कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी होने के बाद अब बागबान अपने बगीचे में नए पौधे लगाने में जुट गए हैं. बागवानों ने बगीचे में खाद डालने का भी काम शुरू कर दिया है. वहीं, सेब की फसल के लिए भी यह बर्फबारी वरदान मानी जा रही है. सेब की अर्ली वैरायटी के लिए चिलिंग ऑवर्स भी पूरे हो गए हैं. सेब की अर्ली वैरायटी के लिए 600 घंटे चिलिंग आवर्स चाहिए होते हैं. जबकि रॉयल डिलीशियस के लिए यह 1200 से 1600 घंटे तक चाहिए, ऐसे में बर्फबारी के बाद हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों में तापमान भी काफी कम हो गया है. जल्द ही सेब की रॉयल डिलीशियस वैरायटी के लिए भी यह चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएंगे.
![apple Chilling hours complete](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2024/hp-kul-apple-img-7204051_10022024142243_1002f_1707555163_973.jpg)
![apple Chilling hours complete](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2024/hp-kul-apple-img-7204051_10022024142243_1002f_1707555163_560.jpg)
जिला कुल्लू की अगर बात करें तो यहां पर शाम के समय तापमान 7 डिग्री से नीचे रह रहा है और रॉयल डिलीशियस के लिए भी चिलिंग आवर्स का दौर 70 फीसदी तक पूरा हो गया है. बागवानी विभाग द्वारा भी अनुमान लगाया जा रहा है कि चिलिंग आवर्स पूरा होने के बाद इस साल सेब की फसल में जिला कुल्लू में काफी अच्छी होगी. बागवानी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिला कुल्लू में सेब का कारोबार 1000 करोड़ रुपए से अधिक का है.
![apple Chilling hours complete](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2024/hp-kul-apple-img-7204051_10022024142243_1002f_1707555163_829.jpg)
जिला कुल्लू में 90 फीसदी परिवार सेब की बागवानी से जुड़े हुए हैं. बारिश न होने के कारण अक्टूबर से लेकर जनवरी माह तक सूखे के हालात बन गए थे. बागवानों को भी यह लग रहा था कि चिलिंग ऑवर्स पूरे नहीं हो पाएंगे, लेकिन बर्फबारी के चलते अब चिलिंग आवर्स पूरे होने की भी जल्द उम्मीद बनी हुई है. बागवानी विभाग के अधिकारियों के अनुसार सेब की जो अर्ली वैरायटी है. उसके लिए 600 घंटे तक का चिलिंग ऑवर्स का समय पूरा हो गया है और रॉयल डिलीशियस के लिए भी 70 फीसदी तक समय पूरा हुआ है. जिला कुल्लू में 85% सेब रॉयल डिलीशियस प्रजाति का है और 15 फीसदी सेब अर्ली किस्म का है.
![apple Chilling hours complete](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2024/hp-kul-apple-img-7204051_10022024142243_1002f_1707555163_317.jpg)
बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार अच्छी गुणवत्ता वाले सेब की फसल के लिए चिलिंग ऑवर्स पूरे होने चाहिए. जिस तरह से इंसान के शरीर में प्राण जरूरी है. तो वैसे ही सेब के पौधे में फल लगने के लिए चिलिंग ऑवर्स जरूरी होते हैं. इसके लिए 7 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान जरूरी है. क्योंकि सर्दी के मौसम में सेब के पौधे सुप्त अवस्था में रहते हैं. उन्हें इस अवस्था से बाहर आने के लिए 7 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान 1200 से 1600 घंटे तक चाहिए. यह ऑवर्स चार माह में पूरे होने चाहिए. अगर 4 माह में यह ऑवर्स पूरे हो जाए तो सेब के पौधों में फसल अच्छी होती है. इस साल हालांकि, फरवरी माह में बर्फबारी हुई, लेकिन मार्च माह तक इसके पूरे होने की भी उम्मीद बनी हुई है.
बागवानी विभाग कुल्लू के उपनिदेशक डॉ बीएम चौहान का कहना है कि सेब के लिए बर्फबारी काफी अच्छी हुई है और बगीचे में भी अब पर्याप्त नमी है. ऐसे में किसानों द्वारा अब खाद डालने का काम भी शुरू कर दिया गया है. अर्ली वैरायटी के लिए ऑवर्स पूरे हो गए हैं और सेब की रॉयल डिलीशियस के लिए भी 70 फीसदी ऑवर्स पूरे हो गए हैं. ऐसे में मार्च माह तक यह चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएंगे और आने वाले समय में सेब की अच्छी फसल होगी.
ये भी पढ़ें: देव आस्था के आगे बौने साबित हुए बर्फ से लदे पहाड़, 40 KM का सफर तय कर चेत गांव पहुंचा देवता शैट्टी का रथ