बस्तर : केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान के बाद बस्तर में नक्सली मोर्चे पर तैनात CRPF के जवान और अधिकारी लगातार नक्सल विरोधी अभियान संचालित कर रहे हैं. फोर्स नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने के अलावा बस्तर के लोगों को रोजगार के लिए आगे प्रेरित कर रहे हैं. ग्रामीणों को रोजगार और कृषि के संबंध में जानकारियां भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं. ताकि बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे के लिए नौजवान कदम आगे बढ़ा सकें.
सिविक एक्शन प्रोग्राम : CRPF 241 बस्तरिया बटालियन के कमांडेंट ऑफिसर हरविंदर सिंह ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार 1 अक्टूबर को दरभा ब्लॉक के सेड़वा गांव में एक सिविक एक्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में अंदरूनी क्षेत्र मीनपा जहां वर्ष 2020 में एक बड़ी मुठभेड़ हुई थी. जिसमें 17 जवान शहीद हो गए थे. और ताड़मेटला जहां 2010 में कैम्प पर नक्सलियों ने हमला किया था. इस हमलें में 76 जवान शहीद हो गए थे. यहां अंदरूनी क्षेत्रों में इन गांवों के युवाओं को कार्यक्रम में स्किल डेवलपमेंट सिखाया गया.
''युवाओं को प्रोफेशनल किसान और प्रोफेसर ने ट्रेनिंग दी. ताकि वे नक्सल प्रभावित इलाकों में रोजगार करके अपनी आय बढ़ा सकें. इस कार्यक्रम में सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिती थी. केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद उसी लाइन को लेकर यूनिट ने टास्क दिया है. उसमें एक-एक कदम बढ़ाया जा रहा है.''- हरविंदर सिंह, कमांडेंट बस्तरिया बटालियन
युवाओं को पर्यटन के क्षेत्र में लाया जा रहा आगे : कांगेर वैली नेशनल पार्क के डीएफओ चूड़ामणी सिंह ने बताया कि बस्तर जिले में जब नक्सल समस्या थी, उस दौरान ग्रामीणों को रोजगार में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब नक्सल समस्या दूर होने से रोजगार के अवसर ग्रामीणों को मिल रहे हैं. नेशनल पार्क से लगे धूड़मारास गांव को ग्रामीणों ने बेहतर तरीके से प्रकृति से जोड़कर विकसित किया है. जिसके कारण उन्हें उप राष्ट्रपति के द्वारा सम्मानित भी किया गया.
''आने वाले दिनों में और भी युवाओं को ऐसे कार्यो के लिए जोड़ा जाएगा. नए नए योजनाओं को लाया जाएगा. ताकि उन्हें रोजगार मिले और वे विकसित हो सकें. क्योंकि बस्तर में पर्यटन की अपार संभावनाएं बनी हुई है. साथ ही वनोपज संग्रहण के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा.''- चूड़ामणी सिंह.. DFO कांगेर वैली नेशनल पार्क
''पहले सड़क नहीं थी पैदल यात्रा करना पड़ता था. लेकिन अब सड़क बन गई है. बिजली गांव के 2 घरों में है. जिसका विस्तारीकरण जारी है. रोजगार जीवन के लिए बेहद जरूरी है. आज मैंने सीखा कि जंगल और गांव में पाए जाने वाली मधुमक्खी जिसे जलाकर भगा देते थे. उसका पालन होता है. उससे भी रुपए कमाए जा सकते हैं. ये सीख कर अब आगे कुछ करने की योजना बना रहे हैं.'' पोड़ियाम हुर्रा, ग्रामीण
नक्सलवाद का खात्मा है लक्ष्य : आपको बता दें कि बस्तर के कई गांवों में नक्सलवाद के कारण विकास नहीं हो सका है.यहां के युवा भी नक्सलवाद के कारण ज्यादा कुछ नहीं कर सके.लेकिन केंद्र और राज्य सरकार ने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करके गांवों और युवाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है.ये अभियान इसी कदम का एक हिस्सा है.उम्मीद की जा रही है कि फोर्स के सिविक एक्शन प्रोग्राम की बदौलत गांवों के साथ युवाओं की भी सोच बदलेगी.