नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा के किसानों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक बार फिर से आंदोलन का रास्ता अपनाया है. किसान सभा द्वारा आयोजित यह आंदोलन 14 अक्टूबर को सूरजपुर स्थित कलेक्ट्रेट पर आयोजित किया जाएगा. इससे पहले, संगठन गांव-गांव में जन चेतना यात्रा निकालकर किसानों के बीच जागरूकता बढ़ा रहा है.
किसानों की मांग: किसानों की मुख्य मांगों में 10% प्लॉट, नए भूमि अधिग्रहण कानून का कार्यान्वयन और किसानों से जुड़ी अन्य समस्याओं का समाधान शामिल है. संगठन ने इसे लेकर एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है, जिसकी सिफारिशों को सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है. किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ. रुपेश वर्मा का कहना है कि किसानों की समस्याओं को उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है और इसलिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है.
नहीं मिला समाधान: इस आंदोलन के प्रति किसानों का उत्साह स्पष्ट है. पहले से ही, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय के सामने विभिन्न किसान संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया था, जिसका असर यह हुआ कि शासन स्तर पर हाई पॉवर कमेटी का गठन हुआ. हालांकि, किसानों का कहना है कि उनकी समस्याओं का समाधान अभी तक नहीं किया गया है और कमेटी की गतिविधियों के बारे में भी उन्हें जानकारी नहीं दी गई है.
किसानों को जोड़ने की कोशिश: किसान सभा ने गांवों में जन चेतना यात्रा का आयोजन करते हुए किसानों से सीधा संवाद किया है. यात्रा का उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों और मांगों के प्रति जागरूक करना है. शनिवार को यह यात्रा ग्रेटर नोएडा के हैबतपुर, इटेड़ा, छोटी मिलक, रोजा एवं पटवारी गांवों से शुरू की गई और इसे हर दिन पांच गांवों में जारी रखा जाएगा.
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जागरूकता यात्रा का उद्देश्य: किसान सभा के संयोजक सुशांत भाटी ने इस यात्रा के महत्व को बताते हुए कहा कि यह डोर टू डोर संपर्क में किसानों को जोड़ने का प्रयास है. किसान 14 अक्टूबर के प्रदर्शन में बड़ी संख्या में भाग लेने का आश्वासन दे रहे हैं, इस बार की लड़ाई का लक्ष्य स्पष्ट है: 10% प्लॉट का आवंटन, नई भूमि अधिग्रहण कानून का कार्यान्वयन और भूमिहीन किसानों के लिए दुकानों का आवंटन.
आगामी आंदोलन की तैयारियां आंदोलन के माध्यम से, किसान अपनी शिकायतों को प्रभावी रूप से उठाने का प्रयास कर रहे हैं. उनकी आवाज़ सरकार तक पहुंचाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है. 14 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट पर होने वाला यह अनिश्चितकालीन आंदोलन, किसानों के हक की लड़ाई की एक नई शुरुआत साबित हो सकता है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह आंदोलन किस दिशा में आगे बढ़ता है और किसानों की मांगों को कितना समर्थन मिलता है.
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