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प्रचंड गर्मी के बीच अंधेरे में डूब सकता है आधा छत्तीसगढ़, पावर प्लांट में कोल क्राइसिस - coal crisis in power plant

Electricity crisis may deepen छत्तीसगढ़ सरकार की सर्वाधिक उत्पादन क्षमता वाले पावर प्लांट एचटीपीपी कोरबा में कोल क्राइसिस की स्थिति बन गई है. गर्मी के दिनों में कोयला खदानों से कोयला उत्पादन ठीक ठाक रहता है, बावजूद एचटीपीपी को एसईसीएल से पर्याप्त कोयला नहीं मिल रहा है.coal crisis in power plant

coal crisis in power plant
अंधेरे में डूब सकता है आधा छत्तीसगढ़ (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 30, 2024, 5:00 PM IST

कोरबा : छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करने वाले पावर प्लांट एचटीपीपी में कोल संकट गहरा गया है.कोल की आपूर्ति नहीं होने पर बिजली उत्पादन में फर्क पड़ सकता है.पवार प्लांट के अधिकारियों के मुताबिक एसईसीएल से कोल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.जिसके कारण प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त कोल स्टाक नहीं है. वहीं एसईसीएल की माने तो नियमित तौर पर पावर प्लांट को कोल सप्लाई की जा रही है.



1340 मेगावाट है कुल उत्पादन क्षमता : छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के दर्री पश्चिम स्थित एचटीपीपी संयंत्र में 210×4 व 500 मेगावाट की एक इकाई से बिजली उत्पादन किया जाता है. जिसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1340 मेगावाट है. यहां एसईसीएल कुसमुंडा खदान से कोयला की आपूर्ति होती है. कोयला सप्लाई के लिए संयंत्र तक कन्वेयर बेल्ट बिछाई गई है. कम कोयला स्टॉक के बावजूद संयंत्र से डिमांड पूरा करने के लिए एक हजार मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है. एक दिन पहले संयंत्र से पिक लोड ऑवर में 1032 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ था.



प्लांट में कितना कोयला की जरूरत : संयंत्र को रोजाना बिजली उत्पादन के लिए लगभग 22 हजार टन कोयला की जरुरत है. वर्तमान में संयंत्र में लगभग 80 हजार टन कोल स्टॉक मौजूद है. जिससे चार दिनों तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है.जबकि निर्धारित मापदंडों के मुताबिक प्लांट में 15 दिनों का कोल स्टाक रहना चाहिए. एसईसीएल कुसमुंडा खदान से खपत से भी कम कोल मिलने के कारण स्टॉक तेजी से घटा है.पिछले दो तीन दिन से 22 हजार रोजाना खपत के मुकाबले संयंत्र में 25 हजार टन कोयले की रोज आपूर्ति की जा रही है. जिससे स्टॉक के जल्द सुधरने के आसार हैं.




गर्मियों में डिमांड के भी टूट रहे रिकॉर्ड : भीषण गर्मी के मौसम में प्रदेश में पीक लोड ऑवर के दौरान बिजली की डिमांड 5151 मेगावाट तक चली गयी है.
30 मई की दोपहर बिजली की डिमांड 5000 मेगावाट को पार कर गई है. जबकि छत्तीसगढ़ के बिजली संयंत्रों से कुल मिलाकर 2576 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. छत्तीसगढ़ की जरूरत पूरी करने के लिए शेष 2584 मेगावाट बिजली सेंट्रल पूल से ली गई है. इसके बाद ही प्रदेश में बिजली डिमांड को पूरा किया जा रहा है.

'संयंत्र में रोजाना कोयला खपत लगभग 22 हजार टन है. एसईसीएल से अभी 18 से 19 हजार टन कोयला ही मिल पा रहा था. हालांकि अब अधिक मात्रा में कोयला मिल रहा है.''-संजय शर्मा, कार्यपालक निदेशक एचटीपीपी

नियमित तौर पर दिया जा रहा कोयला : इस बारे में सीसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनिश्चंद्र के मुताबिक सीसीएल देश के कई हिस्सों के पावर प्लांट में कोल सप्लाई करता है.छत्तीसगढ़ में मड़वा या फिर कोरबा के पावर प्लांट कोयला पहुंचाया जा सकता है. यहां से तत्काल कोयला पहुंचाया जाना आसान है. कोई कुछ भी कहे लेकिन यदि इसी तरह से कोल संकट आगे भी गहराया तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पावर प्लांट के कुछ यूनिट्स बंद होंगे और इसका असर बिजली आपूर्ति पर होगा.

बिजली संयंत्रों के उत्पादन की ऐसी है स्थिति

संयंत्रों में बिजली उत्पादन की स्थिति
संयंत्रक्षमता उत्पादन
एचटीपीपी1340983
डीएसपीएम 500 420
मड़वा1000738
बांगो हाइडल120100
(क्षमता व उत्पादन मेगावाट में)
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1340 मेगावाट है कुल उत्पादन क्षमता : छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के दर्री पश्चिम स्थित एचटीपीपी संयंत्र में 210×4 व 500 मेगावाट की एक इकाई से बिजली उत्पादन किया जाता है. जिसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1340 मेगावाट है. यहां एसईसीएल कुसमुंडा खदान से कोयला की आपूर्ति होती है. कोयला सप्लाई के लिए संयंत्र तक कन्वेयर बेल्ट बिछाई गई है. कम कोयला स्टॉक के बावजूद संयंत्र से डिमांड पूरा करने के लिए एक हजार मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है. एक दिन पहले संयंत्र से पिक लोड ऑवर में 1032 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ था.



प्लांट में कितना कोयला की जरूरत : संयंत्र को रोजाना बिजली उत्पादन के लिए लगभग 22 हजार टन कोयला की जरुरत है. वर्तमान में संयंत्र में लगभग 80 हजार टन कोल स्टॉक मौजूद है. जिससे चार दिनों तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है.जबकि निर्धारित मापदंडों के मुताबिक प्लांट में 15 दिनों का कोल स्टाक रहना चाहिए. एसईसीएल कुसमुंडा खदान से खपत से भी कम कोल मिलने के कारण स्टॉक तेजी से घटा है.पिछले दो तीन दिन से 22 हजार रोजाना खपत के मुकाबले संयंत्र में 25 हजार टन कोयले की रोज आपूर्ति की जा रही है. जिससे स्टॉक के जल्द सुधरने के आसार हैं.




गर्मियों में डिमांड के भी टूट रहे रिकॉर्ड : भीषण गर्मी के मौसम में प्रदेश में पीक लोड ऑवर के दौरान बिजली की डिमांड 5151 मेगावाट तक चली गयी है.
30 मई की दोपहर बिजली की डिमांड 5000 मेगावाट को पार कर गई है. जबकि छत्तीसगढ़ के बिजली संयंत्रों से कुल मिलाकर 2576 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. छत्तीसगढ़ की जरूरत पूरी करने के लिए शेष 2584 मेगावाट बिजली सेंट्रल पूल से ली गई है. इसके बाद ही प्रदेश में बिजली डिमांड को पूरा किया जा रहा है.

'संयंत्र में रोजाना कोयला खपत लगभग 22 हजार टन है. एसईसीएल से अभी 18 से 19 हजार टन कोयला ही मिल पा रहा था. हालांकि अब अधिक मात्रा में कोयला मिल रहा है.''-संजय शर्मा, कार्यपालक निदेशक एचटीपीपी

नियमित तौर पर दिया जा रहा कोयला : इस बारे में सीसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनिश्चंद्र के मुताबिक सीसीएल देश के कई हिस्सों के पावर प्लांट में कोल सप्लाई करता है.छत्तीसगढ़ में मड़वा या फिर कोरबा के पावर प्लांट कोयला पहुंचाया जा सकता है. यहां से तत्काल कोयला पहुंचाया जाना आसान है. कोई कुछ भी कहे लेकिन यदि इसी तरह से कोल संकट आगे भी गहराया तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पावर प्लांट के कुछ यूनिट्स बंद होंगे और इसका असर बिजली आपूर्ति पर होगा.

बिजली संयंत्रों के उत्पादन की ऐसी है स्थिति

संयंत्रों में बिजली उत्पादन की स्थिति
संयंत्रक्षमता उत्पादन
एचटीपीपी1340983
डीएसपीएम 500 420
मड़वा1000738
बांगो हाइडल120100
(क्षमता व उत्पादन मेगावाट में)
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