जैसलमेरः जिला मुख्यालय पर एंटी लार्वा के केमिकल की बोतल खोलने के दौरान धमाका हो गया. हादसे में एक आशा सहयोगिनी झुलस गई. महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. आशा सहयोगिनी के परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के कार्मिक के साथ ऐसी वारदात होने के बाद भी स्वास्थ्य महकमे से कोई मिलने नहीं आया है. वहीं, CMHO बी एल बुनकर ने कहा कि 'मैं पीपीटी कार्य में व्यस्त था, लेकिन मुझे जैसी ही घटना का पता चला मैं अस्पताल आया. पहले ऐसी कोई घटना देखने को नहीं मिली, यह पहली बार हुआ है. ऐसे में अब ट्रेनिंग रखी जाएगी. महिला को भर्ती कर लिया गया है. चार-पांच दिन में वो ठीक हो जाएगी'.
जैसलमेर में इन दिनों स्वास्थ्य विभाग की टीमों की ओर से एंटी लार्वा दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे कि मलेरिया व डेंगू का खतरा कम हो सके. एंटी लार्वा का छिड़काव करने के लिए आशा सहयोगिनी मंजू भाटी एंटी लार्वा का छिड़काव कर रही थी. इस बीच केमिकल के बोतल के ढक्कन को खोलते समय धमाका हो गया. हादसे में आशा सहयोगिनी मंजू भाटी का चेहरा, आंखें और हाथ झुलस गए. वहीं, पास खड़ी महिला संजू पत्नी महेश के भी चेहरे पर छींटे लगे हैं.
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डॉक्टरों ने इलाज के लिए किया था मना : दोनों अस्तपाल ले जाया गया. मंजू के साथ ही काम करने वाली आशा सहयोगिनी सुनीता गर्ग ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज से ही मना कर दिया. डॉक्टरों ने मुकदमा दर्ज करवाने की बात कही, जिस पर हमने चिकित्सा विभाग के आलाधिकारियों को भी सूचित किया, लेकिन अभी तक उसके इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई मदद सामने नहीं आई है. अब आशा सहयोगिनियों का कहना है कि वे यह केमिकल युक्त लिक्विड लोगों के घरों में नहीं छिड़केगी.
बिना प्रशिक्षण फिल्ड में उतारी गईं आशा : वहीं, आशा सहयोगिनी सुनीता गर्ग का आरोप है कि उन्हें इसके लिए कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया. न ही ग्लब्स दिए गए है. यदि इस केमिकल के प्रभाव जानलेवा है तो वह आगे से यह काम नहीं करेगी. वहीं परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के कार्मिक के साथ ऐसी वारदात होने के बाद भी स्वास्थ्य महकमे से कोई अधिकारी उनसे मिलने नहीं आया है. और ना ही उन्हें संतोषजनक जवाब दिया जा रहा है. बाद में रात को परिजनों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बार-बार फोन किया तब जाकर CMHO अस्पताल में पहुंचे और उसका उपचार शुरू करवाया. ऐसे में अब बड़ा सवाल खड़ा होता है कि दिन भर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने वाली एक आशा सहयोगिनी को अपने ही इलाज के लिए कई घंटों का इंतजार करना पड़ा.