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अचानक से हुई बारिश से भामाशाह मंडी में भीगी करोड़ों की जिंस, दाम भी टूटे - Commodities worth crores got wet

भामाशाह कृषि उपज मंडी में किसानों का करोड़ों रुपए का माल बारिश के चलते गीला हो गया. यह माल मंडी में खुली नीलामी के लिए रखा हुआ था. गेहूं, सरसों, चना, सोयाबीन, धान और धनिया सहित अन्य जिंस भीग गई. इससे जींस के दाम भी टूटे.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 21, 2024, 9:18 PM IST

Commodities worth crores got wet
भामाशाह मंडी में भीगी करोड़ों की जिंस (ETV Bharat Kota)
जिंस भीगने से किसान हुए निराश (ETV Bharat Kota)

कोटा. एशिया की सबसे बड़ी भामाशाह कृषि उपज मंडी में शुक्रवार को किसानों को मुसीबत का सामना करना पड़ा. सुबह अचानक से घने बादल छा गए और बारिश हो गई. बारिश करीब 45 से 50 मिनट तक चली. इसके बाद भी रिमझिम बारिश का दौर दोपहर 2:30 बजे तक चलता रहा. इसके चलते किसानों का करोड़ों रुपए का माल भी गीला हो गया. यह मंडी में खुली नीलामी के लिए रखा हुआ था. अधिकांश माल की नीलामी नहीं हुई थी. ऐसे में गेहूं, सरसों, चना, सोयाबीन, धान और धनिया सहित अन्य जिंस भीग गई. दूसरी तरफ नाले जाम होने से शेड के नीचे भी पानी जमा हो गया. जिसके चलते शेड में मौजूद जिंस भी गीली हो गई.

आनन-फानन में किसानों को आढ़तिया से मिले त्रिपाल से किसानों ने अपनी जिंस को बचाने का प्रयास किया, लेकिन यह असफल रहा. अधिकांश किसानों की फसल भीग गई और मंडी के कई जगह पानी भर गया. किसानों का कहना है की बारिश के पहले मंडी समिति को भी पता था कि जिंस की नीलामी खुले में नहीं होनी चाहिए. उनका कहना है कि किसानों का माल शेड के नीचे ही रखना चाहिए. बड़े-बड़े शेड मंडी में बने हुए हैं, लेकिन किसानों की जगह वहां पर व्यापारियों का माल रखा होता है. उन्होंने इस पर आपत्ति जताई है.

पढ़ें: मजदूर यूनियनों में विवाद के कारण रुका गेहूं की सरकारी खरीद का उठाव, 50 ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़े इंतजार में - dispute between labour unions

किसान राजेंद्र जैन का कहना है की मंडी छोटी पड़ती है. शेड के अंदर बड़ी-बड़ी बोरियां रखी हुई हैं. बारिश में मंडी की हालत खराब हो गई है. इसके चलते गेहूं समेत अन्य जीन्स के भाव नीचे गिर गए हैं. किसान दुर्गा शंकर का कहना है कि सारा माल मंडी में खराब हो गया है. व्यापारी तो रेट डाउन करके माल लेंगे. पूरा माल खुले में ही पड़ा हुआ है. शेड में व्यापारियों का माल पड़ा हुआ है, पूरी नालियां जाम व कचरे से भरी हुई हैं.

पढ़ें: किसानों को सरसों के मिल रहे मंडी मे अच्छे दाम, तो समर्थन मूल्य खरीद केंद्र से मुंह मोड़ रहे किसान

किसान हंसराज का कहना है कि किसानों का माल शेड के नीचे होना चाहिए. बारिश के चलते यह भीग गया है. लाखों रुपए का नुकसान हो गया है. मंडी कमेटी की लापरवाही रही है. व्यापारी प्रतिनिधि प्रेम नारायण का कहना है कि किसान का माल कवर्ड शेड में खाली होना चाहिए था, बाहर खाली नहीं हो. मंडी प्रशासन को व्यवस्था करनी चाहिए. किसानों को रुकना पड़ेगा, क्योंकि व्यापारी गीला माल नहीं खरीदेगा. ऐसे में व्यापारी और किसान दोनों का नुकसान नहीं हो, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.

पढ़ें: मंडी में दाम बढ़ने पर किसान नहीं दिखा रहे एमएसपी पर सरसों बेचने में रुचि, चने की भी महज डेढ़ फीसदी खरीद - minimum support price in Kota

मंडी प्रशासन और एसोसिएशन करें किसानों की समस्या का हल: भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि किसानों को इस समस्या से राहत दिलाने के लिए मंडी समिति और ग्रीन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन से बात की जाएगी. किसानों का माल भी कीमती है और पूरे साल की मेहनत इस तरह से भीग जाना दुखदाई होता है. दाम कम होने पर आर्थिक नुकसान भी हो जाता है. सालों से इसी तरह की स्थिति बनी हुई है. इससे निजात दिलाना काफी आवश्यक है. किसानों के लिए त्रिपाल और अन्य व्यवस्था मंडी प्रशासन और एसोसिएशन को करनी चाहिए.

जिंस भीगने से किसान हुए निराश (ETV Bharat Kota)

कोटा. एशिया की सबसे बड़ी भामाशाह कृषि उपज मंडी में शुक्रवार को किसानों को मुसीबत का सामना करना पड़ा. सुबह अचानक से घने बादल छा गए और बारिश हो गई. बारिश करीब 45 से 50 मिनट तक चली. इसके बाद भी रिमझिम बारिश का दौर दोपहर 2:30 बजे तक चलता रहा. इसके चलते किसानों का करोड़ों रुपए का माल भी गीला हो गया. यह मंडी में खुली नीलामी के लिए रखा हुआ था. अधिकांश माल की नीलामी नहीं हुई थी. ऐसे में गेहूं, सरसों, चना, सोयाबीन, धान और धनिया सहित अन्य जिंस भीग गई. दूसरी तरफ नाले जाम होने से शेड के नीचे भी पानी जमा हो गया. जिसके चलते शेड में मौजूद जिंस भी गीली हो गई.

आनन-फानन में किसानों को आढ़तिया से मिले त्रिपाल से किसानों ने अपनी जिंस को बचाने का प्रयास किया, लेकिन यह असफल रहा. अधिकांश किसानों की फसल भीग गई और मंडी के कई जगह पानी भर गया. किसानों का कहना है की बारिश के पहले मंडी समिति को भी पता था कि जिंस की नीलामी खुले में नहीं होनी चाहिए. उनका कहना है कि किसानों का माल शेड के नीचे ही रखना चाहिए. बड़े-बड़े शेड मंडी में बने हुए हैं, लेकिन किसानों की जगह वहां पर व्यापारियों का माल रखा होता है. उन्होंने इस पर आपत्ति जताई है.

पढ़ें: मजदूर यूनियनों में विवाद के कारण रुका गेहूं की सरकारी खरीद का उठाव, 50 ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़े इंतजार में - dispute between labour unions

किसान राजेंद्र जैन का कहना है की मंडी छोटी पड़ती है. शेड के अंदर बड़ी-बड़ी बोरियां रखी हुई हैं. बारिश में मंडी की हालत खराब हो गई है. इसके चलते गेहूं समेत अन्य जीन्स के भाव नीचे गिर गए हैं. किसान दुर्गा शंकर का कहना है कि सारा माल मंडी में खराब हो गया है. व्यापारी तो रेट डाउन करके माल लेंगे. पूरा माल खुले में ही पड़ा हुआ है. शेड में व्यापारियों का माल पड़ा हुआ है, पूरी नालियां जाम व कचरे से भरी हुई हैं.

पढ़ें: किसानों को सरसों के मिल रहे मंडी मे अच्छे दाम, तो समर्थन मूल्य खरीद केंद्र से मुंह मोड़ रहे किसान

किसान हंसराज का कहना है कि किसानों का माल शेड के नीचे होना चाहिए. बारिश के चलते यह भीग गया है. लाखों रुपए का नुकसान हो गया है. मंडी कमेटी की लापरवाही रही है. व्यापारी प्रतिनिधि प्रेम नारायण का कहना है कि किसान का माल कवर्ड शेड में खाली होना चाहिए था, बाहर खाली नहीं हो. मंडी प्रशासन को व्यवस्था करनी चाहिए. किसानों को रुकना पड़ेगा, क्योंकि व्यापारी गीला माल नहीं खरीदेगा. ऐसे में व्यापारी और किसान दोनों का नुकसान नहीं हो, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.

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मंडी प्रशासन और एसोसिएशन करें किसानों की समस्या का हल: भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि किसानों को इस समस्या से राहत दिलाने के लिए मंडी समिति और ग्रीन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन से बात की जाएगी. किसानों का माल भी कीमती है और पूरे साल की मेहनत इस तरह से भीग जाना दुखदाई होता है. दाम कम होने पर आर्थिक नुकसान भी हो जाता है. सालों से इसी तरह की स्थिति बनी हुई है. इससे निजात दिलाना काफी आवश्यक है. किसानों के लिए त्रिपाल और अन्य व्यवस्था मंडी प्रशासन और एसोसिएशन को करनी चाहिए.

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