जयपुर. हस्तशिल्प और हुनर से जुड़े ग्रामीण कलाकारों की कला को बाजार उपलब्ध करने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र ने गंभीरता दिखाई. मिश्र ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा राजस्थान सहित सदस्य राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा तथा केन्द्र शासित प्रदेश दमन, दीव और दादर नागर हवेली में कला और कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए आधिकारिक कार्यक्रम किए जाने के निर्देश दिए. राज्यपाल के निर्देश पर अब 156 के स्थान पर 200 से अधिक स्थानों पर कार्यक्रम होंगे, केंद्र की संचालन समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया.
राज्यपाल ने ग्रामीण कलाकारों को अधिकाधिक अवसर प्रदान करने और स्थानीय कलाओं, धरोहर के संरक्षण के लिए भी कार्य करने की आवश्यकता जताई. बैठक में राज्यपाल ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से विभिन्न कला श्रेणियों के अंर्तगत कलाकारों के प्रस्तुति के निर्धारित शुल्क में बढ़ोतरी के प्रस्तावित निर्णय की सराहना की. इसके तहत दृश्य कलाओं को भी सम्मिलित करने का सुझाव दिया गया. राज्यपाल मिश्र के निर्देश पर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भिजवाया जाएगा.
कलाओं से आम जन को जोड़ने का हो प्रयास: बैठक में राज्यपाल के निर्देश पर यह भी निर्णय लिया गया कि राजस्थान की विरासत और कलाओं से आमजन को जोड़ने के लिए शिल्पग्राम और बागोर की हवेली संग्रहालय में वयस्क और बच्चों के लिए निर्धारित शुल्क में एकरूपता करते हुए अधिकाधिक लोगों के वहां आने को प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने सांस्कृतिक समन्वय के लिए पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र को कार्य योजना बनाकर तेजी से कार्य करने का भी आह्वान किया. मिश्र ने बैठक में पश्चिमांचल राज्यों की कला और सांस्कृतिक विरासत के संवर्धन और प्रोत्साहन के साथ-साथ विलुप्त होती कलाओं को आम जन में फिर से लोकप्रिय करने के लिए प्रयास किए जाने के भी निर्देश दिए हैं, उन्होंने पश्चिम क्षेत्र कला केन्द्र को कलाओं के प्रति समाज में अनुराग का वातावरण बनाने, देहात में बसने वाले कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर का मंच प्रदान करने और पारम्परिक कलाओं और कलाकारों के उत्पादों के विपणन के लिए भी कारगर प्रयास किए जाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों को जोड़कर वरिष्ठ और युवा कला कार्यशालाएं, कला प्रशिक्षण के कार्यक्रम सुदूर गांव-ढाणियों में भी निरंतर होने चाहिए. वहीं, समाज संवदेनशील बना रहता है जहां कला और कलाकारों का वास होता है.
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लोक कला आम लोगों तक पहुंचे: राज्यपाल ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की और से अपने सदस्य राज्यों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और केन्द्र शासित प्रदेश दमन, दीव तथा दादरा नगर हवेली की सांस्कृतिक विरासत तथा लोक कलाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए भी अधिकाधिक प्रयास किए जाने पर जोर दिया. उन्होंने केन्द्र द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 'हर घर तिरंगा', 'मेरी माटी मेरा देश' जैसे कार्यक्रमों की सराहना की तथा कहा कि उदयपुर जैसे शिल्पग्राम उत्सव अन्य स्थानों पर भी होने चाहिए. इससे स्थानीय शिल्प, कलाओं के साथ ही हस्तशिल्प और अन्य कला उत्पादों के प्रभावी विपणन की दिशा में भी कार्य करने का आह्वान किया.
आईटी की चुनौतियां स्वीकारें: राज्यपाल ने कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से जुड़ी चुनौतियों को स्वीकारना होगा और लोक कलाओं व शिल्प कलाओं के विकास, संवर्धन और प्रोत्साहन की तरफ गंभीर होकर कार्य करने, लोक कलाकारों के हस्तशिल्प उत्पादों को बाजार प्रदान करने और पारम्परिक कला-कौशल को आधुनिक संचार प्रौद्योगिकी के जरिए अधिक से अधिक बढ़ावा दिए जाने पर भी जोर दिया. बैठक में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा तथा केन्द्र शासित प्रदेश दमन, दीव तथा दादरा नगर हवेली के कला प्रतिनिधियों, इन राज्यों की साहित्य अकादमी, संगीत नाटक और अन्य कला विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.