बांसवाड़ा : संभाग का दर्जा खत्म करने पर जिला कांग्रेस की ओर से सोमवार को राज्य सरकार के खिलाफ शहर में आक्रोश रैली आयोजित की गई. इसमें प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों ने भाजपा के साथ क्षेत्रीय पार्टी बीएपी के नेताओं के रवैए पर भी सवाल उठाए. कलक्ट्रेट के पीछे पार्टी कार्यालय के बाहर सड़क पर हजारों के हुजूम के बीच वक्ताओं ने पंचायत चुनाव में सबका सूपड़ा साफ कर कांग्रेस का परचम फहराने का आह्वान किया. इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के देरी से आने से पूर्व निर्धारित सुबह 11 बजे की जगह रैली करीब डेढ़ बजे शुरू हुई. वहीं, रैली को संबोधित करते हुए डोटासरा ने कहा कि गहलोत सरकार द्वारा बांसवाड़ा संभाग की सौगात छीनकर भजनलाल सरकार ने क्षेत्र की जनता को भजन करने पर मजबूर कर दिया है.
उन्होंने कहा कि जनता का हक छीनना भाजपा सरकार को महंगा पड़ेगा. अपने पुराने जुमले को दोहराते हुए उन्होंने एक बार फिर राज्य की भजनलाल सरकार को पर्ची सरकार करार दिया. डोटासरा ने आगे कहा कि भजनलाल सरकार अब अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को भी खत्म करने पर तुली है. उन्होंने कहा कि अब सवा सात लाख गरीब बच्चों का क्या होगा? मुख्यमंत्री मालिक नहीं, ट्रस्टी हैं. कांग्रेसराज के निर्णयों की समीक्षा की बात कर उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी समीक्षा करनी चाहिए.
सवा साल में इस सरकार ने कोई काम नहीं किया. केवल ढोंग और भाषणबाजी की गई. वहीं, डोटासरा ने हरियाणा के मुकाबले राज्य में महंगे पेट्रोल-डीजल, बच्चों की स्कॉलरशिप, समय पर पेंशन नहीं मिलने जैसी आम जनता की परेशानियां गिनाकर कहा कि इससे तो राष्ट्रपति शासन बेहतर होता. इतना ही नहीं आगे उन्होंने राज्य की भजनलाल सरकार पर चुनावी वादों की अनदेखी करने और जनता को धोखा देने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अब संघर्ष का समय आ गया है. जनता कुर्सी पर बैठाती, तो रास्ता भी दिखाना जानती है.
इससे तो बेहतर सिंगल इंजन की ही सरकार थी : इससे पहले नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि डबल इंजन की बताई गई सरकार में गरीबों के किट, बेरोजगारी भत्ता, स्कॉलरशिप नहीं मिल रहे हैं. इससे तो सिंगल इंजन की सरकार ही बेहतर थी. सीधे प्रधानमंत्री को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा कि 15 लाख खाते में आएंगे, किसानों की आमदनी बढ़ेगी, दो करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे, जैसी घोषणाओं के बाद वे बात तक करने नहीं आते. इसलिए इन्हें सबक सिखाएं. तय करें कि जब तक संभाग मुख्यालय बहाल नहीं हो जाए, बीजेपी के लोगों को गांव में घुसने नहीं देंगे. उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर सरकार के खिलाफ होकर चुनावों में उखाड़ फेंकने की अपील की.
भील प्रदेश की मांग गलत : बांसवाड़ा स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डोटासरा ने कहा कि दक्षिण राजस्थान से लगातार उठ रही भील प्रदेश की मांग को हम समर्थन नहीं करते हैं. साथ ही पंचायती राज चुनाव में बीएपी से गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी. लोकसभा चुनाव में बीएपी का साथ देने के बाद इस बदलाव के कारण को लेकर उठे प्रश्न पर उन्होंने खुलकर अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा कि मोदी देश के लिए खतरनाक है. उन्हें हराने के लिए कांग्रेस ने गठबंधन किया था, लेकिन अब बांसवाड़ा-डूंगरपुर के मौजूदा सांसद अपनी राजनीति कर रहे हैं. उन्हें क्षेत्रीय हितों और जनता की चिंता नहीं है. इसलिए अब गठबंधन का सवाल ही नहीं है. कोटे में कोटा आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर कांग्रेस के मंतव्य के सवाल को डोटासरा यह कहकर टाल गए कि ये पार्टी आलाकमान तय करेगा.
लोकसभा चुनाव में महज महेंद्रजीतसिंह मालवीया को हराने की रणनीति से कांग्रेस के वोट शेयर और हालात में गिरावट पर उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव और उपचुनाव में रही कमियों से सबक लेकर अब संगठन को मजबूत करते हुए आगे बढ़ेंगे. अपनी सरकार आने पर कांग्रेस बांसवाड़ा को संभाग का दर्जा फिर से देगी या नहीं, इस पर डोटासरा ने हंसकर कहा कि इसी सरकार से संभाग बनवाकर पार्टी दम लेगी.
विधानसभा में उठाएंगे सरकार की नाकामियां : वहीं, नेता प्रतिपक्ष ने एक सवाल के जवाब में कहा कि तीन संभाग और नौ जिले खत्म करने से लोगों में भजनलाल सरकार के खिलाफ गहरा असंतोष है. राइजिंग राजस्थान के तहत जिन्होंने इन जिलों में निवेश किया, वे अपने एमओयू से पीछे हट रहे हैं. ऐसे में इस मुद्दे को विधानसभा में मजबूती से उठाया जाएगा.
भजनलाल सरकार के निर्णय को बताया गलत : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और टीकाराम जूली ने डबोक एयरपोर्ट पर उदयपुर से प्रस्थान के पूर्व राज्य की भाजपा सरकार पर कई आरोप लगाए. डोटासरा ने तीन संभाग और 9 जिलों को खत्म करने के निर्णय को जनविरोधी बताया. उन्होंने कहा कि लोगों को सुविधा देने के लिए जिले बनाए गए थे. 12-12 महीने से अधिकारी काम कर रहे थे. कार्यालय खुल गए और कर्मचारी लग गए थे. साथ ही लोगों को इसका लाभ भी मिलने लग गया था, लेकिन आखिर में राजनीतिक व्यवस्था से जो निर्णय लिए वो गलत हैं.
वहीं, दूसरी तरफ महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने का निर्णय उन स्कूलों को बंद करने की साजिश है. वर्तमान में 3700 से ज्यादा सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में लगभग 7.25 लाख हर वर्ग के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जिससे हर वर्ग के बालक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ ले रहे हैं. करीब 45000 शिक्षक के पद स्वीकृत हैं. ऐसे में इन स्कूलों को बंद करना बहुत ही गलत निर्णय है.