नूंह: हरियाणा के नूंह में सिरौली गांव के किसान खेतों में फसल उगाने की जगह मछली पकड़ने का काम करते हैं. गांव की सैकड़ों एकड़ भूमि पर बरसात का पानी भरा हुआ है. चार माह पहले हुई बारिश के पानी की निकासी को लेकर प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया. हालात यह है कि गांव के अधिकतर किसान खेत होते हुए भी अनाज मंडी से अन्न खरीदकर अपने परिवार का पेट भर रहे हैं. गांव की जमीन नीची होने के कारण बरसात का पानी यहीं ठहर जाता है. कुछ वर्ष पहले तक प्रशासन द्वारा पानी की निकासी के लिए प्रबंध किए जाते थे. इससे किसान दिसंबर माह के आखिरी तक खेतों में रबी की फसल की बुआई कर देते थे. लेकिन इस बार प्रशासनिक लापरवाही के कारण अब तक खेतों में पानी भरा हुआ है.
सरकार से नाराज किसान: गांव के किसानों द्वारा कई बार बरसाती पानी की निकासी की मांग की गई. लेकिन स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई. गांव के खेत जलमग्न है. ग्रामीणों के मुताबिक हर वर्ष उन्हें जलभराव की समस्या से जूझना पड़ता है. जिससे उनकी खरीफ की फसल खराब हो जाती है. वहीं, किसान रबी की फसल की भी बिजाई नहीं कर पाते. खराब हुई फसल का उन्हें कई वर्षों से मुआवजा तक नहीं मिला है. किसानों ने बताया कि गांव से लेकर न्यू कोट ड्रेन तक पानी निकाला जाए तो समाधान हो सकता है. इसके लिए नाला खोदकर पानी निकाला जा सकता है.
जलभराव से किसान परेशान: ग्रामीणों ने बताया कि गांव की सैकड़ों एकड़ जमीन ने तालाब का रूप लिया हुआ है. खेतों में भरे पानी से किसान कृषि कार्य छोड़कर यहां मछली पकड़ने का काम कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि जलभराव के कारण वह गेहूं की फसल की बुवाई नहीं कर पाए हैं. गेहूं की फसल नहीं होने के कारण पशुओं के लिए चारे का संकट पैदा हो गया है. सिरौली गांव सहित पास के गुलालता, कुहूकबान, जालिका, खूंटा, हिंगनपुर, जाडोली, नाहरपुर, रायपुर, रसूलपुर, जहटाना सहित करीब दर्जन भर गांव जलभराव की वजह से हर वर्ष समस्या से जूझते हैं. '
'चुनाव के बाद नहीं लौटे नेता': किसानों ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान नेताओं ने वादा किया था. लेकिन चुनाव के बाद कोई नेता देखने तक नहीं आया. वहीं, इस समस्या को लेकर संजय कुमार एसडीएम पुन्हाना का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है. गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया जाएगा और जल्द से जल्द पानी निकालने का प्रबंध किया जाएगा.
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