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पूर्व महिला जज के साथ दुर्व्यहार के मामले में दिल्ली बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला बरी - Rajiv Khosla acquitted

Delhi High Court: पूर्व महिला जज के साथ दुर्व्यहार के मामले में दिल्ली बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 29, 2024, 9:52 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली की पूर्व डिस्ट्रिक्ट जज सुजाता कोहली की ओर से दायर अवमानना के मामले में दिल्ली बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को बरी कर दिया है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने ऐसा कोई तथ्य नहीं दिया जिससे पता चले कि आरोपी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला बनता है.

दरअसल शिकायतकर्ता सुजाता कोहली ने याचिका दायर कर राजीव खोसला के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाने की मांग की थी. सुजाता कोहली ने कहा था कि जब तीस हजारी कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दोषी करार देने की कार्यवाही चला रहे थे उस समय दो डिस्ट्रिक्ट जज भी मौजूद थे. इस पर हाई कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि ये असाधारण है कि न्यायिक कार्यवाही के दौरान कोई दूसरा न्यायिक अधिकारी भी वहां मौजूद हो. उसके बाद कोर्ट ने 27 नवंबर 2021 और 30 नवंबर 2021 की कोर्ट की हाईब्रिड और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की थी.

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सुजाता कोहली ने राजीव खोसला पर आरोप लगाया था कि उन्होंने न्याय प्रशासन में सीधे-सीधे हस्तक्षेप किया और कोर्ट को बदनाम करने की कोशिश की. याचिका में कहा गया था कि तीस हजारी कोर्ट में 27 नवंबर 2021 और 30 नवंबर 2021 को कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटीं. 27 नवंबर 2021 को सुजाता कोहली जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में जुड़ीं तो उन्होंने देखा कि पूरा कोर्ट रूम खचाखच भरा हुआ था. कोर्ट रूम में वकील नारे लगा रहे थे और जज पर आरोप लगा रहे थे कि उन्होंने याचिकाकर्ता के दबाव में राजीव खोसला को दोषी करार दिया.

बता दें कि 30 नवंबर 2021 को तीस हजारी कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गजेंद्र नागर ने राजीव खोसला पर चालीस हजार रुपये का मुआवजा लगाकर छोड़ने का आदेश दिया था. खोसला को अक्टूबर 2021 में भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और धारा 506 के तहत दोषी करार दिया था. महिला वकील सुजाती कोहली बाद में जज बनीं और 2020 में रिटायर हो गईं.

राजीव खोसला पर आरोप था कि जुलाई 1994 में तीस हजारी कोर्ट के दिल्ली बार एसोसिएशन का सचिव रहते हुए कोहली को एक सेमिनार में भाग लेने को कहा था. शिकायत के मुताबिक जब कोहली ने इससे इनकार किया था तो खोसला ने धमकी दी कि उनकी बार में मिलने वाली सभी सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी और उन्हें उनकी सीट से भी हटा दिया जाएगा. इसके लिए कोहली ने दीवानी याचिका भी दायर की थी.

लेकिन कोहली का टेबल और कुर्सी अपनी जगह से हटा दिया गया था. शिकायत में कहा गया था जब कोहली अपनी पहले की सीट के बगल में बैठकर सिविल जज का इंतजार कर रही थी तो राजीव खोसला के साथ 40-50 वकील वहां पहुंचे. वहां राजीव खोसला ने उनके बाल पकड़कर खींचे और बांह मरोड़ते हुए गाली दी.

ये भी पढ़ें: पंजाब, यूपी, हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं को बदलने की मांग खारिज, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- ऐसा करना संसद का अधिकार

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली की पूर्व डिस्ट्रिक्ट जज सुजाता कोहली की ओर से दायर अवमानना के मामले में दिल्ली बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को बरी कर दिया है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने ऐसा कोई तथ्य नहीं दिया जिससे पता चले कि आरोपी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला बनता है.

दरअसल शिकायतकर्ता सुजाता कोहली ने याचिका दायर कर राजीव खोसला के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाने की मांग की थी. सुजाता कोहली ने कहा था कि जब तीस हजारी कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दोषी करार देने की कार्यवाही चला रहे थे उस समय दो डिस्ट्रिक्ट जज भी मौजूद थे. इस पर हाई कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि ये असाधारण है कि न्यायिक कार्यवाही के दौरान कोई दूसरा न्यायिक अधिकारी भी वहां मौजूद हो. उसके बाद कोर्ट ने 27 नवंबर 2021 और 30 नवंबर 2021 की कोर्ट की हाईब्रिड और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की थी.

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सुजाता कोहली ने राजीव खोसला पर आरोप लगाया था कि उन्होंने न्याय प्रशासन में सीधे-सीधे हस्तक्षेप किया और कोर्ट को बदनाम करने की कोशिश की. याचिका में कहा गया था कि तीस हजारी कोर्ट में 27 नवंबर 2021 और 30 नवंबर 2021 को कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटीं. 27 नवंबर 2021 को सुजाता कोहली जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में जुड़ीं तो उन्होंने देखा कि पूरा कोर्ट रूम खचाखच भरा हुआ था. कोर्ट रूम में वकील नारे लगा रहे थे और जज पर आरोप लगा रहे थे कि उन्होंने याचिकाकर्ता के दबाव में राजीव खोसला को दोषी करार दिया.

बता दें कि 30 नवंबर 2021 को तीस हजारी कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गजेंद्र नागर ने राजीव खोसला पर चालीस हजार रुपये का मुआवजा लगाकर छोड़ने का आदेश दिया था. खोसला को अक्टूबर 2021 में भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और धारा 506 के तहत दोषी करार दिया था. महिला वकील सुजाती कोहली बाद में जज बनीं और 2020 में रिटायर हो गईं.

राजीव खोसला पर आरोप था कि जुलाई 1994 में तीस हजारी कोर्ट के दिल्ली बार एसोसिएशन का सचिव रहते हुए कोहली को एक सेमिनार में भाग लेने को कहा था. शिकायत के मुताबिक जब कोहली ने इससे इनकार किया था तो खोसला ने धमकी दी कि उनकी बार में मिलने वाली सभी सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी और उन्हें उनकी सीट से भी हटा दिया जाएगा. इसके लिए कोहली ने दीवानी याचिका भी दायर की थी.

लेकिन कोहली का टेबल और कुर्सी अपनी जगह से हटा दिया गया था. शिकायत में कहा गया था जब कोहली अपनी पहले की सीट के बगल में बैठकर सिविल जज का इंतजार कर रही थी तो राजीव खोसला के साथ 40-50 वकील वहां पहुंचे. वहां राजीव खोसला ने उनके बाल पकड़कर खींचे और बांह मरोड़ते हुए गाली दी.

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