वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर के व्यासजी तहखाने में पूजा अर्चना को लेकर अपने रिटायरमेंट के अंतिम दिन ऐतिहासिक फैसला देने वाले जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की विदाई के दिन काशी के लोग और न्यायिक अधिकारियों ने माल्यार्पण और बुके देकर उनका सम्मान किया. वहीं, इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि लगभग 2 वर्ष 5 माह के अपने कार्यकाल में मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने अपने शासकीय कर्तव्यों को उचित प्रकार से निर्वहन किया. मुझे बहुत संतुष्टि है. मुझे ऐसा लगता है कि मेरा बहुत अच्छा कार्यकाल यहां पर रहा है. काशी बहुत अनूठा शहर है. लोग तो यहां तक कहते हैं कि यह एक मिनी इंडिया है. यहां रहने का जो सौभाग्य है, वह हर व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो पाता.
डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि हमारे जो न्यायिक अधिकारी हैं, उनसे बहुत स्नेह और सम्मान मिला है. काशी की पोस्टिंग मेरे लिए यादगार रही है. मैं यहां अपने कार्य से बहुत संतुष्ट हूं. वहीं काशी में कई महत्वपूर्ण फैसले लेने पर कुछ लोग खुश तो कुछ नाराज होने के सवाल पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि वो तो हमेशा होता है. आप कोई भी निर्णय लेंगे या फैसला करेंगे तो हर व्यक्ति संतुष्ट नहीं हो पाता है. कुछ लोग खुश होते है, कुछ नाराज होते है. लेकिन, हमें तो अपना कार्य करना है और अपने विधिक दायित्वों का निर्वहन न्यायपूर्ण तरीके से करना है. इसके बाद जिसकी जो इच्छा है, वह ठीक है.
बता दें कि इससे पूर्व में भी एक इंटरव्यू के दौरान पत्रकारों से सेवानिवृत्त जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा था कि मेरे मन में हमेशा यह इच्छा रहती थी कि जो भी मैं जजमेंट लिखू वह बेहतरीन होना चाहिए. इसमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए. मैं एक बार, दो बार, तीन बार पढ़कर और सुधार कर तब अपने फैसले लिखता था. मैं यह प्रयास करता था कि जो भी जजमेंट है, फैसले हैं, न्याय प्राप्त करने के उद्देश्य से लिखा जाए. उसमें कोई भी त्रुटि न रहे. इसी वजह से मैंने जो भी आदेश दिए, वह सब इसी भावना से दिए है कि पत्रावली पर जो सामग्री है, साक्ष्य है जो उभयपक्ष का वृतांत और अभिवचन है, उनको ध्यान में रखकर मैं अपने फैसले करूं.
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