कोटा. जिले के दीगोद थाना इलाके के फतेहपुर गांव में करंट लगने से जयपुर डिस्कॉम में संविदा पर काम कर रहे एक कार्मिक की मौत हो गई. कार्मिक के परिजनों ने शव उठाने से इनकार कर दिया. यह लोग माली समाज और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए. आंदोलनकारियों ने 50 लाख रुपए मुआवजा और परिजनों को सरकारी नौकरी की मांग की है. इस हादसे में लाइनमैन और अन्य बिजली कर्मचारियों की गलती बताई जा रही है.
बता दें कि चार दिन पहले भी इसी तरह से इटावा में एक बिजली कर्मचारी की करंट लगने से मौत हो गई थी. दीगोद थाना अधिकारी रंजीत सिंह राजपूत के अनुसार पड़ासिया निवासी सियाराम सुमन पुत्र शंकर लाल की मौत एमबीएस अस्पताल में उपचार के दौरान बुधवार देर रात को हुई थी. वह बुधवार शाम 5:00 बजे दीगोद फीडर के फतेहपुर गांव में बिजली दुरुस्त करने के लिए पहुंचा था. इस दौरान करंट की चपेट में आने से गंभीर रूप से झुलस गया था. उसे एमबीएस अस्पताल में लेकर आए, लेकिन यहां उसकी मौत हो गई. मृतक सियाराम सुमन जेवीवीएनएल में फॉल्ट रिपेयर टीम में संविदा पर काम कर रहा था.
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इधर, मृतक के साले रवि सुमन ने आरोप लगाया है कि लाइनमैन ने शटडाउन लिया. इसके बाद सियाराम ने लाइन को चेक किया तो वह बंद थी. इसके बाद लाइनमैन मुरली मेघवाल के कहने पर सियाराम खंभे पर चढ़ गया था, लेकिन बिजली चालू होने के चलते वह करंट की चपेट में आ गया. रवि का कहना है कि सियाराम के कोई बच्चे नहीं है, लेकिन उसकी पत्नी गर्भवती है. इस बीच कोटा उत्तर नगर निगम के पार्षद राकेश सुमन और माली समाज के अन्य लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए मोर्चरी पर पहुंचे गए. वे मृतक का शव नहीं उठा रहे. वहां प्रदर्शन किया जा रहा है. इनकी मांग है कि मृतक के घरवालों को 50 लाख रुपए का मुआवजा और निकटतम परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए.