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अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का गवाह है यूपी का यह गणेश मंदिर, ब्रिटिश हुकूमत से छिपाकर कराया गया था निर्माण, पूरी होती है हर मुराद - ganesh chaturthi 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 8, 2024, 7:34 AM IST

कानपुर का एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर है, जो अंग्रेजों के खिलाफ हुई क्रांति का गवाह है. हर साल देश-विदेश से भक्त यहां आते हैं. आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर की कहानी.

कानपुर का गणेश मंदिर कई मायने में खास है.
कानपुर का गणेश मंदिर कई मायने में खास है. (Photo Credit; ETV Bharat)
मंदिर के पुजारी लवकुश तिवारी ने दी जानकारी (video credit- Etv Bharat)

कानपुर : देश भर में गणेश महोत्सव को लेकर धूम है. हर कोई बप्पा के स्वागत और उनकी पूजा-अर्चना में लगा हुआ है. शहर में भी बप्पा के कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां पर भक्तों का तांता लगा हुआ है. आज हम आपको कानपुर के एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अंग्रेजों के खिलाफ हुई क्रांति का गवाह है. इस मंदिर को अंग्रेजों के विरोध के चलते मकान के रूप में निर्मित किया गया था. इस मंदिर की विशेष बात यह है, कि यहां पर आने वाले भक्तों को गजानन महाराज के कई स्वरूपों के दर्शन प्राप्त होते हैं. इस मंदिर में शुभ और लाभ के साथ रिद्धि सिद्धि भी विराजमान हैं. हर वर्ष घंटाघर स्थित इस सिद्धि विनायक मंदिर में गजानन के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं.

बाल गंगाधर तिलक ने रखी थी इस मंदिर की नींव : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी लवकुश तिवारी ने बताया कि इस मंदिर का भूमि पूजन बाल गंगाधर तिलक ने 1918 में किया था. इसके बाद शीश मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद से ही शहर में गणेश महोत्सव की शुरुआत हुई थी. उन्होंने बताया, कि मंदिर स्थल के पास मस्जिद होने के चलते अंग्रेजों ने इसका निर्माण नहीं होने दिया.

इसके बाद इस मंदिर को मकान के रूप में वर्ष 1923 में तैयार किया गया. इस मंदिर का निर्माण लाल रामचरण और लाल ठाकुर प्रसाद ने कराया था. 1908 में बाल गंगाधर के सामने उन्होंने मंदिर निर्माण की इच्छा जाहिर की थी. इस मंदिर में संगमरमर की मूर्ति के अलावा पीतल के गणेश भगवान के साथ रिद्धि और सिद्धि भी विराजमान हैं. इस बार गणेश महोत्सव को लेकर काफी भव्य आयोजन भी किया गया है. यहां गजानन की रथ यात्रा के अलावा सुंदरकांड, अखंड पाठ का भी आयोजन किया गया है.

इसे भी पढ़े-गणेश उत्सव में बाधा: गंगा-यमुना के बढ़े जलस्तर से मूर्ति कारीगर परेशान - Ganesh festival in Prayagraj

गजानन का यह मंदिर देखने में मकान की तरह होता है प्रतीत : मंदिर के पुजारी लवकुश तिवारी ने बताया, कि यह मंदिर देखने में बिल्कुल एक मकान की तरह प्रतीत होता है. इस मंदिर में बाहर से ही आपको बप्पा की एक विशालकाय मूर्ति देखने को मिलती है जो कि बेहद आकर्षक और काफी सुंदर है. मंदिर में प्रवेश करते ही बप्पा की सबसे प्रिय दोस्त मूषक राजा विराजमान हैं. उनका आशीर्वाद लेकर ही मंदिर में भक्त प्रवेश करते हैं. उनका दावा है कि पूरे भारत में यह एक ऐसा मंदिर है जिसका स्वरूप घर जैसा है. इस तीन मंजिला खंड में यहां हर एक खंड में बप्पा विराजमान है.

कुछ समय पहले ही यहां पर नवग्रह की भी स्थापना की गई है. इसके साथ यहां पर भगवान गणेश के 10 स्वरूप एक साथ मौजूद है. ऐसे में यहां पर आने वाले भक्तों को 10 सिर वाले गणपति के भी दर्शन आसानी से हो जाते हैं. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो भी यहां पर आकर 40 दिन तक बप्पा की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है उसकी गजानन महाराज सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

गणेश महोत्सव में इस मंदिर में लाखों की संख्या में आते हैं भक्त : मंदिर के पुजारी लवकुश तिवारी ने बताया कि, गणेश महोत्सव पर कानपुर के घंटाघर में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में कानपुर शहर ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. उन्होंने बताया, कि देश का यह सिर्फ एक ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां पर गणेश भगवान अपने पुत्र शुभ-लाभ और रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं. हर वर्ष यहां पर गजानन महाराज का भव्य दरबार सजाकर 10 दिनों तक विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके साथ यहां पर हर वर्ष महाराष्ट्र की तर्ज पर गणेश महोत्सव की छटा देखने को मिलती है.

यह भी पढ़े-Ganpati Aarti In Sign Language: यहां इशारों की भाषा में होती है बप्पा की वंदना, मूक बधिर बच्चों ने साइन लैंग्वेज में तैयार की आरती

मंदिर के पुजारी लवकुश तिवारी ने दी जानकारी (video credit- Etv Bharat)

कानपुर : देश भर में गणेश महोत्सव को लेकर धूम है. हर कोई बप्पा के स्वागत और उनकी पूजा-अर्चना में लगा हुआ है. शहर में भी बप्पा के कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां पर भक्तों का तांता लगा हुआ है. आज हम आपको कानपुर के एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अंग्रेजों के खिलाफ हुई क्रांति का गवाह है. इस मंदिर को अंग्रेजों के विरोध के चलते मकान के रूप में निर्मित किया गया था. इस मंदिर की विशेष बात यह है, कि यहां पर आने वाले भक्तों को गजानन महाराज के कई स्वरूपों के दर्शन प्राप्त होते हैं. इस मंदिर में शुभ और लाभ के साथ रिद्धि सिद्धि भी विराजमान हैं. हर वर्ष घंटाघर स्थित इस सिद्धि विनायक मंदिर में गजानन के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं.

बाल गंगाधर तिलक ने रखी थी इस मंदिर की नींव : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी लवकुश तिवारी ने बताया कि इस मंदिर का भूमि पूजन बाल गंगाधर तिलक ने 1918 में किया था. इसके बाद शीश मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद से ही शहर में गणेश महोत्सव की शुरुआत हुई थी. उन्होंने बताया, कि मंदिर स्थल के पास मस्जिद होने के चलते अंग्रेजों ने इसका निर्माण नहीं होने दिया.

इसके बाद इस मंदिर को मकान के रूप में वर्ष 1923 में तैयार किया गया. इस मंदिर का निर्माण लाल रामचरण और लाल ठाकुर प्रसाद ने कराया था. 1908 में बाल गंगाधर के सामने उन्होंने मंदिर निर्माण की इच्छा जाहिर की थी. इस मंदिर में संगमरमर की मूर्ति के अलावा पीतल के गणेश भगवान के साथ रिद्धि और सिद्धि भी विराजमान हैं. इस बार गणेश महोत्सव को लेकर काफी भव्य आयोजन भी किया गया है. यहां गजानन की रथ यात्रा के अलावा सुंदरकांड, अखंड पाठ का भी आयोजन किया गया है.

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गजानन का यह मंदिर देखने में मकान की तरह होता है प्रतीत : मंदिर के पुजारी लवकुश तिवारी ने बताया, कि यह मंदिर देखने में बिल्कुल एक मकान की तरह प्रतीत होता है. इस मंदिर में बाहर से ही आपको बप्पा की एक विशालकाय मूर्ति देखने को मिलती है जो कि बेहद आकर्षक और काफी सुंदर है. मंदिर में प्रवेश करते ही बप्पा की सबसे प्रिय दोस्त मूषक राजा विराजमान हैं. उनका आशीर्वाद लेकर ही मंदिर में भक्त प्रवेश करते हैं. उनका दावा है कि पूरे भारत में यह एक ऐसा मंदिर है जिसका स्वरूप घर जैसा है. इस तीन मंजिला खंड में यहां हर एक खंड में बप्पा विराजमान है.

कुछ समय पहले ही यहां पर नवग्रह की भी स्थापना की गई है. इसके साथ यहां पर भगवान गणेश के 10 स्वरूप एक साथ मौजूद है. ऐसे में यहां पर आने वाले भक्तों को 10 सिर वाले गणपति के भी दर्शन आसानी से हो जाते हैं. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो भी यहां पर आकर 40 दिन तक बप्पा की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है उसकी गजानन महाराज सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

गणेश महोत्सव में इस मंदिर में लाखों की संख्या में आते हैं भक्त : मंदिर के पुजारी लवकुश तिवारी ने बताया कि, गणेश महोत्सव पर कानपुर के घंटाघर में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में कानपुर शहर ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. उन्होंने बताया, कि देश का यह सिर्फ एक ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां पर गणेश भगवान अपने पुत्र शुभ-लाभ और रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं. हर वर्ष यहां पर गजानन महाराज का भव्य दरबार सजाकर 10 दिनों तक विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके साथ यहां पर हर वर्ष महाराष्ट्र की तर्ज पर गणेश महोत्सव की छटा देखने को मिलती है.

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