दौसा. शिक्षा के लिए मॉडर्न क्लास संचालित करने का दावा कर रही राज्य सरकार की बारिश ने पोल खोल दी है. जिले में संचालित अधिकतर सरकारी विद्यालय भवनों की स्थिति जर्जर अवस्था में होने के कारण छात्र-छात्राएं हमेशा अनहोनी के साए में पढ़ने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में लगातार लिखित में शिकायत देने के बावजूद भी विभागीय अधिकारी विद्यालयों की मरम्मत नहीं करवा रहे है, जिसके चलते सरकारी विद्यालयों में किसी दिन बड़ी दुर्घटना घटित होने की पूरी संभावना बनी हुई है.
मामला, जिले के मेहंदीपुर बालाजी इलाके में स्थित उदयपुरा रोड पर संचालित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का है. इस स्कूल में आसपास क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांवों के 345 बच्चे अध्ययन के लिए आते हैं, लेकिन विद्यालय भवन की जर्जर हालत छात्रों के परिजनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.
पढ़ाई के दौरान छत से गिरता है प्लास्टर : जिले के मेहंदीपुर बालाजी में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में 10वीं क्लास में अध्ययनरत छात्रा कविता ने बताया कि बारिश के दिनों में क्लास में पानी टपकता है. वहीं, कई बार पढ़ाई के दौरान छत का प्लास्टर क्लास रूम में गिर जाता है. हालांकि अभी तक प्लास्टर गिरने से किसी स्टूडेंट्स को चोट नहीं आई है. लेकिन बारिश के दौरान क्लास रूम से बाहर खड़े होकर पढ़ाई करनी पड़ती है, जिससे सभी स्टूडेंट्स की पढ़ाई बाधित होती है.
वहीं 11वीं क्लास के छात्र ने बताया कि पढ़ाई के दौरान बारिश का पानी टपकता है, जिससे किताब-कॉपी भीग जाती है. लेकिन घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सरकारी विद्यालय में अध्ययन करने को मजबूर है. इस बारे में कई बार शिक्षकों और उच्चाधिकारियों को लिखित में शिकायत देकर अवगत करवाया गया है, लेकिन विभागीय अधिकारी अभी तक विद्यालय भवन की जांच करने तक नहीं आए.
एक कमरे में कई क्लास लगाने को मजबूर शिक्षक : इसी प्रकार 11वीं क्लास में अध्ययनरत छात्रा ने बताया कि बारिश के दौरान एक कमरे में कई क्लासों के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई करवाई जाती है, लेकिन जब बारिश अधिक होती है तो विद्यालय भवन के सभी कमरों से पानी टपकता है. जिसके चलते हमेशा मौत के साए में रहकर जर्जर विद्यालय भवन में अध्ययन करना पड़ता है.
अधिक बारिश होने पर बच्चों की कर देते हैं छुट्टी : कार्यवाहक प्रिंसिपल पिंटूराम मीना ने बताया कि विद्यालय भवन काफी पुराना हो चुका है, जिसके कारण विद्यालय भवन कई जगह से क्षतिग्रस्त है. ऐसे में बारिश के दिनों में बच्चों को भय के साए में विद्यालय भवन में पढ़ाई करनी पड़ती है. कई बार छुट्टी होने के बाद जब अगले दिन विद्यालय आते हैं तो विद्यालय परिसर में जगह-जगह प्लास्टर गिरा हुआ मिलता है. इस बारे में कई बार प्रस्ताव बनाकर भी भेजा चुका है, लेकिन विभागीय उच्चाधिकारियों की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में अधिक बारिश के दौरान बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है. दरअसल, जिले के कई सरकारी विद्यालय इस बड़ी परेशानी से जूझ रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का स्तर बढ़ाने के खोखले दावे करने में लगी हुई है. वहीं जर्जर विद्यालय भवनों की ओर किसी का ध्यान नहीं है.