करनाल: हरियाणा के करनाल में सिंगड़ गांव में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी पहुंचे. जहां उन्होंने कहा कि आंदोलन के अंदर एक छोटी सी कमी रह गई है, जितने संगठन पिछले किसान आंदोलन में शामिल थे, वे इस आंदोलन में भी शामिल होने चाहिए थे. थोड़े लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया. जिस सरकार ने फायदा उठाया है. उसके दो नुकसान हुए एक तो सरकार के सामने संदेश गया कि किसानों में आपस में फूट है. दूसरा सरकार को फायदा हो गया कि किसानों की संख्या कम है.
चढ़ूनी का बयान: चढूनी ने कहा अब सरकार को मजबूर तो कर नहीं पाएंगे. पिछला इतिहास उठाकर देखना चाहिए, सरकार जब मानती है. यहां तो उसको मनाना पड़े, या फिर उसको मारना पड़े. तब जाकर सरकार मानती है. जब उन्हें पता हो कि इसका नतीजा बहुत गंभीर आएगा. ऐसी स्थिति जब सरकार के सामने होती है, तब जाकर सरकार मानती है. वहीं, उन्होंने कहा कि संत बाबा राम सिंह जी ने आंदोलन में अपनी शहादत दी है. वह मुझे 15 दिसंबर को मिले थे और मेरे से बातचीत करते हुए कहा कि आंदोलन कुर्बानी मांगता है. इसको लेकर मुझे पता चला कि वह रात को ही सभी बॉर्डर पर जाकर आए और अगले दिन पहुंचकर उन्होंने अपनी शहादत दे दी.
सरकार को दी चेतावनी: गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा अब वह स्थिति नहीं है. जगजीत सिंह दल्लेवाल के बैठने से लोगों में काफी जागृति आई है. फिर भी जो पूरे देश के अंदर आंदोलन होना चाहिए था, वह हो नहीं पाया. आंदोलन पंजाब के अंदर ही सीमित है. जहां तक सरकार की बात है, वह हठधर्मी अपनाए हुए हैं. हम भी कल खनोरी बॉर्डर गए थे. सरकार को चेतावनी भी दी है.
'सरकरा को माननी चाहिए किसानों की बात': चढ़ूनी ने कहा कि आप शहीदी ले लोगे उसके बाद सरकार के सामने कोई अच्छा नतीजा तो आने वाला नहीं है. इसलिए सरकार के पास अभी समय है सरकार को राज हट नहीं दिखाना चाहिए. सदा के लिए किसी का राज नहीं रहता. सरकार अत्याचार न करें किसानों के ऊपर किसानों से बात करनी चाहिए. राजा का देव धर्म होता है वह धर्म से मनाना चाहिए. चढूनी ने कहा हमारी अगली रणनीति है, जब तक जिंदा है जब तक लड़ाई लड़ेंगे. भाजपा के राज्यसभा सांसद रामचन्द्र जांगड़ ने बीते दिनों किसानों पर ब्यान दिया था, जिस पर चढूनी ने कहा वो काफी घटिया किस्म के आदमी है. जो बयान दिया उन्होंने दो बातें काफी खराब बोली है.
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