नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली के रजोकरी पहाड़ी बस्ती में दिल्ली सरकार के वन और वन्यजीव विभाग की ओर से झुग्गी बस्तियों को तोड़ने के लिए 'डिमोलिशन नोटिस' जारी किया गया है. नोटिस के मिलने के बाद अब इस इलाके की तीन कलस्टर के टूटने का खतरा मंडराने लगा है. इन झुग्गियों में करीब 7000 से ज्यादा मकान हैं, जिसमें रहने वालों की संख्या तकरीबन 12,000 से ज्यादा है. दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को एक नोट लिखा है, जिसमें इन लोगों को बेघर होने से बचाने और उनके रिहैबिलिटेशन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं.
पुनर्वास करवाने का इंतजाम करें प्रशासन: मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि वन एवं वन्यजीव विभाग की ओर से रजोकरी पहाड़ी स्लम क्लस्टर बस्ती को खाली करने के लिए 8 अगस्त को डिमोलिशन नोटिस जारी किया गया था. रजोकरी पहाड़ी बस्ती के रेजिडेंट्स ने बताया है कि यह तीनों क्लस्टर दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड क्लस्टर स्लम की लिस्ट में 675 नंबर पर सीरियल नंबर 185, 186 और 187 में लिस्टेड हैं. डेमोलिशन ऑर्डर जारी होने के बाद से अभी तक ड्यूसिब पॉलिसी के अनुसार, क्लस्टर लिस्टेड बस्ती के रिहैबिलिटेशन को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. भारद्वाज ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ड्यूसिब सीईओ को कहा है कि वह किसी तरह के डेमोलिशन एक्शन से पहले नियमों का अनुपालन करते हुए इन सभी लोगों के दूसरी जगह पुनर्वास करवाने के इंतजाम करें.
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सौरभ भारद्वाज ने कहा है, "इस मामले में फॉरेस्ट एंड वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट के साथ को-आर्डिनेशन बनाकर ड्यूसिब एक्ट के मुताबिक सरकार की नीतियों और अदालत के विभिन्न आदेशों और निर्णय का अनुपालन करते हुए इन सभी लोगों के रिहैबिलिटेशन की व्यवस्था की जानी चाहिए." उन्होंने बताया कि इस मामले पर गत 22 अगस्त को रजोकरी पहाड़ी बस्ती के लोगों ने मुलाकात की थी और उनकी तरफ से एक रिप्रेजेंटेशन भी दिया गया था. इसमें उनकी तरफ से सभी बातों का विस्तार से जिक्र करते हुए सेल्फ एक्सप्लेनेशन किया गया.
स्लम क्लस्टर में 12 हजार से ज्यादा लोग: बताया जाता है कि राजोकरी पहाड़ी बस्ती 1968 में ग्राम सभा की भूमि पर बसाई गई थी. वर्तमान में यहां पर 3 स्लम क्लस्टर में बनी है, जिनमें करीब 12 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. इन तीन बस्तियों में जोगी खोली वाला बाबा मंदिर रजोकरी (रामदेव डेरा जोगी), केवल कृष्ण चौक पोस्ट रजोकरी (केके कैंप) और रामदेव का डेरा बीएसएफ ऑफिस रजोकरी पहाड़ी दिल्ली (बीएसएस कैंप) प्रमुख रूप से शामिल है.
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बताया जाता है कि इन सभी झुग्गियों में रहने वाले लोग एससी और एसटी कम्युनिटी से ताल्लुक रखते हैं, जो शुरुआत में रजोकरी पहाड़ी में लेबर मीनिंग का काम करते थे. इन सभी के पास अपनी बस्ती का राशन कार्ड, इलेक्ट्रिसिटी बिल, वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि सभी दस्तावेज भी हैं. सभी को दिल्ली प्रशासन की ओर से 1990 में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार के वक्त झुग्गी टोकन भी जारी किया गया था.
इन झुग्गियों में 1968 में जब इनके पूर्वज यहां आए थे तो वह सभी माइग्रेंट वर्कर थे. वह यहां पर माइनिंग का काम किया करते थे, जिनमें से काफी लोग माइनिंग वर्क करने की वजह से सिलिकोसिस यानी सांस की बीमारी से पीड़ित हैं. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एरिया में होने वाली माइनिंग एक्टिविटी को अवैध घोषित कर दिया गया था. इसके बाद लोग अपनी आजीविका के लिए कुक, गार्ड, ड्राइवर और डोमेस्टिक हेल्प जैसे दूसरी तरह के काम करने लग गए.
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