अलवर : जिले में जब भी हॉकी की बात की जाती है, तब अलवर शहर के समीप खुदनपुरी गांव का नाम भी जरूर आता है. कारण है कि यहां की लड़कियों ने हॉकी के खेल में अपने भविष्य को संवारने की राह चुनी है, जो धीरे-धीरे सही साबित हो रही है. किसी समय में यहां की लड़कियां मात्र घरों में चूल्हा चौका तक सीमित थी. अब इस गांव की हर घर में लड़की हॉकी के खेल में अपना भविष्य बनाने की ओर निकल पड़ी हैं. गांव की लड़कियों को हॉकी के खेल से जोड़ने में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खुदनपुरी के शारीरिक शिक्षक विजेंद्र सिंह की अहम भूमिका रही, जिन्होंने लड़कियों को घरों से निकालकर मैदान तक पहुंचाया. आज यह लड़कियां राष्ट्रीय स्तर तक परचम फहरा रहीं हैं. लड़कियों के हॉकी के हुनर को देखते हुए मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानाचंद ने अलवर में शिविर के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया.
शारीरिक शिक्षक और खुदनपुरी खेल ग्राउंड पर हॉकी कोच विजेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि खुदनपुरी की लड़कियों ने हॉकी को अलवर में एक विशेष नाम दिलवाया. लड़कियों का प्रदर्शन इतना बेहतर व प्रभावशाली रहा कि हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद ने भी साल 2023 में ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर अलवर में लगाकर बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया और हॉकी के खेल की बारीकियां सिखाई. उन्होंने कहा कि अशोक ध्यानचंद लड़कियों के खेल के हुनर से प्रभावित हुए. उन्होंने इनका भविष्य अच्छा होने की बात कही.
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कई बच्चियों ने संवारा भविष्य : विजेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि पहले हॉकी के लिए लड़कियों के पास इक्विपमेंट,कपड़े, जूते नहीं थे. भामाशाह की मदद से लड़कियों को सभी जरूरी चीज उपलब्ध करवाई गई. तब कुछ लड़कियों के मन में यह लगा कि यहां पर यह सब चीज मुफ्त में मिलती है, घूमने के लिए मिलता है, इसके लिए वे हॉकी से जुड़ीं, लेकिन मैदान में आने के बाद उनका जुड़ाव इस तरह से हुआ कि उनकी मेहनत आज रंग ला रही है. खुदनपुरी की 70 से 80 लड़कियां अलग-अलग स्तर पर परचम लहरा चुकी हैं. यहां रहने वाली 10 लड़कियां राष्ट्रीय स्तर, 8 लड़कियां अंतर विश्वविद्यालय महिला हॉकी प्रतियोगिता व 20 लड़कियां राज्य स्तर पर खेल रहीं हैं. उनकी इसी लगन और मेहनत के चलते कई लड़कियां महिला हॉकी एकेडमी अजमेर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. खेल के माध्यम से कुछ लड़कियां अब अपना भविष्य संवार चुकी हैं, तो कुछ संवारने की ओर कदम बढ़ा रहीं हैं.
खुदनपुरी को बोलने लगे- हॉकी का गांव : विजेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि जिस तरह लड़कियां हॉकी में अब अपना नाम बना रही हैं. एक ही गांव से इतनी लड़कियां हॉकी में खेलना बड़ी उपलब्धि है. इसी के चलते अब लोग इस गांव को हॉकी का गांव कहने लगे हैं. विजेंद्र सिंह नरूका की देखरेख में राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी प्रियंका ने बताया कि पहले कभी हॉकी का नाम तक नहीं जानती थी. हॉकी में आज जो भी उन्हें मिला है वह उनके कोच विजेंद्र सिंह नरूका की वजह से मिला है. उन्होंने बताया कि वह कई बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं और अब वह अपने घर खर्चे में भी हाथ बंटा रही हैं. यह सब हॉकी के माध्यम से ही हुआ है. उन्होंने कहा कि अशोक ध्यानचंद ने अलवर में आकर लड़कियों को हॉकी की बारीकियां सिखाईं, जो लड़कियों के काम आ रही हैं. प्रियंका ने कहा कि आज उन्हें देखकर लड़कियां घर से बाहर निकाल कर हॉकी स्टिक पकड़ रही हैं. यह एक सपने से कम नहीं है.