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9 गांवों के किसानों ने सरकार को दिया अल्टीमेटम, जानें क्यों किसान हैं नराजा और क्या है मांगें - Farmers gave ultimatum - FARMERS GAVE ULTIMATUM

Farmers gave ultimatum: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के चुनावी शंखनाद के बीच किसानों ने सरकार को दस दिन का अल्टीमेट दिया है. किसानों ने अल्टीमेटम देकर बीजेपी की परेशानी बढ़ाने का काम किया है. किसानों ने दो टूक कहा है कि सरकार ने उनकी मांगों पर अमल नहीं किया तो चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना होगा.

Farmers gave ultimatum
Farmers gave ultimatum (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 1, 2024, 3:55 PM IST

नूंह: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के चुनावी शंखनाद के बीच किसानों ने सरकार को दस दिन का अल्टीमेट दिया है. किसानों ने अल्टीमेटम देकर बीजेपी की परेशानी बढ़ाने का काम किया है. किसानों ने दो टूक कहा है कि सरकार ने उनकी मांगों पर अमल नहीं किया तो चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना होगा. 10 दिन बाद किसान एक बार फिर एकत्रित होंगे और किसको चुनावी मैदान में सहयोग करना है, इसका फैसला लिया जाएगा.

सरकार के भरोसे पर नहीं भरोसा!: दरअसल, चंद दिन पहले ही किसानों ने बीजेपी नेता पूर्व विधायक चौधरी जाकिर हुसैन की अगुवाई में प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की थी और उनके सामने उचित मुआवजा समेत कई मांगों को रखा था. लेकिन आचार संहिता लगने की वजह से सरकार ने केवल भरोसा दिलाया था. किसानों ने अब साफतौर पर कहा है कि भरोसे से काम नहीं चलेगा. अगर सरकार ने उनको मुआवजे समेत अन्य मांगों को नहीं माना तो कोई भी बड़ा राजनीतिक फैसला 9 गांवों के किसान ले सकते हैं.

क्यों सरकार से नाराज हैं किसान?: बता दें कि आईएमटी रोजका मेव के लिए नौ गांवों की तकरीबन 1600 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कांग्रेस सरकार के समय में किया गया था. किसानों को उस समय दो किस्तों में तकरीबन 46 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा राशि दी गई थी. अधिग्रहण के समय किसानों से एक हल्फनामा लिया गया था. जिसमें कानूनी अधिकार छीन लिए गए थे. इस बात से नाराज किसान ने पिछले कई महीने से लगातार धीरधोका गांव में अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

नूंह: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के चुनावी शंखनाद के बीच किसानों ने सरकार को दस दिन का अल्टीमेट दिया है. किसानों ने अल्टीमेटम देकर बीजेपी की परेशानी बढ़ाने का काम किया है. किसानों ने दो टूक कहा है कि सरकार ने उनकी मांगों पर अमल नहीं किया तो चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना होगा. 10 दिन बाद किसान एक बार फिर एकत्रित होंगे और किसको चुनावी मैदान में सहयोग करना है, इसका फैसला लिया जाएगा.

सरकार के भरोसे पर नहीं भरोसा!: दरअसल, चंद दिन पहले ही किसानों ने बीजेपी नेता पूर्व विधायक चौधरी जाकिर हुसैन की अगुवाई में प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की थी और उनके सामने उचित मुआवजा समेत कई मांगों को रखा था. लेकिन आचार संहिता लगने की वजह से सरकार ने केवल भरोसा दिलाया था. किसानों ने अब साफतौर पर कहा है कि भरोसे से काम नहीं चलेगा. अगर सरकार ने उनको मुआवजे समेत अन्य मांगों को नहीं माना तो कोई भी बड़ा राजनीतिक फैसला 9 गांवों के किसान ले सकते हैं.

क्यों सरकार से नाराज हैं किसान?: बता दें कि आईएमटी रोजका मेव के लिए नौ गांवों की तकरीबन 1600 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कांग्रेस सरकार के समय में किया गया था. किसानों को उस समय दो किस्तों में तकरीबन 46 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा राशि दी गई थी. अधिग्रहण के समय किसानों से एक हल्फनामा लिया गया था. जिसमें कानूनी अधिकार छीन लिए गए थे. इस बात से नाराज किसान ने पिछले कई महीने से लगातार धीरधोका गांव में अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

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