ETV Bharat / state

हरियाणा में देवउठनी एकादशी पर जमकर गूंज रही घरों में शहनाई, मंदिरों में भी हो रहा तुलसी विवाह - DEVUTHANI EKADASHI 2024

देवउठनी एकादशी की शुरुआत के साथ ही शादियों का शुभ मुहूर्त फिर से शुरू हो गया है. मंदिरों में तुलसी विवाह भी हो रहा है.

Devuthani Ekadashi 2024
देवउठनी एकादशी 2024 (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 12, 2024, 6:19 PM IST

नूंह: आज देवउठनी एकादशी की शुरुआत के साथ ही भारतीय शादियों का शुभ मुहूर्त फिर से शुरू हो गया है. ये दिन हिंदू कैलेंडर में विशेष महत्व रखता है, और खासकर विवाहों के लिए इसे शुभ माना जाता है. देवउठनी एकादशी वो है, जब भगवान विष्णु चार महीने की लंबी निद्रा से उठते हैं. उनके जागने के साथ ही शादियों का सीज़न शुरू हो जाता है. पिछले कुछ महीनों से चल रही मांगलिक कार्यों की ठहराव अवधि अब खत्म हो गई है. अब फिर से शहनाईयों की आवाज़ फिर से गूंजने लगी है. इसी दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है.

मंदिरों में तुलसी विवाह : इसी कड़ी में पिनगवां कस्बे में तुलसी विवाह के बाद अस्थल मंदिर में पूजा-अर्चना की गई. जिन घरों में कन्या नहीं हैं, उन्होंने तुलसी के रूप में कन्यादान भी किया. बड़ी संख्या में महिलाएं तुलसी विवाह में सज-धज के शामिल हुईं. मंदिर के पुजारी भी उनके साथ रहे.

देवउठनी एकादशी 2024 (ETV Bharat)

क्या सच में भगवान इतने दिनों तक सोते हैं? : आज देवउठनी एकादशी है. आज से अगले 8 महीने तक शादियां चलेगी. ऐसी धारणा है कि भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ महीने की एकादशी पर सोते हैं और कार्तिक महीने की एकादशी पर जागते हैं. जागने वाली एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं. इस बारे में पंडितों का कहना है कि भगवान सोते नहीं, बल्कि योग निद्रा में चले जाते हैं. ये एक तरह का मेडिटेशन होता है. इसे ही आमतौर पर भगवान का सोना कहा जाता है. भगवान का ये ध्यान हर साल जून-जुलाई में आषाढ़ महीने की एकादशी से शुरू होता है और नवंबर में कार्तिक महीने की एकादशी पर खत्म होता है. तकरीबन चार महीने के इस पीरियड को चातुर्मास कहते हैं. मान्यता है कि जब भगवान विष्णु शयन करते हैं तब शादियां और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक काम नहीं करते. इस दौरान सिर्फ पूजा-पाठ होता है.

शादियों का शुभ मुहूर्त : अब 12 नवंबर को देव जागने के साथ शादियों का सीजन शुरू हो गया है. ये सीजन 7 महीने 26 दिनों का रहेगा. अगले साल 6 जुलाई को फिर से भगवान सो जाएंगे. इस साल नवंबर में 11 और दिसंबर में 5 दिन शादियां हो पाएंगी. हर साल 15 दिसंबर से मकर संक्रांति तक शादियों के मुहूर्त नहीं होते हैं, क्योंकि इस समय सूर्य धनु राशि में होता है. इसी तरह 14 मार्च से 13 अप्रैल तक कोई मुहूर्त नहीं रहेगा. इस वक्त सूर्य मीन राशि में रहता है.

तुलसी और शालिग्राम विवाह होता है : कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन योग निद्रा में सोए भगवान विष्णु को शंख बजाकर जगाया जाता है. दिनभर महापूजा चलती है और आरती होती है. शाम को शालिग्राम रूप में भगवान विष्णु और तुलसी रूप में लक्ष्मी जी का विवाह होता है. घर-मंदिरों को सजाकर दीपक जलाते हैं. जो लोग तुलसी-शालिग्राम विवाह नहीं करवा पाते, वो सामान्य पूजा करके भी ये त्योहार मनाते हैं.

इसे भी पढ़ें : देवउठनी एकादशी पर करें ये उपाय, जाग उठेगी किस्मत

इसे भी पढ़ें : Devuthni Ekadashi 2024 : देवउठनी एकादशी पर पूजा की पूरी विधि

इसे भी पढ़ें : इस दिन है देवउठनी एकादशी, नोट कर लें डेट और पूजा का शुभ मुहूर्त, इसी दिन से शुरू हो जाएंगे मंगल कार्य

इसे भी पढ़ें : Tulsi Vivah 2023 : भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह का शुभ-मुहूर्त व पूजन विधि

नूंह: आज देवउठनी एकादशी की शुरुआत के साथ ही भारतीय शादियों का शुभ मुहूर्त फिर से शुरू हो गया है. ये दिन हिंदू कैलेंडर में विशेष महत्व रखता है, और खासकर विवाहों के लिए इसे शुभ माना जाता है. देवउठनी एकादशी वो है, जब भगवान विष्णु चार महीने की लंबी निद्रा से उठते हैं. उनके जागने के साथ ही शादियों का सीज़न शुरू हो जाता है. पिछले कुछ महीनों से चल रही मांगलिक कार्यों की ठहराव अवधि अब खत्म हो गई है. अब फिर से शहनाईयों की आवाज़ फिर से गूंजने लगी है. इसी दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है.

मंदिरों में तुलसी विवाह : इसी कड़ी में पिनगवां कस्बे में तुलसी विवाह के बाद अस्थल मंदिर में पूजा-अर्चना की गई. जिन घरों में कन्या नहीं हैं, उन्होंने तुलसी के रूप में कन्यादान भी किया. बड़ी संख्या में महिलाएं तुलसी विवाह में सज-धज के शामिल हुईं. मंदिर के पुजारी भी उनके साथ रहे.

देवउठनी एकादशी 2024 (ETV Bharat)

क्या सच में भगवान इतने दिनों तक सोते हैं? : आज देवउठनी एकादशी है. आज से अगले 8 महीने तक शादियां चलेगी. ऐसी धारणा है कि भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ महीने की एकादशी पर सोते हैं और कार्तिक महीने की एकादशी पर जागते हैं. जागने वाली एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं. इस बारे में पंडितों का कहना है कि भगवान सोते नहीं, बल्कि योग निद्रा में चले जाते हैं. ये एक तरह का मेडिटेशन होता है. इसे ही आमतौर पर भगवान का सोना कहा जाता है. भगवान का ये ध्यान हर साल जून-जुलाई में आषाढ़ महीने की एकादशी से शुरू होता है और नवंबर में कार्तिक महीने की एकादशी पर खत्म होता है. तकरीबन चार महीने के इस पीरियड को चातुर्मास कहते हैं. मान्यता है कि जब भगवान विष्णु शयन करते हैं तब शादियां और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक काम नहीं करते. इस दौरान सिर्फ पूजा-पाठ होता है.

शादियों का शुभ मुहूर्त : अब 12 नवंबर को देव जागने के साथ शादियों का सीजन शुरू हो गया है. ये सीजन 7 महीने 26 दिनों का रहेगा. अगले साल 6 जुलाई को फिर से भगवान सो जाएंगे. इस साल नवंबर में 11 और दिसंबर में 5 दिन शादियां हो पाएंगी. हर साल 15 दिसंबर से मकर संक्रांति तक शादियों के मुहूर्त नहीं होते हैं, क्योंकि इस समय सूर्य धनु राशि में होता है. इसी तरह 14 मार्च से 13 अप्रैल तक कोई मुहूर्त नहीं रहेगा. इस वक्त सूर्य मीन राशि में रहता है.

तुलसी और शालिग्राम विवाह होता है : कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन योग निद्रा में सोए भगवान विष्णु को शंख बजाकर जगाया जाता है. दिनभर महापूजा चलती है और आरती होती है. शाम को शालिग्राम रूप में भगवान विष्णु और तुलसी रूप में लक्ष्मी जी का विवाह होता है. घर-मंदिरों को सजाकर दीपक जलाते हैं. जो लोग तुलसी-शालिग्राम विवाह नहीं करवा पाते, वो सामान्य पूजा करके भी ये त्योहार मनाते हैं.

इसे भी पढ़ें : देवउठनी एकादशी पर करें ये उपाय, जाग उठेगी किस्मत

इसे भी पढ़ें : Devuthni Ekadashi 2024 : देवउठनी एकादशी पर पूजा की पूरी विधि

इसे भी पढ़ें : इस दिन है देवउठनी एकादशी, नोट कर लें डेट और पूजा का शुभ मुहूर्त, इसी दिन से शुरू हो जाएंगे मंगल कार्य

इसे भी पढ़ें : Tulsi Vivah 2023 : भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह का शुभ-मुहूर्त व पूजन विधि

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.