शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सीपीएस नियुक्ति मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने सभी 6 सीपीएस को तुरंत प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने सभी सरकारी सुविधाओं को भी तुरंत वापस लेने का आदेश दिया है.
कब छोड़ा जाएगा मकान?
मीडिया से बातचीत में पूर्व CPS मोहन लाल ब्राक्टा ने कहा कि जैसे ही हाईकोर्ट के आदेश हुए हैं. वैसे ही सब फैसले विड्रॉ हो गए हैं. मकान की सुविधा को वैकल्पिक व्यवस्था होने पर छोड़ दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं करूंगा. हाईकोर्ट के आदेशों को सम्मान करूंगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से बातचीत होती रहती है. सभी बातों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है.
वहीं मीडिया के एक अन्य सवाल पर भड़कते हुए मोहन लाल ब्राक्टा ने कहा, "आप मकान के पीछे ही पड़े हैं. हम क्या सड़क पर आ जाएं. यू आर रिपीटिंग अगेन एंड अगेन कर देंगे मकान भी खाली, जब सारा कुछ छोड़ दिया है, ये भी कर देंगे. विधानसभा से मकान की सुविधा मिलनी है, अभी मैं MLA तो हूं."
सीपीएस एक्ट 2006 निरस्त
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार का 2006 का सीपीएस एक्ट निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट ने साफ किया कि संविधान में सीपीएस की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है. और विधानसभा ऐसा एक्ट बनाने के लिए सक्षम नहीं है. ऐसे में सरकार ने भी कोर्ट के आदेशों की अनुपालना करते हुए पूर्व सीपीएस से स्टाफ को वापस लेने की अधिसूचना जारी कर दी है.