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अलवर की बेटियां मनचलों को सिखाएंगी सबक, सीख रहीं ये 'खास' तकनीक - Self Defence Tips

Women Empowerment, राजस्थान के अलवर में भामाशाह की शानदार पहल सामने आई है. उन्होंने बच्चियों को आत्मरक्षक बनाने का जिम्मा लिया है, जिसके तहत 10 महीने में स्कूल की 350 बच्चियां आत्मरक्षा के गुर सीख रही हैं.

Women Empowerment
सैकड़ों बच्चियां सीख रहीं आत्मरक्षा के गुर (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 21, 2024, 6:17 AM IST

Updated : Jul 22, 2024, 6:15 AM IST

बच्चियों को आत्मरक्षक बनाने का जिम्मा (ETV Bharat Alwar)

अलवर: महिलाओं के साथ बढ़ते अपराधों को देखते हुए अलवर शहर के एसएमडी स्कूल से जुड़े एक भामाशाह ने बच्चियों को आत्मरक्षक बनाने का जिम्मा लिया है. इसी पहल के चलते स्कूल की करीब 350 छात्राएं हर शनिवार को आत्मरक्षा के प्रशिक्षण शिविर में नई-नई तकनीक सीख रही हैं. इसके लिए एक विशेष ट्रेनर को भी नियुक्त किया गया है. यह शिविर करीब 10 माह तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें हर महीने 4 बार स्कूल कैंपस में शिविर आयोजित किया जा रहा है.

एसएमडी स्कूल की प्रिंसिपल सीमा शर्मा ने कहा कि हमारी स्कूल से कई सालों से भामाशाह अमित छाबड़ा जुड़े हुए हैं. उन्होंने स्कूल की छात्राओं के लिए एक पहल की शुरुआत की. उन्होंने हमारे स्कूल के लिए महिला ट्रेनर की व्यवस्था की है, जो हमारी स्कूल की छात्राओं को ट्रेनिंग दे रहीं हैं. यह आत्मरक्षा का शिविर हर शनिवार को सुबह 8 से 10 बजे तक स्कूल कैंपस में आयोजित किया जाता है.

डरकर रास्ता न बदलें छात्राएं, इसलिए शुरू की पहल : अलवर शहर के रानी लक्ष्मीबाई स्कूल ऑफ मार्शल आर्ट की संस्थापक पायल सैनी ने बताया कि वे पिछले 5 सालों से बच्चियों को आत्मरक्षा के गुर सीखा रही हैं. उन्होंने कहा कि एसएमडी स्कूल में करीब 350 से ज्यादा स्टूडेंट्स को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहे हैं. पायल सैनी ने कहा कि आज के समय में लड़कियों के लिए सेल्फ डिफेंस जरूरी हो गया है. हमारी इस क्लासेस के द्वारा बच्चियों को साहसी बनने का प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे कि वह रोड पर निकलें तो उनसे कोई बदतमीजी या दुर्व्यवहार कर तो वे उसका डटकर सामना कर सकें, ना कि अपना रास्ता बदल लें. इसके लिए छात्रों को अलग-अलग तकनीक बताई जा रही है. पायल सैनी ने बताया कि सप्ताह के हर शनिवार को यह शिविर आयोजित किया जाता है. जुलाई के सत्र से इसकी शुरुआत हुई है.

पढ़ें : सप्त शक्ति कल्याण केन्द्र : जयपुर में महिलाओं को कुछ इस तरह बनाया जा रहा सशक्त - PM Kaushal Vikas Yojana

सीमा शर्मा ने बताया कि स्कूल में आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर की करीब 40 कक्षाएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें हर शनिवार को No Bag Day के दिन इस शिविर का आयोजन किया जाएगा. यह इस साल पहली बार शहर के सरकारी स्कूल में किया जा रहा है, जो कि एक सराहनीय कार्य है. सीमा शर्मा ने बताया कि कई बच्चियां डर के चलते ऐसी घटनाओं पर न तो रिएक्ट कर पाती हैं, न ही अपने परिजन से इस संबंध में खुलकर बात कर पाती हैं. जिसके चलते कई बार वे घुटन भी महसूस करती हैं. इसी से आजादी दिलाने के लिए और हर परेशानी का सामना करने को तैयार करने के लिए बच्चियों को आत्मरक्षा की तकनीक सिखाई जा रही है. इस शिविर के चलते छात्राओं में आत्मविश्वास पैदा होगा और वह हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहेंगी.

350 से ज्यादा छात्राएं लेती हैं भाग : सीमा शर्मा ने बताया कि इस शिविर में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की छात्राओं को जाने की अनुमति है. हालांकि, 8वीं कक्षा की छात्राएं भी इस शिविर में यदि आना चाहती हैं, तो उनकी एप्लीकेशन के अनुसार उन्हें परमिशन दी जाती है. सीमा शर्मा ने कहा कि इस प्रशिक्षण शिविर में करीब 350 से 400 छात्राएं शामिल होती हैं और हर शनिवार को नई-नई तकनीक सिखती हैं.

पढ़ें : सीएम बोले- सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को बराबर का अधिकार और अवसर मिलना आवश्यक - Women Power

पेरेंट्स से लेनी होती है परमिशन : सीमा शर्मा ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए छात्राओं को अपने पेरेंट्स की अनुमति लेना जरूरी है. यदि कोई बच्ची मेडिकल फिट नहीं है या कोई परेशानी होती है तो ऐसे बच्चों को इस शिविर से दूर रखा जाता है, जिससे कि उन्हें और कोई नई परेशानी का सामना न करना पड़े. पायल सैनी ने बताया कि पहले वे सारी तकनीक अपनी टीम के सदस्यों के साथ बच्चों को करके दिखाती हैं. इसके बाद स्टूडेंट्स को बुलाकर इस तकनीक को रिपीट करवाती हैं, जिससे उन्हें यह पता रहे कि छात्रा किस तकनीक के बारे में कितना सीख पा रही है. यदि बार-बार बताने की जरूरत पड़ती है तो वह इसमें संकोच नहीं करतीं. उनका मानना है कि जब तक छात्राएं एक तकनीक में परिपक्व नहीं होंगी, तब तक दूसरी तकनीक सीखना सही नहीं है.

बच्चियों को आत्मरक्षक बनाने का जिम्मा (ETV Bharat Alwar)

अलवर: महिलाओं के साथ बढ़ते अपराधों को देखते हुए अलवर शहर के एसएमडी स्कूल से जुड़े एक भामाशाह ने बच्चियों को आत्मरक्षक बनाने का जिम्मा लिया है. इसी पहल के चलते स्कूल की करीब 350 छात्राएं हर शनिवार को आत्मरक्षा के प्रशिक्षण शिविर में नई-नई तकनीक सीख रही हैं. इसके लिए एक विशेष ट्रेनर को भी नियुक्त किया गया है. यह शिविर करीब 10 माह तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें हर महीने 4 बार स्कूल कैंपस में शिविर आयोजित किया जा रहा है.

एसएमडी स्कूल की प्रिंसिपल सीमा शर्मा ने कहा कि हमारी स्कूल से कई सालों से भामाशाह अमित छाबड़ा जुड़े हुए हैं. उन्होंने स्कूल की छात्राओं के लिए एक पहल की शुरुआत की. उन्होंने हमारे स्कूल के लिए महिला ट्रेनर की व्यवस्था की है, जो हमारी स्कूल की छात्राओं को ट्रेनिंग दे रहीं हैं. यह आत्मरक्षा का शिविर हर शनिवार को सुबह 8 से 10 बजे तक स्कूल कैंपस में आयोजित किया जाता है.

डरकर रास्ता न बदलें छात्राएं, इसलिए शुरू की पहल : अलवर शहर के रानी लक्ष्मीबाई स्कूल ऑफ मार्शल आर्ट की संस्थापक पायल सैनी ने बताया कि वे पिछले 5 सालों से बच्चियों को आत्मरक्षा के गुर सीखा रही हैं. उन्होंने कहा कि एसएमडी स्कूल में करीब 350 से ज्यादा स्टूडेंट्स को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहे हैं. पायल सैनी ने कहा कि आज के समय में लड़कियों के लिए सेल्फ डिफेंस जरूरी हो गया है. हमारी इस क्लासेस के द्वारा बच्चियों को साहसी बनने का प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे कि वह रोड पर निकलें तो उनसे कोई बदतमीजी या दुर्व्यवहार कर तो वे उसका डटकर सामना कर सकें, ना कि अपना रास्ता बदल लें. इसके लिए छात्रों को अलग-अलग तकनीक बताई जा रही है. पायल सैनी ने बताया कि सप्ताह के हर शनिवार को यह शिविर आयोजित किया जाता है. जुलाई के सत्र से इसकी शुरुआत हुई है.

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सीमा शर्मा ने बताया कि स्कूल में आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर की करीब 40 कक्षाएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें हर शनिवार को No Bag Day के दिन इस शिविर का आयोजन किया जाएगा. यह इस साल पहली बार शहर के सरकारी स्कूल में किया जा रहा है, जो कि एक सराहनीय कार्य है. सीमा शर्मा ने बताया कि कई बच्चियां डर के चलते ऐसी घटनाओं पर न तो रिएक्ट कर पाती हैं, न ही अपने परिजन से इस संबंध में खुलकर बात कर पाती हैं. जिसके चलते कई बार वे घुटन भी महसूस करती हैं. इसी से आजादी दिलाने के लिए और हर परेशानी का सामना करने को तैयार करने के लिए बच्चियों को आत्मरक्षा की तकनीक सिखाई जा रही है. इस शिविर के चलते छात्राओं में आत्मविश्वास पैदा होगा और वह हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहेंगी.

350 से ज्यादा छात्राएं लेती हैं भाग : सीमा शर्मा ने बताया कि इस शिविर में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की छात्राओं को जाने की अनुमति है. हालांकि, 8वीं कक्षा की छात्राएं भी इस शिविर में यदि आना चाहती हैं, तो उनकी एप्लीकेशन के अनुसार उन्हें परमिशन दी जाती है. सीमा शर्मा ने कहा कि इस प्रशिक्षण शिविर में करीब 350 से 400 छात्राएं शामिल होती हैं और हर शनिवार को नई-नई तकनीक सिखती हैं.

पढ़ें : सीएम बोले- सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को बराबर का अधिकार और अवसर मिलना आवश्यक - Women Power

पेरेंट्स से लेनी होती है परमिशन : सीमा शर्मा ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए छात्राओं को अपने पेरेंट्स की अनुमति लेना जरूरी है. यदि कोई बच्ची मेडिकल फिट नहीं है या कोई परेशानी होती है तो ऐसे बच्चों को इस शिविर से दूर रखा जाता है, जिससे कि उन्हें और कोई नई परेशानी का सामना न करना पड़े. पायल सैनी ने बताया कि पहले वे सारी तकनीक अपनी टीम के सदस्यों के साथ बच्चों को करके दिखाती हैं. इसके बाद स्टूडेंट्स को बुलाकर इस तकनीक को रिपीट करवाती हैं, जिससे उन्हें यह पता रहे कि छात्रा किस तकनीक के बारे में कितना सीख पा रही है. यदि बार-बार बताने की जरूरत पड़ती है तो वह इसमें संकोच नहीं करतीं. उनका मानना है कि जब तक छात्राएं एक तकनीक में परिपक्व नहीं होंगी, तब तक दूसरी तकनीक सीखना सही नहीं है.

Last Updated : Jul 22, 2024, 6:15 AM IST
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