बीकानेर. देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित है. देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते है और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. गृहस्थ साधक चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करते हैं और मां कुष्मांडा की पूजा में सफेद कोहड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित कर मां को हलवे और दही का भोग लगाना चाहिए.
अनाहत चक्र होता जागृत : नवरात्र के चौथे के दिन की देवी की पूजा आराधना के साथ सबसे महत्वपूर्ण अनाहत चक्र को जागृत किया जाता है. जो हमारा मिलन हमारी आत्मा से करवाता है. इस चक्र के जागरण से किसी भी चीज के प्रति उत्पन्न डर खत्म होता है और व्यक्ति में ईमानदारी की भावना का विकास होता है.
घर या गुप्त स्थान : गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना और मंत्र सिद्धि के लिए मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्र में शक्ति साधना ध्यान आसानी से घर में ही किया जा सकता है. महाविद्याओं की साधना के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है. गुप्त व चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर होता है. नवरात्र में जातक आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं. चारों नवरात्र में माता के सभी 51 शक्ति पीठ पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. हालांकि माना जाता है कि तंत्र विद्या प्राप्त करने के लिए नवरात्र में साधक गुप्त साधनाएं करने गुप्त स्थान पर जाते हैं.