नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (डूसू) चुनाव में मॉर्निंग कॉलेजों में एक बजे मतदान की प्रक्रिया खत्म होने के बाद ईवीएम और बैलट बॉक्स को स्ट्रांग रूम में भेज दिया गया. डीयू नॉर्थ कैंपस के परीक्षा खंड के एक कमरे को स्ट्रांग रूम बनाया गया है. सुबह 8:30 शुरू हुई मतदान की प्रक्रिया दोपहर 1:00 खत्म हो गई. अधिकतर कॉलेजों में समय से ही मतदान की प्रक्रिया खत्म हो गई. द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं ने बताया कि चुनाव में प्रथम वर्ष के छात्राओं ने मतदान में कम उत्साह दिखा. सभी कॉलेज से बैलट बॉक्स और ईवीएम को प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट की उपस्थिति में जमा कराने ले जाया जा रहा है.
अब हाईकोर्ट पर नजरः मतदान की प्रक्रिया खत्म होने के बाद अब सबकी निगाहें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा मतगणना के आदेश पर टिकी हैं. दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को नॉर्थ कैंपस और सभी कॉलेजों के बाहर प्रत्याशियों और उनके समर्थकों द्वारा लगाए गए पोस्टरों व पैंफ्लेट की सफाई न होने तक मतगणना पर रोक लगा दी थी. साथ ही साफ सफाई का खर्च भी प्रत्याशियों से ही वसूलने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट की मतगणना पर रोक के बाद कॉलेज केंपसों के बाहर फिर से सफाई अभियान चलाया गया और अधिकतर एरिया को साफ कर दिया गया. लेकिन, शुक्रवार को मतदान के दौरान फिर से पर्चे आदि उड़ाए गए, जिससे कई कॉलेजों के बाहर गंदगी देखने को मिली. सबसे अधिक पर्चे उड़ने की शिकायतें कैंपस के बाहर के कॉलेजों से मिली हैं. इससे हाईकोर्ट की नाराजगी बढ़ सकती है और मतगणना की प्रक्रिया और टल सकती है.
NSUI प्रत्याशी ने किया हंगामा: वहीं, कैंपस लॉ सेंटर में मतदान 15 मिनट देरी से शुरू होने पर एनएसयूआई के संयुक्त सचिव पद के प्रत्याशी लोकेश चौधरी ने शुक्रवार को हंगामा किया. साथ ही मतदान ड्यूटी में लगे शिक्षकों पर जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया. एनएसयूआई ने की ओर से इस मामले में कहा गया कि संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार लोकेश चौधरी ने अधिकारियों से तुरंत मतदान प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया. लेकिन उन्हें डीयू अधिकारियों के अनुचित व्यवहार और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा.
लगाया ये आरोप: लोकेश चौधरी की अधिकारियों के बीच हुई नोकझोंक का वीडियो भी वायरल हुआ है. एनएसयूआई के मीडिया प्रभारी रवि पांडे ने अपने आधिकारिक बयान में अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि डीयू प्रशासन की चुनाव प्रक्रिया का संचालन पूरी तरह से राजनीतिक दबाव में है. यह केवल एनएसयूआई पर हमला नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय के छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है. मतदान सुबह समय से शुरू होना चाहिए था.
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