ग्वालियर. रिश्ते बनाना जितना आसान होता है उन्हें निभाना उतना ही बड़ी जिम्मेदारी मानी जाती है. जब दो लोग विवाह सूत्र में बंध जाते हैं तो मरते दम तक जीवन साथी कहलाते हैं पर वर्तमान परिदृश्य में लोग अपनी ही गलत आदतों से अच्छे-खासे रिश्तों की बलि चढ़ा रहे हैं. इन दिनों पति-पत्नी के बीच झगड़े, रिश्ते टूटने और तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. महिला थाना व परिवार परामर्श केंद्रों पर नवदंपतियों की भीड़ हैरान करने वाली है. इसके पीछे की वजह भी काफी चौंकाने वाली है क्योंकि इन रिश्तों में दरार की वजह कुछ और नहीं बल्कि हर वक्त हाथ में होने वाला मोबाइल फोन और लोगों की नासमझी है.
चुगली से परेशान पति, हर बात मायके में बताती है
मध्य प्रदेश के ग्वालियर के महिला थाने में पिछले 5 महीने में दंपतियों के बीच विवाद के लगभग 800 प्रकरण आए हैं लेकिन खास बात यह है कि इन सभी मामलों में ज्यादातर विवाद की जड़ मोबाइल फोन, मायके में चुगली और आपसी विश्वास की कमी है. कई दंपतियों के बीच एक बात सामान्य थी और वो यह कि पत्नी द्वारा ससुराल की हर बात मायके में बताना. इन मामलों में पतियों ने आरोप लगाए कि उनकी पत्नियां हमेशा ससुराल में हुई हर बात की मायके में चुगली करती हैं और मायके पक्ष के लोग अक्सर उन बातों पर पत्नी को भड़काते रहते हैं, जिस वजह से पति-पत्नी के बीच आए दिन कलह होती रही है. इनमें से एक मामले में पति को पत्नी के मोबाइल रखने पर भी आपत्ति थी.
परिवार को नहीं, पति मोबाइल को देते हैं समय
वहीं महिला थाने में आपसी विवाद पर एक महिला ने कहा, '' पति दिनभर काम से बाहर रहते हैं और जब घर आते भी हैं तो ना बच्चों को समय देते हैं ना ही उसे. सिर्फ मोबाइल में लगे रहते हैं और जब मोबाइल रखने के लिए कहती हूं तो झगड़ा हो जाता है.'' महिला का कहना था कि उसे मोबाइल नहीं पति चाहिए.
मोबाइल का पासवर्ड शक की वजह
इसके अलावा इन मामलों में एक और बड़ी समस्या यह निकलकर आई कि मोबाइल फोन का पासवर्ड पति-पत्नी के बीच शक और कलह की वजह बन गया. किसी भी रिश्ते में भरोसा सबसे अहम होता है पर पति-पत्नी अपनी हरकतों से पहले खुद रिश्तों में शक पैदा करते हैं और फिर एक दूसरे पर शक करने का आरोप लगाते हैं. पति और पत्नी एक दूसरे के मोबाइल फोन का पासवर्ड जानना चाहते हैं और पासवर्ड नहीं देने पर अक्सर शक की सुई एक दूसरे की ओर हो जाती है और फिर रिश्ते में दरार आनी शुरू हो जाती है.
रोज थाने पहुंच रहे ऐसे मामले
महिला सुरक्षा डीएसपी किरण अहिरवार ने बताया है कि महिला थाने में आने वाले ज्यादातर मामलों में विवाद की वजह मोबाइल फोन, महिलाओं का मायके पक्ष या किसी अन्य से घंटों बाते करना, पति-पत्नी द्वारा मोबाइल पासवर्ड शेयर नहीं करना, एक दूसरे को समय नहीं देना शामिल है. ज्यादातर मामलों में सामने आया है कि महिलाएं घंटों तक मोबाइल फोन पर मायके पक्ष या किसी ना किसी से बात करनी मैं व्यस्त रहती हैं जिसकी वजह से अक्सर आपसी कलह बड़े विवाद का रूप ले लेती है और झगड़ा पहले महिला थाने तक और फिर न्यायालय तक पहुंच जाता है. इसलिए बेहतर है कि पति-पत्नी को यह बात समझनी चाहिए कि वे एक दूसरे को और अपने रिश्ते को प्राथमिकता दें और बाकी चीजों को सेकेंडरी रखें.
पति-पत्नी के बीच कम हो रही सहनशीलता
महिला सुरक्षा डीएसपी किरण अहिरवार ने कहा, '' ऐसे मामलों में हमारा हर संभव प्रयास यही होता है कि काउंसलिंग के जरिए दोनों के बीच की दरार भर जाए और उनके घर एक बार फिर बस जाए.'' वहीं महिला थाना प्रभारी दीप्ति तोमर का मानना है कि उनके थाने में आने वाली ज्यादातर शिकायतों में एक बात सामान्य है और वह है सहनशीलता की कमी. यहां आने वाले लगभग अधिकांश मामलों में पति-पत्नी के बीच सहनशीलता की कमी देखी जाती है वह एक दूसरे की बात को समझना-सुनना नहीं चाहते और इसी वजह से विवाद बढ़ता है. इसलिए रिश्ते को बचाए रखने और घर टूटने से बचाने के लिए बेहतर है कि पति-पत्नी केवल एक दूसरे की बातें सुनें-समझें, आपसी समझ के साथ भरोसा करें और हो सके तो मोबाइल को घर में ज्यादा समय देने से बेहतर है अपने परिवार के लोगों के साथ बैठकर समय बिताएं.
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बढ़ रहा विवादों का आंकड़ा
बात अगर आंकड़ों की करें तो छोटी-मोटी बातों पर पत्नी और पति के बीच होने वाले विवाद अक्सर बड़े रूप ले लेते हैं और घर टूटने जैसी नौबत भी आ जाती है. वहीं विवादों का कारण और उससे जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं. ग्वालियर के महिला थाने में 1 जनवरी से 10 जून तक पति-पत्नी के आपसी विवाद के करीब 793 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें मोबाइल फोन की वजह से होने वाले विवाद भी शामिल हैं. जबकि पिछले पूरे साल में इन शिकायतों का आंकड़ा 1570 था.
हालांकि, महिला पुलिस थाने की काउंसलिंग के जरिए 2023 में 721 मामलों में समझौता कर दिया गया और ये परिवार टूटने से बच गए. वहीं लगभग 341 मामलों में पति-पत्नी के खिलाफ मामले दर्ज हुए. वहीं इसी साल अब तक 793 मामलों में से लगभग 358 मामलों में परामर्श के जरिए पति-पत्नी के बीच विवाद सुलझाए गए हैं.