नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा से निकलने वाले कूड़े को शत प्रतिशत प्रोसेस कर जरूरी उत्पाद बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण प्रयासरत है. घरेलू कूड़े को प्रोसेस कर क्या-क्या उत्पाद बनाए जा सकते हैं इसके लिए प्राधिकरण ने ईओआई(EOI) निकाल कर इस पर कंपनियों से आईडिया मांगा था. आठ कंपनियों ने इस में हिस्सा लिया है. प्राधिकरण के अधिकारी इन आइडियाज का अध्ययन कर आरएफपी निकलेंगे और कंपनी का चयन कर काम शुरू कराएंगे.
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मंशा है कि ग्रेटर नोएडा से निकलने वाले कूड़े को शत प्रतिशत प्रोसेस किया जाए और उसे जरूरी उत्पाद बनाकर उपयोग में लाया जाए. इसके लिए उपलब्ध सभी पद्धतियों का अध्ययन कर उन्हें अपनाने की कोशिश की जा रही है. जिससे कि ग्रेटर नोएडा को सबसे स्वच्छ शहर बनाया जा सके. यहां भविष्य में भी कूड़े के ढेर की समस्या ने झेलनी पड़े. एक कंपनी ने आईडिया दिया है कि गोबर को प्रोसेस कर ब्रैकेटस बनाएगी. इसका इस्तेमाल कोयले के विकल्प के लिए किया जा सकता है. एक कंपनी का सुझाव है कि कूड़े को प्रोसेस कर बायोगैस बनाया जाएगा.
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एक कंपनी ने ब्लैक सोल्जर फ्लाई लार्वा (एक विशेष प्रकार की मक्खी) के जरिए गीले कूड़े से प्रोटीन निकालने और अवशेष को प्रोसेस करने की बात कही है. इसके साथ ही एक कंपनी ने मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी प्लांट लगाकर प्रोसेस करने की बात कही है. जबकि एक कंपनी ने ई-वेस्ट को प्रोसेस करने को लेकर अपनी जानकारी साझा की. बल्क वेस्ट जनरेट करने वाले संस्थानों के कूड़े को प्रोसेस करने के लिए भी एक कंपनी तैयार है. एक कंपनी ने ग्रेटर नोएडा की किसी एक कॉलोनी को जीरो वेस्ट कॉलोनी बनाने का सुझाव दिया. ऐसे तमाम सुझावों के साथ कंपनियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ अन्नपूर्णा गर्ग व श्री लक्ष्मी वीएस और वरिष्ठ प्रबंधक चेतराम सिंह व ईवाई की टीम के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया है.
एसीईओ अन्नपूर्णा गर्ग ने बताया कि इन सुझावों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी और सीईओ एनजी रवि कुमार को सौंपा जाएगा. इसके बाद इन पद्धतियों को एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अपना कर उससे नफा और नुकसान का अध्ययन करते हुए वेस्ट को प्रोसेस करने का निर्णय लिया जाएगा. एसीईओ ने इन आइडियाज पर जल्दी ही काम शुरू करने की बात कही है.
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