जैसलमेर. शहर के मध्य चैनपुरा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को बाहर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. कारण कि स्कूल भवन जर्जर हो रहा है. कभी भी दीवार या छत गिर सकती है. गत 2017 में बरसात के मौसम में इस स्कूल के एक कमरे की छत गिर गई थी. तब से इसकी मरम्मत ही नहीं करवाई गई. धीरे धीरे सारा भवन ही जर्जर हो गया.
इस मामले में ईटीवी भारत रियलिटी चेक करने पहुंचा तो स्कूल की स्थिति भयावह थी. स्कूल के इस भवन में 10 कमरों में से 8 की स्थिति खराब है. सावधानी के तौर पर स्कूल प्रशासन ने पूरा स्कूल ही बंद कर दिया. केवल दो कमरे ठीक-ठाक हालत में है. इसमें से में एक कमरे में पढ़ाई होती है और एक दूसरे में पोषहार बनता है. आठवीं तक स्कूल होने के बावजूद सभी विद्यार्थी खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.
पढ़ें: भोपालगढ़ का ऐसा माध्यमिक विद्यालय, जहां डर के साये में बच्चे करते हैं पढ़ाई
ढ़ाई सौ से अधिक बच्चों का भविष्य दांव पर: इस स्कूल में 250 से अधिक बच्चे हैं. अधिकांश गरीब परिवारों से हैं. उनके पास निजी स्कूल में जाने का विकल्प भी नहीं है. स्कूल के प्रधानाध्यापक गोवर्धन दास ने बताया कि स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो गया है. इससे हमें बच्चों को बाहर बैठाकर ही पढ़ाई करनी पड़ रही है. कई बार परेशानी भी होती है, लेकिन भवन की स्थिति बहुत खराब है. बाहर बैठाकर पढ़ाना मजबूरी है.
कई बार शिकायत की, नहीं हुई सुनवाई: स्कूल प्रशासन ने अधिकारियों को कई बार स्कूल भवन की मरम्मत की मांग की. यहां तक कि शिक्षकों ने भी व्यक्तिगत स्तर पर कई बार अधिकारियों को बताया, लेकिन उच्चाधिकारियों ने एक नहीं सुनी. स्कूल भवन की मरम्मत का काम शुरू ही नहीं हो पाया. इस दौरान ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी सहित कई जनप्रतिनिधियों ने स्कूल का निरीक्षण किया. उनसे भी भवन मरम्मत के लिए मांग की गई, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला.
यह भी पढ़ें: अब स्कूल में टीचर इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे मोबाइल, ड्यूटी आवर्स में पूजा व नमाज पर गए तो होगी कार्रवाई
पेड़ के नीचे बैठकर करते हैं पढ़ाई: विद्यार्थियों को गर्मी, सर्दी और बारिश के मौसम में बाहर पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. स्कूल भवन के हालात पिछले कुछ समय से ज्यादा खराब हो गए हैं. कई क्लासों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई करवाई जा रही है, जिससे उनकी पढ़ाई में व्यवधान होता रहता है. विद्यार्थियों की परेशानी का यह आलम है कि चाहे कैसा भी मौसम हो, स्कूल में सिर्फ एक कक्षा कक्ष होने के कारण बच्चों को बाहर ही बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है.