रायपुर : गुड फ्राइडे का दिन पूरी दुनिया में प्रभु यीशू के बलिदान के तौर पर मनाया जाता है.इसी दिन यीशू ने मानवता की भलाई के लिए अपने प्राण त्यागे थे. इस दिन के बाद ही ईस्टर संडे मनाया जाता है.इसलिए इस दिन ईसाई समुदाय विशेष आयोजन करता है.
गुड फ्राइडे का इतिहास : गुड फ्राइडे की शुरुआत तब से होती है जब यहूदी लोगों के बीच ईसा मसीह की बढ़ती लोकप्रियता वहां के ढोंगी धर्मगुरुओं को अखरने लगी थी. उन्होंने ईसा की शिकायत पिलातुस से कर दी. रोम के शासक पिलातुस को बताया गया है कैसे एक इंसान खुद को ईश्वर का पुत्र कहता है.यही नहीं ये पूरी दुनिया में ईश्वर राज की स्थापना की बातें लोगों को बताता है.ये बातें सुनने के बाद पिलातुस ने ईसा मसीह को धर्म की अवमानना करने का गुनाहगार माना.इसी के साथ यीशू पर राजद्रोह का आरोप लगाकर मुकदमा चलाया गया.
क्यों मनाया गया गुड फ्राइडे ? : मुकदमे में फैसला यीशू के खिलाफ ही था.लिहाजा ईसा को मौत की सजा मिली.ये सजा भी काफी क्रूर थी.जिसमें पहले ईसा को कोड़े और चाबुक की मार सहनी थी.इसके बाद कांटे भरा ताज सिर पर लेकर एक क्रूस को लादकर पहाड़ी पर ले जाना था. पहाड़ी पर पहुंचने पर यीशू को कीलों से भेदकर क्रूस पर टांगना था. लिहाजा सजा के मुताबिक ईसा के शरीर को छलनी करके क्रूस पर टांगा गया. जिस जगह पर ईसा को सूली पर चढ़ाया गया,उसका नाम गोलगोथा था.बाइबिल के मुताबिक जिस दिन ईसा को सूली पर चढ़ाया गया,उस दिन शुक्रवार था.इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है.
ईसाई समुदाय के शोक का दिन : भले ही ये दिन दुनिया भर में गुड फ्राइडे के नाम से मशहूर हुआ.लेकिन इस दिन ईसाई समुदाय को सबसे बड़ा सदमा लगा था.क्योंकि इस दिन समुदाय ने बड़े शोक का सामना किया था.गुड फ्राइडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग एक दूसरे को विश नहीं करते बल्कि व्रत रखकर शोक मनाते हैं.चर्च में प्रभु यीशू की आराधना करते हैं.लोगों का मानना है कि मानवता की भलाई के लिए यीशू ने अपने शरीर का बलिदान दिया.इसलिए ये दिन होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे और गॉड फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है.
कैसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे : इस दिन कैथोलिक चर्च में खास प्रार्थनाएं होती हैं. लैटिन संस्कारों के मुताबिक एक बार ही भोजन किया जाता है.इस दिन कई लोग मांस के बदले मछली का सेवन करते हैं.दिन भर में दो निवाले खाकर ही दिन बीताते हैं.