दौसा. सरकारी सिस्टम की कमी का खामियाजा भुगत रहे एक परिवार के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय दौसा जिला प्रशासन पीड़ित परिवार के जख्मों को कुरेदकर उनपर नमक छिड़कने का काम कर रहा है. जिला प्रशासन सरकारी सिस्टम की नाकामी छुपाने के लिए सचिन शर्मा की मौत की वजह महज एक सड़क हादसा बता रहा है. इस पर पूर्व चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीना का कहना है कि ये संवदेनशील मामला है. सरकार को पीड़ित परिवार के सदस्य को एसएमएस अस्पताल में संविदा पर नौकरी देनी चाहिए.
मामले में दौसा जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार का कहना है कि मृतक सचिन शर्मा एक सड़क हादसे में घायल हुआ था. इसके बाद उसकी मौत हुई थी. इसे लेकर मुख्यमंत्री सहायता कोष से पीड़ित परिवार को एक्सीडेंट रिलीफ फंड से 5 लाख रुपए की सहायता राशि दी गई है. वहीं इस लेटर के वायरल होने के बाद कांग्रेस नेताओं ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीना ने कहा कि ये संवेदनशील मामला है. सरकार को पीड़ित परिवार के सदस्य को एसएमएस अस्पताल में संविदा पर नौकरी देनी चाहिए.
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मुख्यमंत्री कोष से दी 5 लाख की सहायता: बता दें कि 4 मार्च को मृतक सचिन शर्मा के परिवार को मुख्यमंत्री सहायता कोष से सचिन की मौत एक सड़क हादसा बताकर 5 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृति प्रदान की गई. सहायता राशि के लिए स्वीकृति पत्र दौसा जिला कलेक्टर के हस्ताक्षर के बाद जारी किया गया है. दरअसल, 12 फरवरी को एक सड़क हादसे में सचिन घायल हुआ था. 13 फरवरी को सचिन को कोटपुतली से जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रेफर किया गया था. इसके बाद एसएमएस अस्पताल में स्टॉफ की लापरवाही से गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से सचिन शर्मा के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. इसके बाद 24 फरवरी को सचिन शर्मा (25) की मौत हो गई थी. ऐसे में इस मामले में जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय सचिन शर्मा की मौत का कारण सड़क हादसा बता दिया है.
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संविदा पर एसएमएस में दें नौकरी: इस मामले में पूर्व चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीना ने कहा कि सभी जानते हैं सचिन शर्मा की मौत गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से हुई है. जिला कलेक्टर ने सचिन शर्मा की मौत की वजह सड़क हादसा बताया है. इस बारे में तो उन्हें ही पता होगा कि उन्होंने ऐसा क्यों लिखा. लेकिन इस मामले में चिकित्सा मंत्री को डिसीजन लेना चाहिए. उसके परिवार के सदस्य की नौकरी संविदा पर एसएमएस अस्पताल में लगा देनी चाहिए. चिकिसा मंत्री का दायित्व है कि गलती हेल्थ डिपार्टमेंट की है, डॉक्टरों की है. ऐसे में पीड़ित परिवार को नौकरी दिलाने के लिए प्रस्ताव कैबिनेट में भी ले जाना पड़े, तो उसे लेकर जाएं.
'मैं होता तो अब तक नौकरी मिल गई होती': इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि अगर ऐसा मामला मेरे चिकित्सा मंत्री रहते हुए होता, तो अब तक पीड़ित परिवार को नौकरी मिल जाती. साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती. हमने देखा है, कितना गरीब परिवार है. पीड़ित परिवार के पास कुछ नहीं है. इसलिए सरकार को आउट ऑफ वे जाकर भी पीड़ित परिवार को संविदा पर एसएमएस अस्पताल में नौकरी देनी चाहिए.