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गणेश चतुर्थी के लिए सजा दिल्ली में गणपति मूर्ति का बाजार, बप्पा के स्वागत को लेकर बाजारों में भारी रौनक - Ganesh Chaturthi 2024

Ganesh Chaturthi 2024: 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी को लेकर राजधानी दिल्ली में बाजार सजने लगे हैं. खास तौर पर गणपति प्रतिमा की डिमांड देखते बन रही है. लोगों ने कई दिन पहले से मूर्तियों का आर्डर कर रखा है. आइए आपको ले चलते हैं दिल्ली के गणेश प्रतिमा के बड़े बाजारों में शुमार रामपुरा बाजार...

गणेश चतुर्थी के लिए सजा दिल्ली में गणपति मूर्ति का बाजार
गणेश चतुर्थी के लिए सजा दिल्ली में गणपति मूर्ति का बाजार (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 5, 2024, 7:24 AM IST

नई दिल्ली: सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. इसे देखते हुए राजधानी के तमाम बाजारों में गणेश भगवान की आकर्षक प्रतिमाओं को सजाने काम जोरों पर है. इस साल 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. पहले यह पर्व मुख्य तौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता था, लेकिन अब इसकी धूम देशभर में होने लगी है. राजधानी दिल्ली में कई धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, आरडब्ल्यूए संस्थाओं द्वारा गणेश चतुर्थी पर भव्य पंडाल लगाए जाते हैं. वहीं बहुत से भक्त अपने घर पर गणपति स्थापित करते हैं.

कोरोना काल के बाद से गणपति प्रतिमा की बढ़ी डिमांडः कई मूर्तिकारों ने बताया कि कोरोना काल के बाद से गणपति प्रतिमा की डिमांड बढ़ गई है. इसके अलावा एक और बेहतरीन बदलाव देखने के लिए मिला है कि लोग अब प्लास्टर ऑफ पेरिस (PoP) से बनी मूर्ति के बजाये मिट्टी से बनी मूर्तियों की ओर अग्रसर हुए हैं. जबकि, मिट्टी से बनाए जाने मूर्तियों की कीमत ज्यादा होती है. भगवान गणेश के भक्तों का मानना है कि वह मिट्टी की प्रतिमा इसलिए खरीदते हैं ताकि वह कुछ घंटों में वो आसानी से पानी में घुल जाती है. फिर वह उस जल को आपने घर में लगे पौधों या पार्क में डाल देते हैं. इससे वातावरण को भी कोई हानि नहीं होती है.

5 वर्षों राजधानी में बढ़ी गणेश चतुर्थी की धूमः पश्चिमी दिल्ली के रामपुरा में गणेश चंद्रा ने बताया कि वह 35 वर्षों से दिल्ली गणेश प्रतिमा बनाने का काम कर रहे हैं. इस काम के लिए वे पहले मुंबई जाते थे. लेकिन बीते 4-5 वर्षों में राजधानी में गणेश चतुर्थी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाने लगा है. इसलिए अब दिल्ली में मूर्तियां बनाते हैं. इसकी तैयारियां करीब 3 महीने पहले शुरू हो जाती हैं. बड़ी मूर्तियों को प्लास्टर ऑफ पेरिस के बनती हैं. इसको बड़े पंडालों में स्थापित किया जाता है. जबकि, छोटी मूर्तियां मिट्टी से बनाते हैं. इसको लोग अपने घरों में विराजते हैं और घर में विसर्जन कर देते हैं.

भक्तों की श्रद्धा के हिसाब से होती है सजावटः मूर्तियों में रंग भक्त की श्रद्धा के हिसाब से डाला जाता है. अगर किसी भक्त ने लाल बाग के राजा की सुनहरी धोती चाहिए, तो उसी हिसाब से रंग और सजावट की जाती है. यहां तक कि गणपति के माथे पर बनने वाला तिलक भी श्रद्धालुओं की मांग के अनुसार बनाया जाता है. लोग करीब एक महीने पहले से मूर्तियों की बुकिंग कर देते हैं.

दिल्ली में गणेश प्रतिमा के बड़े बाज़ारों में शुमार है रामपुराः मूर्तिकार पप्पू ने बताया कि देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें मुंबई प्रथम स्थान पर है और अब दूसरे नंबर पर राजधानी दिल्ली है. रामपुरा में मूर्तियां बनाने और बेचने का सबसे बड़ा बाजार हैं. यहां करीब 40-45 परिवार हैं, जो मूर्तियां बनने का काम करते हैं. ज्यादातर लोग चित्तौड़ के रहने वाले हैं. ऑफ सीजन में सभी लोहे का सामान बेचते हैं. यहां तैयार की जाने वाली सभी प्रतिमाओं को कोलकाता से मंगाया जाता है, फिर उनको यहां फाइनल लुक दिया जाता है.

ये भी पढ़ें : गुवाहाटी में भगवान गणेश की 40 फीट ऊंची मूर्ति, खासियत जानकर चौंक जाएंगे आप

भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है गणेश चतुर्थीः हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. जो गणेशजन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है. जहां गणेश चतुर्थी के दिन से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है. वहीं, इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ होगा. इस दस दिनों के महोत्सव को लेकर गणपति के भक्तों ने पूरे उत्साह और मनोयोग से तैयारी शुरू कर दी है. 7 सितंबर में हर घर में भक्त यही कहेंगे.

ये भी पढ़ें : गणेश चतुर्थी से पहले गाजियाबाद में सजा मूर्तियों का बाजार, इको फ्रेंडली मूर्तियां बनी लोगों को पहली पसंद

नई दिल्ली: सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. इसे देखते हुए राजधानी के तमाम बाजारों में गणेश भगवान की आकर्षक प्रतिमाओं को सजाने काम जोरों पर है. इस साल 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. पहले यह पर्व मुख्य तौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता था, लेकिन अब इसकी धूम देशभर में होने लगी है. राजधानी दिल्ली में कई धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, आरडब्ल्यूए संस्थाओं द्वारा गणेश चतुर्थी पर भव्य पंडाल लगाए जाते हैं. वहीं बहुत से भक्त अपने घर पर गणपति स्थापित करते हैं.

कोरोना काल के बाद से गणपति प्रतिमा की बढ़ी डिमांडः कई मूर्तिकारों ने बताया कि कोरोना काल के बाद से गणपति प्रतिमा की डिमांड बढ़ गई है. इसके अलावा एक और बेहतरीन बदलाव देखने के लिए मिला है कि लोग अब प्लास्टर ऑफ पेरिस (PoP) से बनी मूर्ति के बजाये मिट्टी से बनी मूर्तियों की ओर अग्रसर हुए हैं. जबकि, मिट्टी से बनाए जाने मूर्तियों की कीमत ज्यादा होती है. भगवान गणेश के भक्तों का मानना है कि वह मिट्टी की प्रतिमा इसलिए खरीदते हैं ताकि वह कुछ घंटों में वो आसानी से पानी में घुल जाती है. फिर वह उस जल को आपने घर में लगे पौधों या पार्क में डाल देते हैं. इससे वातावरण को भी कोई हानि नहीं होती है.

5 वर्षों राजधानी में बढ़ी गणेश चतुर्थी की धूमः पश्चिमी दिल्ली के रामपुरा में गणेश चंद्रा ने बताया कि वह 35 वर्षों से दिल्ली गणेश प्रतिमा बनाने का काम कर रहे हैं. इस काम के लिए वे पहले मुंबई जाते थे. लेकिन बीते 4-5 वर्षों में राजधानी में गणेश चतुर्थी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाने लगा है. इसलिए अब दिल्ली में मूर्तियां बनाते हैं. इसकी तैयारियां करीब 3 महीने पहले शुरू हो जाती हैं. बड़ी मूर्तियों को प्लास्टर ऑफ पेरिस के बनती हैं. इसको बड़े पंडालों में स्थापित किया जाता है. जबकि, छोटी मूर्तियां मिट्टी से बनाते हैं. इसको लोग अपने घरों में विराजते हैं और घर में विसर्जन कर देते हैं.

भक्तों की श्रद्धा के हिसाब से होती है सजावटः मूर्तियों में रंग भक्त की श्रद्धा के हिसाब से डाला जाता है. अगर किसी भक्त ने लाल बाग के राजा की सुनहरी धोती चाहिए, तो उसी हिसाब से रंग और सजावट की जाती है. यहां तक कि गणपति के माथे पर बनने वाला तिलक भी श्रद्धालुओं की मांग के अनुसार बनाया जाता है. लोग करीब एक महीने पहले से मूर्तियों की बुकिंग कर देते हैं.

दिल्ली में गणेश प्रतिमा के बड़े बाज़ारों में शुमार है रामपुराः मूर्तिकार पप्पू ने बताया कि देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें मुंबई प्रथम स्थान पर है और अब दूसरे नंबर पर राजधानी दिल्ली है. रामपुरा में मूर्तियां बनाने और बेचने का सबसे बड़ा बाजार हैं. यहां करीब 40-45 परिवार हैं, जो मूर्तियां बनने का काम करते हैं. ज्यादातर लोग चित्तौड़ के रहने वाले हैं. ऑफ सीजन में सभी लोहे का सामान बेचते हैं. यहां तैयार की जाने वाली सभी प्रतिमाओं को कोलकाता से मंगाया जाता है, फिर उनको यहां फाइनल लुक दिया जाता है.

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भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है गणेश चतुर्थीः हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. जो गणेशजन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है. जहां गणेश चतुर्थी के दिन से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है. वहीं, इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ होगा. इस दस दिनों के महोत्सव को लेकर गणपति के भक्तों ने पूरे उत्साह और मनोयोग से तैयारी शुरू कर दी है. 7 सितंबर में हर घर में भक्त यही कहेंगे.

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