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अब छत्तीसगढ़ में तैयार किये जा रहे हैं एलिफैंट ट्रैकर, अब तक तमिलनाडु से बुलाये जाते थे एक्सपर्ट - Elephant trackers in Surguja - ELEPHANT TRACKERS IN SURGUJA

छत्तीसगढ़ में हाथियों और इंसानों के बीच आए दिन संघर्ष होते रहते हैं. हाथियों से इंसानों को बचाने और इंसानों को हाथियों से दूर रहने की अब ट्रेनिंग दी जा रही है. पहले हाथी मित्रों को ट्रेनिंग देने के लिए तमिलनाडु से एक्सपर्ट बुलाए जाते थे.

ELEPHANT TRACKERS IN SURGUJA
हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 25, 2024, 9:56 AM IST

Updated : Sep 25, 2024, 11:42 AM IST

सरगुजा: कहते हैं हाथी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही रास्ते से होकर गुजरते हैं. आबादी बढ़ी इंसानी बस्ती बढ़े इसके बावजूद हाथियों ने अपने आने जाने का रास्ता नहीं बदला. छत्तीसगढ़ का बड़ा हिस्सा जंगलों से घिरा है. कोरबा से लेकर सरगुजा तक के जंगल में हाथियों की अच्छी खासी आबादी है. अक्सर हाथियों और इंसानों के बीच खूनी संघर्ष होता रहता है. कभी इंसानों की जान जाती है तो कभी हाथियों की. पर अब हाथियों को बचाने और इंसानों से खूनी टकराव रोकने के लिए अब एलिफैंट ट्रैकर तैयार किए जा रहे हैं. एलिफैंट ट्रैकर खतरे से पहले ही हालात को भांप लेंगे.

तैयार किए जा रहे हैं एलिफैंट ट्रैकर: हाथियों से बचाव और उनकी लोकेशन जानने के लिए हाथी ट्रैकर तमिलनाडु से पहले छत्तीसगढ़ बुलाये जाते थे. पर अब सरगुजा में गांव के ही हाथी मित्र दल के लोगों को ट्रेनिंग के जरिए ट्रेंड किया जा रहा है. सेना के जवानों की तरह इनको ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेंड हाथी मित्र एक्सपर्ट की तरह हाथियों से होने वाले खतरे को समय रहते जान लेंगे. लोगों को सही समय पर बचाव के उपाए भी बताएंगे. इससे इंसानों और हाथियों के बीच का टकराव कम होगा.

सरगुजा में हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)

छत्तीसगढ़ है हाथियों का सुरक्षित ठिकाना: दरअसल छत्तीसगढ़ हाथियों के लिए सालों से सुरक्षित ठिकाना रहा है. सरगुजा के घने जंगल,कोरबा का हसदेव और कटघोरा दशकों से हाथियों का रिहायशी इलाका रहा है. यहां के जंगलों में पानी और खाना दोनों इनको पर्याप्त मिलता है. आंकड़ों के मुताबिक करीब 300 से लेकर 330 हाथी छत्तीसगढ़ में मौजूद रहते हैं. इनमें सबसे अधिक सरगुजा फॉरेस्ट रेंज में 120 से 130 हाथियों का झुंड रहता है. हाथी अक्सर अलग अलग फॉरेस्ट रेंज में आना जाना करते रहते हैं. पड़ोसी राज्य झारखंड और मध्यप्रदेश में भी चले जाते हैं या फिर वहां से यहां आते रहते हैं.

ELEPHANT TRACKERS IN SURGUJA
हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)

हाथियों और इंसानों के बीच बढ़ रहा टकराव: सरगुजा संभाग के कई जिले हाथी प्रभावित इलाकों में गिने जाते हैं. इन जिलों में अक्सर हाथियों और इंसानों की बीच आमना सामना होता रहता है. कई बार शिकारी हाथियों की जान करंट से ले लेते हैं. अब हाथी ट्रैकर और हाथी मित्र के आने से इस तरह के संघर्षों को कम करने में वन विभाग को बड़ी मदद मिलेगी. वन विभाग पहले हाथी मित्रों को ट्रेनिंग देने के लिए तमिलनाडु से एक्सपर्ट बुलाया करता था. लेकिन अब सरगुजा में ही हाथी मित्रों को ट्रेनिंग देकर एक्सपर्ट बनाने की कोशिश की जा रही है.

ELEPHANT TRACKERS IN SURGUJA
हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)



एलिफैंट एक्सपर्ट क्या कहते हैं: प्रदेश के हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे ने बताया कि "एलिफैंट ट्रैकर या हाथी मित्र सभी को ट्रेंड किया जा रहा है, प्रशिक्षण देकर उनको हाथियों के साथ आचरण करना सिखाया जाता है. कौन सा हाथी किस मूड का होता है, हाथियों की पहचान कैसे की जाती है. हाथी के जंगल से गांव में आने के संकेत कैसे पहचाने जाते हैं, इन सबकी ट्रेनिंग दी जा रही है. अगर हाथी जंगल में है तो खुद को कैसे बचाना है, ऐसे तमाम विषयों पर हाथी ट्रैकर खुद ट्रेंड होकर गांव के लोगो को भी सचेत रखते हैं.

ट्रेनिंग के लिये गांव के युवाओं का चयन किया जाता है. सबसे पहले उनकी मेडिकल जांच होती है. वजन और हाइट देखी जाती है. इसके बाद उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है. हाथी मित्रों को प्रशिक्षण तैमूर पिंगला के हाथी प्रशिक्षण केन्द्र के साथ जंगलों में दिया जाता है. ट्रेनिंग हासिल करने वाले युवाओं को जरुरत के मुताबिक काम मिलता है. उनको उचित वेतन भी दिया जाता है. छत्तीसगढ़ में अबतक 300 हाथी मित्रों को ट्रेंड किया गया है. ट्रेनिंग के बाद ये हाथी मित्र एलिफैंट ट्रैकर के तौर पर लोगों की मदद करेंगे.: प्रभात दुबे, हाथी विशेषज्ञ और ट्रेनर

क्यों जरुरी है ट्रेनिंग: एलिफेंट रिजर्व के सहायक संचालक निवास तन्नेटी बताते हैं कि हाथी मित्र दल के लोगों को प्रशिक्षित किया जाता है, बरसात के बाद फिर से ये प्रशिक्षण शुरू हो रहे हैं. जशपुर, बिलासपुर, और सरगुजा क्षेत्र में हाथियों की संख्या काफी अधिक है. ग्रामीणों को यह सिखाया जाता है कि वो कैसे हाथियों से बचाव करें, उनको जंगल से गांव आने से कैसे रोकें. कई बार हाथियों को जंगल की ओर भेजने की भी जरूरत पड़ती है ताकि सभी सुरक्षित रह सकें इसके लिये हमारे यहां ट्रेनिंग दी जाती है.

ELEPHANT TRACKERS IN SURGUJA
हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)
सूरजपुर में हाथी पुनर्वास केंद्र: सरगुजा रेंज में सूरजपुर जिले में हाथी पुनर्वास केंद्र और प्रशिक्षण केन्द्र है. यहां इस केंद्र में हाथियों में प्रमुख रूप से कुमकी नर तीर्थराम, दुर्याेधन और परशुराम, साथ ही मादा गंगा और योगलक्ष्मी को रखा गया है. इसके अलावा जशपुर वन प्रभाग से बचाए गए मादा बेबी एलिफैंट जगदंबा की देखभाल भी की जाती है.
Elephant Civil Bahadur died: सिविल बहादुर हाथी को दी गई श्रद्धांजलि, 72 साल की उम्र में हाथी की हुई मौत
संघर्ष में हर साल मरते हैं 400 से ज्यादा लोग, टकराव रोकने में एलिफैंट कॉरिडोर अहम
मरवाही में गजराज का आतंक, बीयर लैंड बना अब एलिफैंट लैंड

सरगुजा: कहते हैं हाथी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही रास्ते से होकर गुजरते हैं. आबादी बढ़ी इंसानी बस्ती बढ़े इसके बावजूद हाथियों ने अपने आने जाने का रास्ता नहीं बदला. छत्तीसगढ़ का बड़ा हिस्सा जंगलों से घिरा है. कोरबा से लेकर सरगुजा तक के जंगल में हाथियों की अच्छी खासी आबादी है. अक्सर हाथियों और इंसानों के बीच खूनी संघर्ष होता रहता है. कभी इंसानों की जान जाती है तो कभी हाथियों की. पर अब हाथियों को बचाने और इंसानों से खूनी टकराव रोकने के लिए अब एलिफैंट ट्रैकर तैयार किए जा रहे हैं. एलिफैंट ट्रैकर खतरे से पहले ही हालात को भांप लेंगे.

तैयार किए जा रहे हैं एलिफैंट ट्रैकर: हाथियों से बचाव और उनकी लोकेशन जानने के लिए हाथी ट्रैकर तमिलनाडु से पहले छत्तीसगढ़ बुलाये जाते थे. पर अब सरगुजा में गांव के ही हाथी मित्र दल के लोगों को ट्रेनिंग के जरिए ट्रेंड किया जा रहा है. सेना के जवानों की तरह इनको ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेंड हाथी मित्र एक्सपर्ट की तरह हाथियों से होने वाले खतरे को समय रहते जान लेंगे. लोगों को सही समय पर बचाव के उपाए भी बताएंगे. इससे इंसानों और हाथियों के बीच का टकराव कम होगा.

सरगुजा में हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)

छत्तीसगढ़ है हाथियों का सुरक्षित ठिकाना: दरअसल छत्तीसगढ़ हाथियों के लिए सालों से सुरक्षित ठिकाना रहा है. सरगुजा के घने जंगल,कोरबा का हसदेव और कटघोरा दशकों से हाथियों का रिहायशी इलाका रहा है. यहां के जंगलों में पानी और खाना दोनों इनको पर्याप्त मिलता है. आंकड़ों के मुताबिक करीब 300 से लेकर 330 हाथी छत्तीसगढ़ में मौजूद रहते हैं. इनमें सबसे अधिक सरगुजा फॉरेस्ट रेंज में 120 से 130 हाथियों का झुंड रहता है. हाथी अक्सर अलग अलग फॉरेस्ट रेंज में आना जाना करते रहते हैं. पड़ोसी राज्य झारखंड और मध्यप्रदेश में भी चले जाते हैं या फिर वहां से यहां आते रहते हैं.

ELEPHANT TRACKERS IN SURGUJA
हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)

हाथियों और इंसानों के बीच बढ़ रहा टकराव: सरगुजा संभाग के कई जिले हाथी प्रभावित इलाकों में गिने जाते हैं. इन जिलों में अक्सर हाथियों और इंसानों की बीच आमना सामना होता रहता है. कई बार शिकारी हाथियों की जान करंट से ले लेते हैं. अब हाथी ट्रैकर और हाथी मित्र के आने से इस तरह के संघर्षों को कम करने में वन विभाग को बड़ी मदद मिलेगी. वन विभाग पहले हाथी मित्रों को ट्रेनिंग देने के लिए तमिलनाडु से एक्सपर्ट बुलाया करता था. लेकिन अब सरगुजा में ही हाथी मित्रों को ट्रेनिंग देकर एक्सपर्ट बनाने की कोशिश की जा रही है.

ELEPHANT TRACKERS IN SURGUJA
हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)



एलिफैंट एक्सपर्ट क्या कहते हैं: प्रदेश के हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे ने बताया कि "एलिफैंट ट्रैकर या हाथी मित्र सभी को ट्रेंड किया जा रहा है, प्रशिक्षण देकर उनको हाथियों के साथ आचरण करना सिखाया जाता है. कौन सा हाथी किस मूड का होता है, हाथियों की पहचान कैसे की जाती है. हाथी के जंगल से गांव में आने के संकेत कैसे पहचाने जाते हैं, इन सबकी ट्रेनिंग दी जा रही है. अगर हाथी जंगल में है तो खुद को कैसे बचाना है, ऐसे तमाम विषयों पर हाथी ट्रैकर खुद ट्रेंड होकर गांव के लोगो को भी सचेत रखते हैं.

ट्रेनिंग के लिये गांव के युवाओं का चयन किया जाता है. सबसे पहले उनकी मेडिकल जांच होती है. वजन और हाइट देखी जाती है. इसके बाद उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है. हाथी मित्रों को प्रशिक्षण तैमूर पिंगला के हाथी प्रशिक्षण केन्द्र के साथ जंगलों में दिया जाता है. ट्रेनिंग हासिल करने वाले युवाओं को जरुरत के मुताबिक काम मिलता है. उनको उचित वेतन भी दिया जाता है. छत्तीसगढ़ में अबतक 300 हाथी मित्रों को ट्रेंड किया गया है. ट्रेनिंग के बाद ये हाथी मित्र एलिफैंट ट्रैकर के तौर पर लोगों की मदद करेंगे.: प्रभात दुबे, हाथी विशेषज्ञ और ट्रेनर

क्यों जरुरी है ट्रेनिंग: एलिफेंट रिजर्व के सहायक संचालक निवास तन्नेटी बताते हैं कि हाथी मित्र दल के लोगों को प्रशिक्षित किया जाता है, बरसात के बाद फिर से ये प्रशिक्षण शुरू हो रहे हैं. जशपुर, बिलासपुर, और सरगुजा क्षेत्र में हाथियों की संख्या काफी अधिक है. ग्रामीणों को यह सिखाया जाता है कि वो कैसे हाथियों से बचाव करें, उनको जंगल से गांव आने से कैसे रोकें. कई बार हाथियों को जंगल की ओर भेजने की भी जरूरत पड़ती है ताकि सभी सुरक्षित रह सकें इसके लिये हमारे यहां ट्रेनिंग दी जाती है.

ELEPHANT TRACKERS IN SURGUJA
हाथी मित्र बनेंगे मददगार (ETV Bharat)
सूरजपुर में हाथी पुनर्वास केंद्र: सरगुजा रेंज में सूरजपुर जिले में हाथी पुनर्वास केंद्र और प्रशिक्षण केन्द्र है. यहां इस केंद्र में हाथियों में प्रमुख रूप से कुमकी नर तीर्थराम, दुर्याेधन और परशुराम, साथ ही मादा गंगा और योगलक्ष्मी को रखा गया है. इसके अलावा जशपुर वन प्रभाग से बचाए गए मादा बेबी एलिफैंट जगदंबा की देखभाल भी की जाती है.
Elephant Civil Bahadur died: सिविल बहादुर हाथी को दी गई श्रद्धांजलि, 72 साल की उम्र में हाथी की हुई मौत
संघर्ष में हर साल मरते हैं 400 से ज्यादा लोग, टकराव रोकने में एलिफैंट कॉरिडोर अहम
मरवाही में गजराज का आतंक, बीयर लैंड बना अब एलिफैंट लैंड
Last Updated : Sep 25, 2024, 11:42 AM IST
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