जयपुर : सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग चल रहे प्रदेश के चर्चित एकल पट्टा केस में पूर्व यूडीएच सचिव जीएस संधू ने एक प्रार्थना पत्र दायर की है. इसमें भजनलाल सरकार की ओर से हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस आरएस राठौड़ की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी को चुनौती देते हुए अदालत से इसे रद्द करने का आग्रह किया है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से मामले में एक अन्य प्रार्थना पत्र दायर कर रिवाइज्ड एफिडेविट पेश करने के लिए 8 सप्ताह का समय देने का आग्रह किया है.
संधू की ओर से दायर प्रार्थना पत्र में कहा है कि मामले में राज्य सरकार अपना जवाब दे चुकी है और उसमें उन पर कोई भी अपराध बनना नहीं पाया है. मामले में पहले भी एफआर लग चुकी है. राजस्थान हाईकोर्ट से भी मामला अभियोजन पक्ष मामला वापस ले चुका है. ऐसे में इस स्तर पर राज्य सरकार की ओर से मामले के आरोपों की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में गृह विभाग के एसीएस व यूडीएच विभाग के प्रमुख सचिव की कमेटी नहीं बनाई जा सकती, इसलिए इस कमेटी की क्रियान्विति पर राेक लगाकर इसे रद्द किया जाए.
दरअसल, एकल पट्टा मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए रिप्लाई में पूर्व राज्य सरकार के तत्कालीन यूडीएच मंत्री सहित अन्य तत्कालीन अफसरों को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ मामला ही नहीं बनता. इससे राज्य सरकार को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. गौरतलब है कि एकल पट्टा केस में तत्कालीन वसुंधरा सरकार के समय 3 दिसम्बर 2014 को एसीबी ने मामला दर्ज किया था, जिसकी जांच के बाद एसीबी ने पूर्व यूडीएच सचिव जीएस संधू, निष्काम दिवाकर, ओंकारमल सैनी सहित शैलेन्द्र गर्ग व अन्य को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया. तब तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से भी पूछताछ हुई थी, लेकिन पूर्व गहलोत राज्य सरकार ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर उनमें पूर्व आईएएस जीएस संधू, पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर और ओंकारमल सैनी को क्लीन चिट दी थी.