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हरियाणा में कम पड़ा विदेश से MBBS कर लौटे छात्रों का आरक्षित कोटा, 168 डॉक्टरों को नहीं मिली इंटर्नशिप, काउंसिल कार्यालय के बाहर दिया धरना - MBBS STUDENTS RESERVED QUOTA

MBBS Students Reserved Quota: विदेश से एमबीबीएस करने के बाद हरियाणा लौटे छात्रों की इंटर्नशिप के लिए हरियाणा में आरक्षित कोटा कम पड़ गया है.

MBBS Students Reserved Quota
MBBS Students Reserved Quota (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 23, 2025, 8:30 AM IST

पंचकूला: विदेश से एमबीबीएस करने के बाद हरियाणा लौटे छात्रों की इंटर्नशिप के लिए आरक्षित कोटा कम पड़ गया है. नतीजतन 168 डॉक्टर ऐसे हैं, जो एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद भी बीते सात महीने से खाली बैठे हैं. यहां तक कि अब ये सभी पंचकूला सेक्टर 20 स्थित मेडिकल काउंसिल कार्यालय के बाहर धरना देने को मजबूर हैं. क्योंकि मेडिकल काउंसिल के सहयोग के बिना इन्हें इंटर्नशिप का कोई अवसर नहीं मिल रहा है. इसका कारण इन डॉक्टरों का हरियाणा मेडिकल काउंसिल में स्थायी पंजीकरण नहीं होना है.

सीटें अलॉट नहीं होने तक देंगे धरना: इन डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें इंटर्नशिप की सीटें अलॉट नहीं किए जाने की जाने तक वो अपना धरना जारी रखेंगे. जबकि हरियाणा मेडिकल काउंसिल सीटें नहीं होने का दावा कर हाथ खड़े कर चुका है. नतीजतन इन डॉक्टरों को अब कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा.

हरियाणा में परीक्षा पास करना जरूरी: विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके लौटे डॉक्टरों को पहले मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण कराना पड़ता है. लेकिन इसके लिए विदेश से पढ़ाई करने वालों को हरियाणा में भी परीक्षा पास करनी होती है. तब जाकर उनका अस्थायी पंजीकरण होता है. इसके बाद सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज से छह महीने की इंटर्नशिप पूरी करने के बाद उनका स्थायी पंजीकरण होता है. इसके बाद ही देश से एमबीबीएस करने वाले डॉक्टर डॉक्टर किसी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में नौकरी के पात्र होते हैं.

इंटर्नशिप के दौरान मिलता है मानदेय: इंटर्नशिप के दौरान डॉक्टरों को मानदेय भी दिया जाता है, लेकिन हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में सीटें कम होने के कारण विदेश से एमबीबीएस कर लौटने वाले छात्रों को इंटर्नशिप के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

मेडिकल काउंसिल का प्रदेश सरकार को पत्र: विदेश से एमबीबीएस कर हरियाणा लौटने वाले छात्रों की संख्या अधिक और फॉरेन सीट का प्रतिशत काफी कम होने के कारण अब मेडिकल काउंसिल द्वारा हरियाणा स्वास्थ्य महानिदेशक और प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया है. लेकिन अभी तक मेडिकल काउंसिल को अपने पत्र का जवाब नहीं मिला है. नतीजतन विदेशी स्टूडेंट्स को अभी और इंतजार करना होगा.

मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष ने बताया कारण: हरियाणा मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉक्टर आर तनेजा ने कहा कि विदेश से एमबीबीएस पास करने वाले इंटर्नशिप के लिए हरियाणा के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज में साढ़े 7 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं. वहीं उपलब्ध सीट मेरिट के आधार पर अलॉट की जा चुकी हैं. इस संबंध में हरियाणा स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र भेजा गया है, ताकि सिविल अस्पतालों में इनकी इंटर्नशिप कराई जा सके. इसके अलावा हरियाणा सरकार को भी इंटर्नशिप की सीटों का आरक्षण 15 प्रतिशत तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है.

ये भी पढ़ें- सीएम नायब सैनी ने NCC कैडेट और ANO के मेस भत्ते को बढ़ाया, जानें कब से मिलेगा लाभ - NCC CADETS MESS ALLOWANCE

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पंचकूला: विदेश से एमबीबीएस करने के बाद हरियाणा लौटे छात्रों की इंटर्नशिप के लिए आरक्षित कोटा कम पड़ गया है. नतीजतन 168 डॉक्टर ऐसे हैं, जो एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद भी बीते सात महीने से खाली बैठे हैं. यहां तक कि अब ये सभी पंचकूला सेक्टर 20 स्थित मेडिकल काउंसिल कार्यालय के बाहर धरना देने को मजबूर हैं. क्योंकि मेडिकल काउंसिल के सहयोग के बिना इन्हें इंटर्नशिप का कोई अवसर नहीं मिल रहा है. इसका कारण इन डॉक्टरों का हरियाणा मेडिकल काउंसिल में स्थायी पंजीकरण नहीं होना है.

सीटें अलॉट नहीं होने तक देंगे धरना: इन डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें इंटर्नशिप की सीटें अलॉट नहीं किए जाने की जाने तक वो अपना धरना जारी रखेंगे. जबकि हरियाणा मेडिकल काउंसिल सीटें नहीं होने का दावा कर हाथ खड़े कर चुका है. नतीजतन इन डॉक्टरों को अब कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा.

हरियाणा में परीक्षा पास करना जरूरी: विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके लौटे डॉक्टरों को पहले मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण कराना पड़ता है. लेकिन इसके लिए विदेश से पढ़ाई करने वालों को हरियाणा में भी परीक्षा पास करनी होती है. तब जाकर उनका अस्थायी पंजीकरण होता है. इसके बाद सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज से छह महीने की इंटर्नशिप पूरी करने के बाद उनका स्थायी पंजीकरण होता है. इसके बाद ही देश से एमबीबीएस करने वाले डॉक्टर डॉक्टर किसी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में नौकरी के पात्र होते हैं.

इंटर्नशिप के दौरान मिलता है मानदेय: इंटर्नशिप के दौरान डॉक्टरों को मानदेय भी दिया जाता है, लेकिन हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में सीटें कम होने के कारण विदेश से एमबीबीएस कर लौटने वाले छात्रों को इंटर्नशिप के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

मेडिकल काउंसिल का प्रदेश सरकार को पत्र: विदेश से एमबीबीएस कर हरियाणा लौटने वाले छात्रों की संख्या अधिक और फॉरेन सीट का प्रतिशत काफी कम होने के कारण अब मेडिकल काउंसिल द्वारा हरियाणा स्वास्थ्य महानिदेशक और प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया है. लेकिन अभी तक मेडिकल काउंसिल को अपने पत्र का जवाब नहीं मिला है. नतीजतन विदेशी स्टूडेंट्स को अभी और इंतजार करना होगा.

मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष ने बताया कारण: हरियाणा मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉक्टर आर तनेजा ने कहा कि विदेश से एमबीबीएस पास करने वाले इंटर्नशिप के लिए हरियाणा के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज में साढ़े 7 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं. वहीं उपलब्ध सीट मेरिट के आधार पर अलॉट की जा चुकी हैं. इस संबंध में हरियाणा स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र भेजा गया है, ताकि सिविल अस्पतालों में इनकी इंटर्नशिप कराई जा सके. इसके अलावा हरियाणा सरकार को भी इंटर्नशिप की सीटों का आरक्षण 15 प्रतिशत तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है.

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