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29 या 30 अक्टूबर, कब है धनतेरस? जानें खरीदारी का शुभ मुहूर्त

दिवाली से पहले मनाया जाने वाला धनतेरस का शुभ मुहूर्त जानने के लिए पढ़ें डिटेल स्टोरी

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

धनतेरस का त्योहार
धनतेरस का त्योहार (ETV Bharat GFX)

Dhanteras kab hai: इन दिनों बाजार में त्योहारों की रौनक साफ देखी जा सकती है. दिवाली से पहले बाजारों में ये रौनक धनतेरस के लिए होती है. एक तरह से धनतेरस के त्योहार से ही दिवाली की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस पर खरीदारी का विशेष महत्व है, कुछ लोग नए बर्तन खरीदते हैं तो कुछ सोना-चांदी खरीदते हैं. इस दिन खरीदारी शुभ मानी जाती है और इसीलिये लोग खरीदारी के लिए धनतेरस का इंतजार करते हैं. आइये जानते हैं कि कब है धनतेरस और कब है धनतेरस का शुभ मुहूर्त ?

कब है धनतेरस ?

धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहते हैं. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है. यह पर्व भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और यक्षराज कुबेर की कृपा पाने के लिए मनाया जाता है और इस दिन खरीदारी करने का भी शास्त्रों में विधान लिखा गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो खरीदारी की जाती है, उसका तीन गुना अधिक फल मिलता है. धनतेरस के साथ दीवाली त्योहार का भी शुभारंभ हो जाता है. इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा.

कुल्लू के आचार्य विजय कुमार के मुताबिक, "कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि भी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. जिस कारण इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से जाना जाता है. इस साल त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर होगा. इसके अलावा इस दिन गोधूलि काल शाम 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भक्तों के लिए धनतेरस की पूजा के लिए 1 घंटा 42 मिनट का समय मिलेगा".

जानें धनतेरस का शुभ मुहूर्त

आचार्य विजय कुमार ने कहा, "धनतेरस की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है और इसी भगवान धन्वंतरि की पूजा करने के साथ साथ दीपदान भी किया जाता है. भक्त अपने घर के मेन गेट, या पानी के पास एक एक दीपक भी जलाए. शास्त्रों में मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है".

आचार्य विजय कुमार ने बताया कि धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है. इस योग में खरीदारी करना बहुत शुभ होता है. यह योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर अगले दिन तक 10 बजकर 31 मिनट पर रहेगा. इस योग में की गई खरीदारी करने से चीजों में तीन गुणा वृद्धि होती है. धनतेरस के दिन अभिजीत मुहूर्त बन रहा है. इस योग में खरीदारी करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी. 29 अक्टूबर के दिन 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट के बीच लोग जरूर खरीदारी करें.

धनतेरस के दिन क्या करें ?

धनतेरस के दिन सुबह भक्त स्नान करने के बाद भगवान गणेश, लक्ष्मी और कुबेर देव की स्थापना करें. उसके बाद इन सभी देवी देवताओं को मोली अर्पित करें. फिर पूजा में रोली अक्षत, पान का पत्ता, मिठाई, फल, फूल आदि चीजें भी अर्पित करें. साथ ही कुबेर देव को अपनी श्रद्धा के अनुसार चीजें अर्पित करें. इसके बाद भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और घी के दीपक से आरती उतारें. पूजा के बाद प्रसाद को सभी में बांट दें और रात्रि जागरण भी करें. शाम के समय मेन गेट और आंगन में दीपक भी जलाएं. क्योंकि दीपावली के पर्व की शुरुआत होती है.

ये भी पढ़ें: आ गई सैलरी, डीए, पेंशन की नोटिफिकेशन, 28 अक्टूबर को दिवाली से पहले खाते में आएगी डबल खुशखबरी

Dhanteras kab hai: इन दिनों बाजार में त्योहारों की रौनक साफ देखी जा सकती है. दिवाली से पहले बाजारों में ये रौनक धनतेरस के लिए होती है. एक तरह से धनतेरस के त्योहार से ही दिवाली की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस पर खरीदारी का विशेष महत्व है, कुछ लोग नए बर्तन खरीदते हैं तो कुछ सोना-चांदी खरीदते हैं. इस दिन खरीदारी शुभ मानी जाती है और इसीलिये लोग खरीदारी के लिए धनतेरस का इंतजार करते हैं. आइये जानते हैं कि कब है धनतेरस और कब है धनतेरस का शुभ मुहूर्त ?

कब है धनतेरस ?

धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहते हैं. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है. यह पर्व भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और यक्षराज कुबेर की कृपा पाने के लिए मनाया जाता है और इस दिन खरीदारी करने का भी शास्त्रों में विधान लिखा गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो खरीदारी की जाती है, उसका तीन गुना अधिक फल मिलता है. धनतेरस के साथ दीवाली त्योहार का भी शुभारंभ हो जाता है. इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा.

कुल्लू के आचार्य विजय कुमार के मुताबिक, "कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि भी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. जिस कारण इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से जाना जाता है. इस साल त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर होगा. इसके अलावा इस दिन गोधूलि काल शाम 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भक्तों के लिए धनतेरस की पूजा के लिए 1 घंटा 42 मिनट का समय मिलेगा".

जानें धनतेरस का शुभ मुहूर्त

आचार्य विजय कुमार ने कहा, "धनतेरस की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है और इसी भगवान धन्वंतरि की पूजा करने के साथ साथ दीपदान भी किया जाता है. भक्त अपने घर के मेन गेट, या पानी के पास एक एक दीपक भी जलाए. शास्त्रों में मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है".

आचार्य विजय कुमार ने बताया कि धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है. इस योग में खरीदारी करना बहुत शुभ होता है. यह योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर अगले दिन तक 10 बजकर 31 मिनट पर रहेगा. इस योग में की गई खरीदारी करने से चीजों में तीन गुणा वृद्धि होती है. धनतेरस के दिन अभिजीत मुहूर्त बन रहा है. इस योग में खरीदारी करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी. 29 अक्टूबर के दिन 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट के बीच लोग जरूर खरीदारी करें.

धनतेरस के दिन क्या करें ?

धनतेरस के दिन सुबह भक्त स्नान करने के बाद भगवान गणेश, लक्ष्मी और कुबेर देव की स्थापना करें. उसके बाद इन सभी देवी देवताओं को मोली अर्पित करें. फिर पूजा में रोली अक्षत, पान का पत्ता, मिठाई, फल, फूल आदि चीजें भी अर्पित करें. साथ ही कुबेर देव को अपनी श्रद्धा के अनुसार चीजें अर्पित करें. इसके बाद भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और घी के दीपक से आरती उतारें. पूजा के बाद प्रसाद को सभी में बांट दें और रात्रि जागरण भी करें. शाम के समय मेन गेट और आंगन में दीपक भी जलाएं. क्योंकि दीपावली के पर्व की शुरुआत होती है.

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Last Updated : 2 hours ago
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