मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: जिले के विकासखंड के कमलाडांड़ में रहने वाले किसान एबी अब्राहम ने पारंपरिक खेती को छोड़कर गुलाब की खेती में अपना हाथ आजमाया. गुलाब की खेती कर न केवल वो अपनी पहचान बना रहे हैं बल्कि गांव के दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गए हैं. अब्राहम बताते हैं कि इसी साल से उन्होंने गुलाब की खेती शुरू की, जिसके लिए दूर दूर से उन्हें ऑर्डर भी मिलने लगे हैं.
फूलों की खेती में पारंपरिक फसलों से ज्यादा मुनाफा: फूलों की खेती में ज्यादा लागत की जरूरत नहीं होती. इसका अलावा ये दूसरे फसल की तरफ मौसमी नहीं होती. 12 महीने फूलों की खेती कर लाभ लिया जा सकता है. यही वजह है मनेंद्रगढ़ के किसान ने डच रोज की खेती शुरू की.
महासमुंद में फूलों की खेती देखकर मिली प्रेरणा: एबी अब्राहम बताते हैं कि वो हमेशा से धान की खेती ही करते रहे हैं. लेकिन उसमें कुछ खास कमाई नहीं होती थी. बीते दिनों उन्होंने महासमुंद के ताला गांव में गुलाब की खेती करते देखा. जिसके बाद उन्होंने उद्यानिकी खेती का मन बनाया.
उद्यानिकी विभाग के साथ बैंक से मिली मदद: किसान अब्राहम ने बताया कि इसके लिए सबसे पहले उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया. जहां से उन्हें उद्यानिकी फसलों के बारे में जानकारी मिली. इसके लिए उन्हें निजी बैंक से उन्हें मदद भी मिली. अब्राहम 1 एकड़ में 60 लाख की परियोजना के जरिए फूलों की खेती कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें बैंक से 42 लाख रुपये का कर्ज मिला और 18 लाख रुपये उन्होंने अपने पास से खर्च कर गुलाब की खेती शुरू की.
गुलाब के फूलों की डिमांड: एमसीबी के किसान बताते हैं कि पहली ही बार में गुलाब की अच्छी फसल हुई है. अंबिकापुर, गौरेला पेंड्रा मरवाही, बिलासपुर से उन्हें फूलों के लिए ऑर्डर मिलने लगे हैं. उनका कहना है कि फूलों की खेती में कम मेहनत के साथ ज्यादा मुनाफा है. वे दूसरे किसानों को भी फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
गांव के लोगों को रोजगार: अब्राहम की माने तो गुलाब या दूसरे फूलों की खेती से आसपास के कई लोगों को रोजगार भी मिलने लगा है. जैसे फूलों की देखभाल के साथ उन्हें तोड़ने, पैकिंग और परिवहन के लिए कई लोगों की जरूरत पड़ती है, जिससे गांव के लोगों को रोजगार भी मिलने लगा है.