी थी. ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी घायल छोटू से मिलने पहुंचे. डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद उसे वेंटीलेटर पर रखा. छोटू के भाई सोनू ने बताया कि "तीन दिन से भाई वेंटीलेटर पर था, क्योंकि फेफड़ों में इन्फेक्शन था. डॉक्टर कह रहे थे कि वह ठीक हो रहा है, लेकिन मंगलवार को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई. कुछ ही देर में सब खत्म हो गया. छोटू जिंदगी की जंग हार गया".

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मजदूर छोटू के फेफड़ों में फैल गया था इन्फेक्शन

मंगलवार को छोटू का अंतिम संस्कार कर दिया गया. सीएमएचओ सचिन श्रीवास्तव का कहना है "डॉक्टर्स अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि मरीज को स्वस्थ कर घर भेजें, लेकिन कभी-कभी इस तरह की स्थिति का भी सामना करना पड़ता है. सभी डॉक्टर्स ने पूरा प्रयास किया और रिकवरी भी हो रही थी, लेकिन फेंफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से छोटू जाटव की मौत हो गई."

ग्वालियर। गरीब की जान कितनी सस्ती है, ये मजदूर छोटू की मौत ने फिर साबित कर दिया. ग्वालियर के घासमंडी इलाके में रहने वाला छोटू जाटव हर दिन की तरह 29 अक्टूबर को घर से काम पर निकला था. रेलवे स्टेशन पर चल रहे निर्माण कार्य में मजदूरी करने पहुंचा था. लेकिन ऊंचाई पर असुंतलित होकर नीचे गिरा तो शरीर में एक दो नहीं बल्कि लोहे के 12 एमएम के 3 सरिए पेट के आरपार हो गए. उसे तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाया गया. लेकिन पेट में घुसे सरियों को निकालना डॉक्टर्स के लिए बड़ी चुनौती थी.

डॉक्टर्स ने जटिल ऑपरेशन कर बचाई थी जान

डॉक्टर्स ने सरियों को काटने का फ़ैसला किया. ग्राइंडर से सरिये काटे गए. इसके बाद जटिल और सफल ऑपरेशन कर शरीर के अंदर से भी लोहे के सरियों को निकाला गया. ऑपरेशन के बाद जब छोटू ने आंखें खोली तो डॉक्टर्स के साथ अस्पताल में मौजूद हर इंसान के चहरे पर खुशी थी. ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी घायल छोटू से मिलने पहुंचे. डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद उसे वेंटीलेटर पर रखा. छोटू के भाई सोनू ने बताया कि "तीन दिन से भाई वेंटीलेटर पर था, क्योंकि फेफड़ों में इन्फेक्शन था. डॉक्टर कह रहे थे कि वह ठीक हो रहा है, लेकिन मंगलवार को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई. कुछ ही देर में सब खत्म हो गया. छोटू जिंदगी की जंग हार गया".

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मजदूर छोटू के फेफड़ों में फैल गया था इन्फेक्शन

मंगलवार को छोटू का अंतिम संस्कार कर दिया गया. सीएमएचओ सचिन श्रीवास्तव का कहना है "डॉक्टर्स अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि मरीज को स्वस्थ कर घर भेजें, लेकिन कभी-कभी इस तरह की स्थिति का भी सामना करना पड़ता है. सभी डॉक्टर्स ने पूरा प्रयास किया और रिकवरी भी हो रही थी, लेकिन फेंफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से छोटू जाटव की मौत हो गई."

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