ETV Bharat / state

Rajasthan: डीएपी की किल्लत से किसान परेशान, खाद के साथ जबरन दे रहे एक्सट्रा सामान, किसानों को दोहरी मार

खाद कंपनियां किसानों को बिना जरूरत के ही खाद के साथ एक्स्ट्रा सामान दे रही है. इससे किसानों पर अनावश्यक आर्थिक भार पड़ रहा है.

Attachment With Fertilizer in Kota
खाद के साथ जबरन दे रहे एक्सट्रा सामान (Photo ETV Bharat Kota)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 22, 2024, 10:55 AM IST

Updated : Oct 22, 2024, 11:26 AM IST

कोटा: देश भर में डीएपी खाद की कमी है. किसानों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को डीएपी की जगह उन्हें दूसरे फर्टिलाइजर दिए जा रहे हैं. फर्टिलाइजर कंपनियां खाद के साथ कुछ अटैचमेंट भी जबरन दे रही है. किसानों को बिना जरूरत के ही ये अतिरिक्त सामान लेना पड़ रहा है. इससे किसान ही नहीं स्टॉकिस्ट और दुकानदार भी परेशान हैं. किसानों का कहना है कि यह जबरन थमाया हुआ सामान उनके काम का नहीं होता, लेकिन जरूरत नहीं होने के बावजूद खाद लेने के लिए उन्हें खरीदना पड़ रहा है.

किसानों का कहना है कि उन्हें खाद के साथ जिंक और अन्य प्रोडक्ट अटैचमेंट के रूप में जबरन दिए जा रहे हैं. इससे हमें हजारों रुपए अलग से देने पड़ रहे हैं. अटैचमेंट नहीं लेते हैं तो खाद भी उन्हें नहीं मिल रही है. ऐसा ही हाल स्टॉकिस्ट और फर्टिलाइजर विक्रेता के साथ भी है. उन्हें भी कंपनी से बिना अटैचमेंट दिए माल नहीं दिया जा रहा है. उन्हें खाद खरीद कर आगे बेचना है और मुनाफा लेना है तो फ़र्टिलाइज़र के साथ-साथ अटैचमेंट उठाना ही पड़ रहा है. कृषि विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ नहीं कर पा रहे. केवल वे खाद विक्रेताओं और स्टॉकिस्ट पर ही सख्ती कर रहे हैं, जबकि गड़बड़ी कंपनी स्तर पर हो रही है.

किसानों पर अनावश्यक आर्थिक भार (वीडियो ईटीवी भारत कोटा)

पढ़ें: बहरोड़ में डीएपी खाद की किल्लत, कांग्रेस ने एसडीएम को दिया ज्ञापन

डीएपी की आधी से भी कम हुई है सप्लाई: कोटा संभाग में डीएपी खाद की आपूर्ति पूरी नहीं हो रही. संभाग में 57,475 मीट्रिक टन डीएपी आनी चाहिए थी, जबकि इसकी जगह महज 22200 मीट्रिक टन डीएपी की सप्लाई ही हुई है, यह जरूरत की आधे के आसपास ही है. इन दिनों किसान अपनी सोयाबीन या धान की फसल को मंडी में बेचने के लिए आते हैं. इस फसल को बेचने के बाद अगली रबी सीजन की फसल के लिए उन्हें खाद चाहिए और पैसा भी उनके पास है, लेकिन पहले तो उन्हें खाद पूरा नहीं मिल रहा, उपस से खाद के साथ अटैचमेंट में सामान देकर उनसे हजारों रुपए व्यर्थ लिए जा रहे हैं.

एनपीके के साथ भी अटैचमेंट: बारां जिले के सीसवाली के पटपड़ा निवासी किसान बीरबल का कहना था कि एक डीएपी के साथ दो सिंगल सुपर फास्फेट के कट्टे दिए गए हैं. ऐसे में डीएपी के एक कट्टे के साथ दो कट्टे एसएसपी दिया गया है. इनकी कीमत 1000 रुपए है. कुल मिलाकर एक डीएपी का कट्टा 2350 रुपए का पड़ा है. इसी तरह से एनपीए के इकट्ठे के साथ भी एक एसएसपी का कट्टा दिया. यह 1870 रुपए का पड़ रहा है.

डीएपी की किल्लत से किसान परेशान
डीएपी की किल्लत से किसान परेशान (फोटो ईटीवी भारत कोटा)

नहीं पता कैसे करना है उपयोग: कैथून के नजदीक स्थित कीचलखेड़ा निवासी द्वारका लाल का कहना है कि डीएपी नहीं दिया गया है और एनपीके के साथ भी अटैचमेंट हमें दिए गए हैं. उसमें जिंक और अन्य प्रॉडक्ट दे दिए गए हैं. यह हमारे काम नहीं आने वाले. हमें इनका उपयोग भी नहीं पता है. पिछले साल भी इस तरह से हमें अटैचमेंट मिले थे, यह भी घर पर ही पड़े हैं. उपयोग करने पर भी डर लगता है कि कहीं फसल ही खराब नहीं हो जाए. जब हमने डीएपी मांगा तो पहले उन्होंने मना कर दिया और बाद में कहा कि महंगा मिलेगा. जिसमें 1350 के रेट है, लेकिन हमें 1700 का दिया जा रहा था. इसके साथ अटैचमेंट भी दे रहे थे.

यह भी पढ़ें:राजस्थान में डीएपी की कमी के बीच चोरों ने इस शहर से लाखों का खाद किया पार

यूरिया में एसएसपी मिलाने से ज्यादा कारगर: कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक अशोक कुमार शर्मा का कहना है कि किसानों के लिए पर्याप्त डीएपी की व्यवस्था में सरकार जुटी हुई है, लेकिन इसकी शॉर्टेज है और विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) का उपयोग किसान कर सकते हैं. यह तिलहनी और दलहनी फसलों के लिए डीएपी से ज्यादा लाभदायक है. इसके साथ ही इसकी कीमत भी डीएपी से कम है. एसएसपी के साथ यूरिया का उपयोग करने से नाइट्रोजन फास्फोरस एवं सल्फर के पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है.

एनपीके भी है डीएपी का विकल्प: अतिरिक्त निदेशक शर्मा के अनुसार डीएपी की जगह एनपीके का उपयोग भी करना चाहिए. इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश है. यह फसलों में पोषण के लिए डीएपी की जगह उपयुक्त रहती है. साथ ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखता है. फसल को उचित उत्पादन देने के लिए भी कृषि वैज्ञानिक इसकी अनुशंसा करते हैं.

किसान परेशान ,नहीं मिल रहा समाधान
किसान परेशान ,नहीं मिल रहा समाधान (फोटो ईटीवी भारत कोटा)

बिरला ने किसानों से कहा करें शिकायत, नहीं ले अटैचमेंट: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सोमवार को कृषि अधिकारियों और किसानों की बैठक कर डीएपी और खाद की उपलब्धता की समीक्षा की है. बिरला ने डीएपी की मांग व आपूर्ति को लेकर जानकारी ली. साथ ही डीएपी यूरिया की कमी नहीं आने की बात कही. उन्होंने कहा कि किसानों को मांग के अनुरूप उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी. इसके लिए फर्टिलाइजर सेक्रेटरी से बात कर मांग के अनुरूप नियमित रैक भेजने के निर्देश दिए. किसानों ने जबरन अटैचमेंट देने की शिकायत की, इस पर बिरला ने नाराजगी जताई और कहा कि किसानों को बिना जरूरत जबरन कोई चीज नहीं दी जाए.

कोटा: देश भर में डीएपी खाद की कमी है. किसानों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को डीएपी की जगह उन्हें दूसरे फर्टिलाइजर दिए जा रहे हैं. फर्टिलाइजर कंपनियां खाद के साथ कुछ अटैचमेंट भी जबरन दे रही है. किसानों को बिना जरूरत के ही ये अतिरिक्त सामान लेना पड़ रहा है. इससे किसान ही नहीं स्टॉकिस्ट और दुकानदार भी परेशान हैं. किसानों का कहना है कि यह जबरन थमाया हुआ सामान उनके काम का नहीं होता, लेकिन जरूरत नहीं होने के बावजूद खाद लेने के लिए उन्हें खरीदना पड़ रहा है.

किसानों का कहना है कि उन्हें खाद के साथ जिंक और अन्य प्रोडक्ट अटैचमेंट के रूप में जबरन दिए जा रहे हैं. इससे हमें हजारों रुपए अलग से देने पड़ रहे हैं. अटैचमेंट नहीं लेते हैं तो खाद भी उन्हें नहीं मिल रही है. ऐसा ही हाल स्टॉकिस्ट और फर्टिलाइजर विक्रेता के साथ भी है. उन्हें भी कंपनी से बिना अटैचमेंट दिए माल नहीं दिया जा रहा है. उन्हें खाद खरीद कर आगे बेचना है और मुनाफा लेना है तो फ़र्टिलाइज़र के साथ-साथ अटैचमेंट उठाना ही पड़ रहा है. कृषि विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ नहीं कर पा रहे. केवल वे खाद विक्रेताओं और स्टॉकिस्ट पर ही सख्ती कर रहे हैं, जबकि गड़बड़ी कंपनी स्तर पर हो रही है.

किसानों पर अनावश्यक आर्थिक भार (वीडियो ईटीवी भारत कोटा)

पढ़ें: बहरोड़ में डीएपी खाद की किल्लत, कांग्रेस ने एसडीएम को दिया ज्ञापन

डीएपी की आधी से भी कम हुई है सप्लाई: कोटा संभाग में डीएपी खाद की आपूर्ति पूरी नहीं हो रही. संभाग में 57,475 मीट्रिक टन डीएपी आनी चाहिए थी, जबकि इसकी जगह महज 22200 मीट्रिक टन डीएपी की सप्लाई ही हुई है, यह जरूरत की आधे के आसपास ही है. इन दिनों किसान अपनी सोयाबीन या धान की फसल को मंडी में बेचने के लिए आते हैं. इस फसल को बेचने के बाद अगली रबी सीजन की फसल के लिए उन्हें खाद चाहिए और पैसा भी उनके पास है, लेकिन पहले तो उन्हें खाद पूरा नहीं मिल रहा, उपस से खाद के साथ अटैचमेंट में सामान देकर उनसे हजारों रुपए व्यर्थ लिए जा रहे हैं.

एनपीके के साथ भी अटैचमेंट: बारां जिले के सीसवाली के पटपड़ा निवासी किसान बीरबल का कहना था कि एक डीएपी के साथ दो सिंगल सुपर फास्फेट के कट्टे दिए गए हैं. ऐसे में डीएपी के एक कट्टे के साथ दो कट्टे एसएसपी दिया गया है. इनकी कीमत 1000 रुपए है. कुल मिलाकर एक डीएपी का कट्टा 2350 रुपए का पड़ा है. इसी तरह से एनपीए के इकट्ठे के साथ भी एक एसएसपी का कट्टा दिया. यह 1870 रुपए का पड़ रहा है.

डीएपी की किल्लत से किसान परेशान
डीएपी की किल्लत से किसान परेशान (फोटो ईटीवी भारत कोटा)

नहीं पता कैसे करना है उपयोग: कैथून के नजदीक स्थित कीचलखेड़ा निवासी द्वारका लाल का कहना है कि डीएपी नहीं दिया गया है और एनपीके के साथ भी अटैचमेंट हमें दिए गए हैं. उसमें जिंक और अन्य प्रॉडक्ट दे दिए गए हैं. यह हमारे काम नहीं आने वाले. हमें इनका उपयोग भी नहीं पता है. पिछले साल भी इस तरह से हमें अटैचमेंट मिले थे, यह भी घर पर ही पड़े हैं. उपयोग करने पर भी डर लगता है कि कहीं फसल ही खराब नहीं हो जाए. जब हमने डीएपी मांगा तो पहले उन्होंने मना कर दिया और बाद में कहा कि महंगा मिलेगा. जिसमें 1350 के रेट है, लेकिन हमें 1700 का दिया जा रहा था. इसके साथ अटैचमेंट भी दे रहे थे.

यह भी पढ़ें:राजस्थान में डीएपी की कमी के बीच चोरों ने इस शहर से लाखों का खाद किया पार

यूरिया में एसएसपी मिलाने से ज्यादा कारगर: कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक अशोक कुमार शर्मा का कहना है कि किसानों के लिए पर्याप्त डीएपी की व्यवस्था में सरकार जुटी हुई है, लेकिन इसकी शॉर्टेज है और विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) का उपयोग किसान कर सकते हैं. यह तिलहनी और दलहनी फसलों के लिए डीएपी से ज्यादा लाभदायक है. इसके साथ ही इसकी कीमत भी डीएपी से कम है. एसएसपी के साथ यूरिया का उपयोग करने से नाइट्रोजन फास्फोरस एवं सल्फर के पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है.

एनपीके भी है डीएपी का विकल्प: अतिरिक्त निदेशक शर्मा के अनुसार डीएपी की जगह एनपीके का उपयोग भी करना चाहिए. इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश है. यह फसलों में पोषण के लिए डीएपी की जगह उपयुक्त रहती है. साथ ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखता है. फसल को उचित उत्पादन देने के लिए भी कृषि वैज्ञानिक इसकी अनुशंसा करते हैं.

किसान परेशान ,नहीं मिल रहा समाधान
किसान परेशान ,नहीं मिल रहा समाधान (फोटो ईटीवी भारत कोटा)

बिरला ने किसानों से कहा करें शिकायत, नहीं ले अटैचमेंट: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सोमवार को कृषि अधिकारियों और किसानों की बैठक कर डीएपी और खाद की उपलब्धता की समीक्षा की है. बिरला ने डीएपी की मांग व आपूर्ति को लेकर जानकारी ली. साथ ही डीएपी यूरिया की कमी नहीं आने की बात कही. उन्होंने कहा कि किसानों को मांग के अनुरूप उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी. इसके लिए फर्टिलाइजर सेक्रेटरी से बात कर मांग के अनुरूप नियमित रैक भेजने के निर्देश दिए. किसानों ने जबरन अटैचमेंट देने की शिकायत की, इस पर बिरला ने नाराजगी जताई और कहा कि किसानों को बिना जरूरत जबरन कोई चीज नहीं दी जाए.

Last Updated : Oct 22, 2024, 11:26 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.