वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना देखा. इसके साथ उन्होंने खेलो इंडिया अभियान की शुरुआत की. यह अभियान पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सार्थक होता हुआ नजर आ रहा है. यहां बाकायदा छात्र-छात्राएं दक्षिण से लेकर के पूर्व तक के राज्यों के पारंपरिक खेलों में अव्वल बना रही हैं. जी हां! वाराणसी में इंटर कॉलेज की छात्र-छात्राएं दक्षिण (केरल) में खेले जाने वाले कलराईपट्टू, मणिपुर के थांगटा, पंजाब के गतका पारंपरिक खेलों में अपना हाथ आजमा रहे हैं. दो बच्चों से शुरू हुआ यह सफर आज 70 बच्चों तक पहुंच गया है.
केंद्र व राज्य सरकार द्वारा खेलों को बढ़ावा देने और खेलों के प्रति युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. खेलो इंडिया आदि कैंपेन के माध्यम से युवाओं की प्रतिभा को मौका देने के लिए खेलों का आयोजन किया जा रहा है और बड़ी संख्या में युवाओं को मौका मिल रहा है. इसी उद्देश्य के साथ वाराणसी के इंटर कॉलेज में तीन ऐसे खेलों को शामिल किया गया है, जो छात्र-छात्राओं को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने का भी काम करेंगे. साथ ही राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित भी करेंगे.
'बच्चे खेल और संस्कृति को जानें' : प्रभु नारायण राजकीय इंटर कॉलेज रामनगर के अध्यापक डॉ. प्रभास कुमार झा बताते हैं कि, हमारा उद्देश्य सीमा के खेलों को अपने यहां लाना था. इससे हमारी राष्ट्रीय एकता मजबूत हो और हम एक दूसरे के खेल और संस्कृति को जानें. इन खेलों की विशेषता यह है कि इनके लिए बहुत अधिक जगह और संसाधनों की जरूरत नहीं होती है, इसलिए हम अधिक से अधिक बच्चों को इन खेलों में लेकर आएं. अधिक से अधिक बच्चों के बीच में इन खेलों को लेकर जाएं.
'बच्चियां सीख सकेंगी सेल्फ डिफेंस' : उन्होंने बताया कि सरकार की रानी लक्ष्मीबाई योजना चल रही है, जिसमें सेल्फ डिफेंस के बारे में बच्चियों को सिखाया जा रहा है. हमें लगा कि इस तरह के खेल सीखकर हमारी बच्चियां सेल्फ डिफेंस सीख सकेंगी. साथ ही फिजिकली फिट और मेंटली स्ट्रॉन्ग रहेंगी. ऐसे युवा होंगे तो हमारे देश की फौज भी स्ट्रॉन्ग तैयार होगी. किसी देश की मूल संपदा वहां की युवा पीढ़ी होती है. यह खेल बिल्कुल नया था. सरकार की भी यही मंशा थी. इन खेलों को तीन साल के लिए ट्रायल के तौर पर शुरू किया गया है.
नेशनल लेवल पर खेलने का है जज्बा : छात्रा सानिया ने बताया, कि हम लोग गतका खेल रहे हैं. यह खेल देखने में बहुत ही अच्छा लगा था. इस खेल में यह सोचकर प्रतिभाग किया कि हम खेलते तो बहुत से खेल हैं, मगर पढ़ाई के साथ कुछ नया खेल सीखने को मिल रहा है. इसके माध्यम से विश्वविद्यालय में छूट मिलेगी. वहीं, अगर हम लोग नेशनल लेवल पर खेल में जीतते हैं तो सरकारी नौकरी भी मिल सकती है. गतका हमें बहुत ही अच्छा लगता है. पिताजी मजदूरी का काम करते हैं. मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हूं.
10 बच्चे नेशनल लेवल पर करेंगे प्रतिभाग : खेल अध्यापक विवेक कुमार सिंह बताते हैं कि, इस बार माध्यमिक खेलों में 7 नए खेल शामिल किए गए हैं, जिसमें तीन पारंपरिक खेल हैं. पंजाब का गतका, मणिपुर का थांगटा, केरल का खेल कलराईपट्टू शामिल किया गया है. ये तीनों खेल मार्शल आर्ट के तौर पर माध्यमिक खेलों में शामिल हुए हैं. जो बच्चे स्टेट से खेलकर आगे जाते हैं वे स्कूल गेम फेडरेशन ऑफ इंडिया में होने वाली प्रतियोगिता में प्रतिभाग करते हैं. प्रभु नारायण राजकीय इंटर कॉलेज रामनगर और राधा किशोरी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से कुल लगभग 70 बच्चों ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया है और लगभग 10 बच्चे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेंगे.
सरकार और विद्यालय प्रशासन कर रहा है मदद : उन्होंने बताया कि, रामनगर के इलाके में बनारस, चंदौली और मिर्जापुर के बच्चे शामिल होते हैं. ये बच्चे गरीब परिवार से आते हैं. ये बहुत मुश्किल से अपनी छमाही फीस भी दे पाते हैं. विद्यालय प्रशासन और सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं से ये बच्चे प्रतिभाग कर पा रहे हैं. छात्रा गायत्री कुमारी बताती हैं कि वे केरल की मार्शल आर्ट विधा कलराईपट्टू खेलती हैं. क्लास टीचर ने इसे खेलने के लिए प्रोत्साहित किया था. रंजीत कुमार बताते हैं कि वे मणिपुर का थांगटा खेलते हैं. इस खेल में बहुत आनंद आता है. विद्यालय की तरफ से भी हमें खेलों में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया जाता है.
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