शिमला: हिमाचल में लोकसभा और विधानसभा की छह सीटों पर 1 जून को होने जा रहे उपचुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ कर गए नेताओं की अब घर वापसी होने लगी है. प्रदेश के सुलह से पूर्व विधायक जगजीवन पाल और आनी से परसराम की कांग्रेस में वापसी के बाद अब ऊना जिला के गगरेट विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक राकेश कालिया की भी कांग्रेस में वापसी हो गई है. उन्हें आज दिल्ली में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने पटका पहनाया. ऐसे में कालिया की भाजपा में शामिल होने के बाद 18 महीने बाद कांग्रेस में वापसी हुई है. इससे अब उनको गगरेट विधानसभा से कांग्रेस की तरफ से टिकट दिए जाने की अटकलें भी तेज हो गई है.
2022 में टिकट न मिलने से छोड़ी थी पार्टी: राकेश कालिया कांग्रेस से 3 बार विधायक रह चुके हैं. कालिया चिंतपूर्णी से दो बार विधायक रहे हैं और गगरेट विधानसभा से एक बार विधायक रह चुके हैं. ऐसे में कालिया कांग्रेस के काफी वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कालिया का टिकट काट लिया. उनकी जगह युवा नेता चैतन्य को टिकट दिया गया. जिससे नाराज होकर कालिया ने भाजपा का दामन थाम लिया था.
राज्यसभा चुनाव के बाद बदली प्रदेश की सियासत: हिमाचल में 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के बाद घटे सियासी घटनाक्रम से राजनीतिक परिस्थितियों बदल गई हैं. गगरेट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते चैतन्य शर्मा ने भी राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी. जिसके बाद अब चैतन्य शर्मा ने भाजपा दामन थाम लिया है. यही नहीं क्रॉस वोटिंग के इनाम में उन्हें भाजपा ने गगरेट से अपना प्रत्याशी भी बनाया है.
चैतन्य की एंट्री से खफा थे राकेश कालिया: वहीं, भाजपा में चैतन्य की एंट्री से खफा राकेश कालिया ने फिर से कांग्रेस में शामिल होकर घर वापसी कर ली है. बता दें कि राकेश कालिया पूर्व वीरभद्र सरकार में मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं. इसके अतिरिक्त कालिया अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव सहित मध्य प्रदेश में कांग्रेस सह प्रभारी की भी जिम्मेवारी निभाई है.
इन दो नेताओं की भी हो चुकी है घर वापसी: हिमाचल के जिला कांगड़ा के सुलह से पूर्व विधायक जगजीवन पाल सहित आनी से परसराम की कांग्रेस में वापस आ चुके हैं. इन दोनों ही नेताओं की हाल ही में घर वापसी की थी. लोकसभा चुनाव व विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए हाईकमान ने इन दोनों नेताओं के निलंबन को रद्द कर दिया है. इन दोनों नेताओं ने साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इस कारण इन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया था.
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