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यूनियन की चेतावनी, रेल का निजीकरण नहीं होने देंगे, अगर हुआ तो बिना किसी नोटिस हड़ताल

ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि किसी भी कीमत पर रेलवे में प्राइवेटाइजेशन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात हुई है. उनके सामने बात रखी गई है. उन्होंने भरोसा दिया है कि हम प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा नहीं देंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2024, 1:36 PM IST

जानकारी देते ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा

लखनऊ : रेलवे में लगातार प्राइवेटाइजेशन बढ़ता ही जा रहा है. देश की पहली कॉर्पोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस के संचालित होने के बाद और कई रेलवे स्टेशनों को प्राइवेट हाथों में दिए जाने से रेलकर्मी घबराने लगे. इसके बाद रेलवे की यूनियनों ने सरकार के इस कदम का पुरजोर तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया. लखनऊ के वर्कशॉप को भी प्राइवेट हाथों में देने का प्लान था, लेकिन यूनियन के भारी विरोध के चलते अब वर्कशॉप को प्राइवेट हाथों में देने से रेलवे प्रशासन ने कदम पीछे खींच लिया है. यूनियन नेता अब इसे अपनी जीत भी मान रहे हैं.



साल 2017 में भारत सरकार रेल मंत्रालय ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का निजीकरण कर दिया था. देश का पहला निजी रेलवे स्टेशन हबीबगंज बन गया. हबीबगंज रेलवे स्टेशन भोपाल शहर का रेलवे स्टेशन है. पश्चिम मध्य रेलवे का हिस्सा है. मुख्य मार्ग पर झांसी भोपाल इटारसी हबीबगंज रेलवे स्टेशन स्थित है. रेल मंत्रालय ने इस स्टेशन को निजी हाथों में सौंपने के बाद से लगातार निजीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश जारी रखी. तेजस एक्सप्रेस के रूप में पहली प्राइवेट ट्रेन भी पटरी पर उतार दी. इस ट्रेन के पटरी पर उतरने के बाद रेलवे में ट्रेनों के भी निजीकरण का खतरा मंडराने लगा. इसके अलावा लखनऊ समेत अन्य स्थानों पर वर्कशॉप और स्टेशनों को भी प्राइवेट हाथों में दिए जाने का प्लान बनने लगा, लेकिन रेलवे के इस प्लान को रेलवे की यूनियन ने फेल कर दिया. इसके बाद अन्य ट्रेनों का निजीकरण नहीं हो पाया और रेल मंत्रालय ने अपने कदम पीछे खींच लिए. लखनऊ के लोको वर्कशॉप का भी निजीकरण करने का प्लान था लेकिन, यूनियन ने कड़ा विरोध जाता दिया. इसके बाद रेल प्रशासन को पैर खींचने पड़ गए.




क्या कहते हैं यूनियन के महामंत्री : ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि किसी भी कीमत पर रेलवे में प्राइवेटाइजेशन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं, लेकिन हर बार इन प्रयासों को यूनियन के विरोध के चलते कामयाब नहीं होने दिया गया. हाल ही में टीटागढ़ और भेल को आईसीएफ मद्रास के अंदर ट्रेन शेड्स बनाने का काम सौंपा जा रहा था. हमारी यूनियन ने इसका जमकर विरोध किया. नतीजा यह हुआ कि सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़ गए. इसके अलावा भी निजीकरण के अन्य प्रयास भी हुए लेकिन, हमारे विरोध के चलते ऐसा नहीं हो पाया. आगे भी इस बारे में अगर सोचा जाएगा तो ऐसा होने नहीं दिया जाएगा. इस मामले में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात हुई है. उनके सामने बात रखी गई है. उन्होंने भरोसा दिया है कि हम प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा नहीं देंगे. अपने ही लोगों से काम लेंगे. अच्छे काम करेंगे. मुझे उम्मीद है कि अब ऐसा नहीं होगा. निजीकरण की तरफ अगर कोई कदम उठाया जाएगा तो फिर विरोध करेंगे. बिना किसी नोटिस के आंदोलन किया जाएगा.

यह भी पढ़ें : रेलवे के इंडोर अस्पताल में अब मरीजों को मिलेगी बेहतर सुविधा, क्रिटिकल केयर वार्ड और केबिन शुरू

यह भी पढ़ें : लखनऊ के इस रेलवे स्टेशन पर बहुत जल्द दोनों तरफ प्लेटफार्म पर उतर सकेंगे यात्री

जानकारी देते ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा

लखनऊ : रेलवे में लगातार प्राइवेटाइजेशन बढ़ता ही जा रहा है. देश की पहली कॉर्पोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस के संचालित होने के बाद और कई रेलवे स्टेशनों को प्राइवेट हाथों में दिए जाने से रेलकर्मी घबराने लगे. इसके बाद रेलवे की यूनियनों ने सरकार के इस कदम का पुरजोर तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया. लखनऊ के वर्कशॉप को भी प्राइवेट हाथों में देने का प्लान था, लेकिन यूनियन के भारी विरोध के चलते अब वर्कशॉप को प्राइवेट हाथों में देने से रेलवे प्रशासन ने कदम पीछे खींच लिया है. यूनियन नेता अब इसे अपनी जीत भी मान रहे हैं.



साल 2017 में भारत सरकार रेल मंत्रालय ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का निजीकरण कर दिया था. देश का पहला निजी रेलवे स्टेशन हबीबगंज बन गया. हबीबगंज रेलवे स्टेशन भोपाल शहर का रेलवे स्टेशन है. पश्चिम मध्य रेलवे का हिस्सा है. मुख्य मार्ग पर झांसी भोपाल इटारसी हबीबगंज रेलवे स्टेशन स्थित है. रेल मंत्रालय ने इस स्टेशन को निजी हाथों में सौंपने के बाद से लगातार निजीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश जारी रखी. तेजस एक्सप्रेस के रूप में पहली प्राइवेट ट्रेन भी पटरी पर उतार दी. इस ट्रेन के पटरी पर उतरने के बाद रेलवे में ट्रेनों के भी निजीकरण का खतरा मंडराने लगा. इसके अलावा लखनऊ समेत अन्य स्थानों पर वर्कशॉप और स्टेशनों को भी प्राइवेट हाथों में दिए जाने का प्लान बनने लगा, लेकिन रेलवे के इस प्लान को रेलवे की यूनियन ने फेल कर दिया. इसके बाद अन्य ट्रेनों का निजीकरण नहीं हो पाया और रेल मंत्रालय ने अपने कदम पीछे खींच लिए. लखनऊ के लोको वर्कशॉप का भी निजीकरण करने का प्लान था लेकिन, यूनियन ने कड़ा विरोध जाता दिया. इसके बाद रेल प्रशासन को पैर खींचने पड़ गए.




क्या कहते हैं यूनियन के महामंत्री : ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि किसी भी कीमत पर रेलवे में प्राइवेटाइजेशन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं, लेकिन हर बार इन प्रयासों को यूनियन के विरोध के चलते कामयाब नहीं होने दिया गया. हाल ही में टीटागढ़ और भेल को आईसीएफ मद्रास के अंदर ट्रेन शेड्स बनाने का काम सौंपा जा रहा था. हमारी यूनियन ने इसका जमकर विरोध किया. नतीजा यह हुआ कि सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़ गए. इसके अलावा भी निजीकरण के अन्य प्रयास भी हुए लेकिन, हमारे विरोध के चलते ऐसा नहीं हो पाया. आगे भी इस बारे में अगर सोचा जाएगा तो ऐसा होने नहीं दिया जाएगा. इस मामले में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात हुई है. उनके सामने बात रखी गई है. उन्होंने भरोसा दिया है कि हम प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा नहीं देंगे. अपने ही लोगों से काम लेंगे. अच्छे काम करेंगे. मुझे उम्मीद है कि अब ऐसा नहीं होगा. निजीकरण की तरफ अगर कोई कदम उठाया जाएगा तो फिर विरोध करेंगे. बिना किसी नोटिस के आंदोलन किया जाएगा.

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