कांकेर : डूमरपानी इलाके में फ्लोराइड युक्त पानी पीकर ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं. रमन सरकार में इस समस्या को दूर करने के लिए फ्लोराइड रिमूवल मशीन गांव में लगवाई गई थी. इसके बाद छत्तीसगढ़ पीएचई विभाग की लापरवाही से मशीन खराब हो गई. उसके बाद कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने भी वादा किया कि ग्रामीणों को दूसरे जगह से पानी सप्लाई कर साफ पानी दिया जाएगा, लेकिन वो भी वादों में सिमट गया. अब ग्रामीणों की सारी आस टूट गई है. उन्हें लगने लगा है कि अब यही फ्लोराइड पानी ही उनके किस्मत में है. ग्रामीण और बच्चे जान रहे हैं कि उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा फिर भी फ्लोराइड वाला पानी पीने को मजबूर हैं. इस वजह से आधा गांव फ्लोरिसिस बीमारी की चपेट में आ चुका है.
ईटीवी भारत ने लिया जायजा : ईटीवी भारत संवाददाता तामेश्वर सिन्हा ने डूमरपानी गांव के स्कूल का जायजा लिया.स्कूल में एक बोर है. उसी बोर के पानी को स्कूली बच्चे पीते हैं. उसी पानी से बच्चों का मध्याह्न भोजन भी बनता है. स्कूल में पहली से पांचवीं तक 60 बच्चे पढ़ते हैं. पहली और दूसरी क्लास के बच्चों के दांतों में हल्का पीलापन है. जैसे ही बच्चे तीसरी क्लास से पांचवी क्लास में दाखिल होते हैं. वहां के बच्चों के दांतों में पूरा पीलापन और दांत लाल काला दिखता है.
स्कूल में सबसे ज्यादा बच्चों पर असर : स्कूल के शिक्षक जगदेव कुमार और दुलार राम कुंजाम बताते हैं कि 2018 से वो स्कूल में ज्वाइन किए हैं.तभी से बच्चों का दांत पीला है. पूरे गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. स्वास्थ्य विभाग वाले स्कूल में आते रहते है परीक्षण करते है और चले जाते हैं. सिर्फ स्कूली बच्चों का ही नहीं आधे गांव के लोगों का दांत लाल-पीला है.
''पानी की वजह से बच्चों का दांत लाल हो गया है.खाना भी मैं उसी पानी से बनाती हूं. मेरे घर में बड़े भाइयों का दांत लाल है. पानी की वजह से हाथ पैर में दर्द होता है. दांत में पीलापन आ गया है. अधिकारी आते हैं बोलते हैं कुछ करेंगे और चले जाते हैं. आज तक कुछ नहीं किया गया है. स्कूल में एक फ्लोराइड रिमूवल मशीन लगाए थे वो भी लगाने के दो दिन बाद खराब हो गया है.''- पूर्णिमा रसोईया
आपको बता दें कि डुमरपानी में 350 घर हैं.आबादी दो हजार है. गांव में 19 हैंडपंप हैं, लेकिन सभी में पानी फ्लोराइड युक्त पानी आता है.गांव के 35 लोग तो फ्लोराइयुक्त पानी की वजह से हड्डी तथा दांत की समस्या से गंभीर रूप से बीमार हैं. स्कूल के 60 बच्चों में 50 बच्चों के दांत में पीलापन आ गया है.गांव की सरपंच मीना मरकाम ने बताया कि इस गांव में सालों पहले से फ्लोराइड पानी की समस्या है. इसके कारण हड्डियों में समस्या होता है. दांतों में पीलापन का समस्या है.
''कई बच्चे विकलांग पैदा हो रहे हैं. बुजुर्गो में हड्डियों का टेढ़ापन होने के कारण चलने में समस्या हो रहा है. इस समस्या को लेकर कई बार-नेता मंत्री प्रशासन को गुहार लगा चुके हैं. कोई कुछ करता ही नही. अब गांव वाले थक-हार के यही पानी पीने को मजबूर हैं. सबसे आवेदन निवेदन कर डाले हैं. स्वास्थ्य विभाग वाले बस कभी कभी कैम्प लगाते हैं और चले जाते हैं.''- मीना मरकाम,सरपंच
पूरे मामले को कांकेर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर पास पहुंचे उन्होंने कहा कि कांकेर जिले में पानी में फ्लोराइड और आयरन मात्रा अधिक है. जिसका समाधान निकाला जा रहा है.
''नरहरपुर क्षेत्र इससे ज्यादा प्रभावित है. इसके लिए हम शासन का कार्यक्रम चला रहे हैं. फ्लोराइड रिमूवल प्लांट बन्द हो गए है उसे चालू कराया जाएगा.''- नीलेश क्षीरसागर, कलेक्टर
कब मिलेगी जहरीले पानी से निजात ?: अधिकारियों के अपने तर्क हैं. लेकिन नरहरपुर के डुमरपानी के ग्रामीण और स्कूली बच्चे 20 साल से अधिक समय से फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. गांव की आधी आबादी फ्लोराइड पानी पीने के कारण फ्लोरिसेस का शिकार हो गई है. अब देखना ये होगा कि कब प्रशासनिक सिस्टम जागता है, या फिर ग्रामीण यूं ही पानी के नाम पर धीमा जहर पीते रहते हैं.