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गाजियाबाद के उद्योपतियों के लोकसभा चुनाव में क्या है मुद्दे, बताया इस बार किसे करेंगे वोट - Ghaziabad industrialists issues

Ghaziabad industrialists issues: जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर प्रत्याशी लोगों तक पहुंच रहे हैं, वहीं लोग भी इस बार अपने मुद्दों व समस्याओं के साथ तैयार हैं. इसी क्रम में गाजियाबाद इंडस्ट्रियल एरिया के लोगों से बात की गई, जिसमें उन्होंने अपनी समस्याएं बताने के साथ बताया कि वे किस तरह के प्रत्याशी को वोट करेंगे. पढ़ें पूरी खबर..

Ghaziabad industrialists issues
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 18, 2024, 5:23 PM IST

Updated : Apr 18, 2024, 5:50 PM IST

उद्योपतियों ने बताए अपने मुद्दे

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद की गिनती देश के प्रमुख औद्योगिक शहरों में होती है. यहां की औद्योगिक इकाइयों में इंजीनियरिंग गुड्स से लेकर विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं. गाजियाबाद औद्योगिक नगरी है, जिसकी वजह से विभिन्न प्रदेशों से लोग यहां पर रोजगार की तलाश में आते हैं. यहां आगामी 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में औद्योगिक इकाइयों के संचालक इस बार किन मुद्दों को ध्यान में रखकर वोट करेंगे, इसी को जानने के लिए ETV भारत की टीम गाजियाबाद के कवि नगर इंडस्ट्रियल एरिया में पहुंची.

औद्योगिक क्षेत्र पर दे ध्यान: ETV भारत से बातचीत के दौरान गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा ने बताया कि जिले में करीब 32 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं. जो लाखों लोगों को रोजगार देती हैं. हम चाहते हैं कि गाजियाबाद को एक ऐसा सांसद मिलना चाहिए, जो औद्योगिक क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान दे. साथ ही कि हमारा जनप्रतिनिधि हमारे तमाम प्रस्तावों को सरकार के सामने रख सके. पूर्व में किसी भी प्रतिनिधि ने हमारे अभिभावक के रूप में काम नहीं किया है.

इंफ्रास्ट्रक्टचर बड़ा मुद्दा: वहीं कवि नगर इंडस्ट्रियल एरिया के सचिव पल्लव रहेजा का कहना है कि इस चुनाव में हमारा प्रमुख मुद्दा औद्योगिक क्षेत्र का इंफ्रास्ट्रक्चर है. औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की निकासी की काफी समस्या है. कई मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है. इसको सरकार तक पहुंचाने का एकमात्र माध्यम जनप्रतिनिधि होते हैं. इस बार हम वोट करते वक्त ध्यान रखेंगे कि ऐसे प्रत्याशी को वोट देंगे, जो हमारी बात को सरकार के सामने रख सके. ताकि सरकार औद्योगिक क्षेत्र की ओर ध्यान दे सकें.

कई हैं समस्याएं: उनके अलावा कवि नगर औद्योगिक क्षेत्र के महासचिव रवि जैन ने कहा कि हम ऐसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं जो चुनाव जीतने के बाद हमारे बीच में रहे. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक जीएसटी का रेवेन्यू गाजियाबाद से जाता है. आमतौर पर देखा जाता है कि चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि दिखाई नहीं देते हैं. कवि नगर इंडस्ट्रियल एरिया में साफ सफाई और पानी की निकासी की काफी समस्या है, जबकि गाजियाबाद उत्तर प्रदेश का प्रमुख औद्योगिक शहर है. जिस हिसाब से औद्योगिक क्षेत्र में सुविधा होनी चाहिए, उतनी सुविधा यहां मौजूद नहीं है.

ऐसे बढ़ेंगे रोजगार के अवसर: इंडस्ट्रियलिस्ट सुनील जैन बताते हैं कि औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं को जानने के लिए जनप्रतिनिधियों को यहां आना पड़ेगा. अगर वे यहां नहीं आएंगे तो हमारी समस्याएं कैसे समझ पाएंगे और जब तक उन्हें ही हमारी समस्याएं पता नहीं होगी, तब तक इंडस्ट्रियल एरिया का विकास हो पाना संभव नहीं है. जनप्रतिनिधि अगर प्रमुखता से औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान दें, तो इससे उद्योग और रोजगार दोनों के अवसर बढ़ेंगे.

यह भी पढ़ें- गाजियाबाद लोकसभा सीट पर चुनावी रण में आमने-सामने पति-पत्नी, भतीजा भी निर्दलीय चुनाव में उतरा

बात को सुनें जनप्रतिनिधि: उनके अलावा इस इंडस्ट्रियल एरिया में पाइप्स मैन्युफैक्चरिंग इकाई के संचालक विक्रम अग्रवाल बताते हैं कि किसी भी देश के विकास का आधार, औद्योगिक इकाइयों के विकास पर निर्भर करता है. चुनाव से पहले तो प्रत्याशी नजर आते हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि बनने के बाद वह दिखाई नहीं देते. हमारे क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट नगर नहीं है, जिससे वाहनों को पार्क करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा यहां सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं. समस्याएं तो तब बताई जाएंगी जब कोई जनप्रतिनिधि हमारे बीच आए और हमसे बात करें. हम ऐसे प्रत्याशी को वोट करेंगे जो जनप्रतिनिधि बनने के बाद हमारी बात सुने.

यह भी पढ़ें- द‍िल्‍ली की सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में बहुजन समाज पार्टी, जानें कब आ रही कैंड‍िडेट ल‍िस्‍ट

उद्योपतियों ने बताए अपने मुद्दे

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद की गिनती देश के प्रमुख औद्योगिक शहरों में होती है. यहां की औद्योगिक इकाइयों में इंजीनियरिंग गुड्स से लेकर विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं. गाजियाबाद औद्योगिक नगरी है, जिसकी वजह से विभिन्न प्रदेशों से लोग यहां पर रोजगार की तलाश में आते हैं. यहां आगामी 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में औद्योगिक इकाइयों के संचालक इस बार किन मुद्दों को ध्यान में रखकर वोट करेंगे, इसी को जानने के लिए ETV भारत की टीम गाजियाबाद के कवि नगर इंडस्ट्रियल एरिया में पहुंची.

औद्योगिक क्षेत्र पर दे ध्यान: ETV भारत से बातचीत के दौरान गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा ने बताया कि जिले में करीब 32 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं. जो लाखों लोगों को रोजगार देती हैं. हम चाहते हैं कि गाजियाबाद को एक ऐसा सांसद मिलना चाहिए, जो औद्योगिक क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान दे. साथ ही कि हमारा जनप्रतिनिधि हमारे तमाम प्रस्तावों को सरकार के सामने रख सके. पूर्व में किसी भी प्रतिनिधि ने हमारे अभिभावक के रूप में काम नहीं किया है.

इंफ्रास्ट्रक्टचर बड़ा मुद्दा: वहीं कवि नगर इंडस्ट्रियल एरिया के सचिव पल्लव रहेजा का कहना है कि इस चुनाव में हमारा प्रमुख मुद्दा औद्योगिक क्षेत्र का इंफ्रास्ट्रक्चर है. औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की निकासी की काफी समस्या है. कई मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है. इसको सरकार तक पहुंचाने का एकमात्र माध्यम जनप्रतिनिधि होते हैं. इस बार हम वोट करते वक्त ध्यान रखेंगे कि ऐसे प्रत्याशी को वोट देंगे, जो हमारी बात को सरकार के सामने रख सके. ताकि सरकार औद्योगिक क्षेत्र की ओर ध्यान दे सकें.

कई हैं समस्याएं: उनके अलावा कवि नगर औद्योगिक क्षेत्र के महासचिव रवि जैन ने कहा कि हम ऐसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं जो चुनाव जीतने के बाद हमारे बीच में रहे. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक जीएसटी का रेवेन्यू गाजियाबाद से जाता है. आमतौर पर देखा जाता है कि चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि दिखाई नहीं देते हैं. कवि नगर इंडस्ट्रियल एरिया में साफ सफाई और पानी की निकासी की काफी समस्या है, जबकि गाजियाबाद उत्तर प्रदेश का प्रमुख औद्योगिक शहर है. जिस हिसाब से औद्योगिक क्षेत्र में सुविधा होनी चाहिए, उतनी सुविधा यहां मौजूद नहीं है.

ऐसे बढ़ेंगे रोजगार के अवसर: इंडस्ट्रियलिस्ट सुनील जैन बताते हैं कि औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं को जानने के लिए जनप्रतिनिधियों को यहां आना पड़ेगा. अगर वे यहां नहीं आएंगे तो हमारी समस्याएं कैसे समझ पाएंगे और जब तक उन्हें ही हमारी समस्याएं पता नहीं होगी, तब तक इंडस्ट्रियल एरिया का विकास हो पाना संभव नहीं है. जनप्रतिनिधि अगर प्रमुखता से औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान दें, तो इससे उद्योग और रोजगार दोनों के अवसर बढ़ेंगे.

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बात को सुनें जनप्रतिनिधि: उनके अलावा इस इंडस्ट्रियल एरिया में पाइप्स मैन्युफैक्चरिंग इकाई के संचालक विक्रम अग्रवाल बताते हैं कि किसी भी देश के विकास का आधार, औद्योगिक इकाइयों के विकास पर निर्भर करता है. चुनाव से पहले तो प्रत्याशी नजर आते हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि बनने के बाद वह दिखाई नहीं देते. हमारे क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट नगर नहीं है, जिससे वाहनों को पार्क करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा यहां सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं. समस्याएं तो तब बताई जाएंगी जब कोई जनप्रतिनिधि हमारे बीच आए और हमसे बात करें. हम ऐसे प्रत्याशी को वोट करेंगे जो जनप्रतिनिधि बनने के बाद हमारी बात सुने.

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Last Updated : Apr 18, 2024, 5:50 PM IST
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